
“105 लाख की स्वीकृति, लेकिन अस्पताल में अब भी गंदगी, जाम और गुमटियों का कब्जा। आखिर कब सुधरेंगे हालात?”
अंबिकापुर के राजमाता श्रीमती देवेंद्र कुमारी सिंहदेव मेडिकल कॉलेज के बाहर फुटकर दुकानों और गुमटियों से मरीजों और एंबुलेंस को हो रही भारी दिक्कत। प्रशासन से कार्रवाई की मांग।
सरगुजा मेडिकल कॉलेज में नया निर्माण स्वीकृत, लेकिन बाहर की अव्यवस्था पर कब ध्यान देगा प्रशासन?
सरगुजा मेडिकल कॉलेज के बाहर अव्यवस्था: फुटकर बाजार बना परेशानी का कारण, मरीजों को हो रही भारी दिक्कत
अंबिकापुर के राजमाता श्रीमती देवेंद्र कुमारी सिंहदेव मेडिकल कॉलेज के बाहर फुटकर दुकानों और गुमटियों से मरीजों और एंबुलेंस को हो रही भारी दिक्कत। प्रशासन से कार्रवाई की मांग।
अंबिकापुर।सरगुजा जिले का सबसे बड़ा स्वास्थ्य संस्थान राजमाता श्रीमती देवेंद्र कुमारी सिंहदेव शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय, अंबिकापुर प्रदेश के स्वास्थ्य तंत्र की रीढ़ माना जाता है। यहाँ प्रतिदिन हजारों मरीज उपचार के लिए आते हैं। अस्पताल के अंदर चिकित्सा सुविधाओं को मजबूत करने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है। हाल ही में इस मेडिकल कॉलेज में मातृत्व एवं शिशु वार्ड तक ओपीडी ब्लॉक के निर्माण कार्य को मंजूरी दी गई है।
✅ 105 लाख की स्वीकृति, तकनीकी अनुमोदन जारी
छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉर्पोरेशन लिमिटेड की ओर से जारी आदेश के अनुसार, अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज के पुराने भवन से मातृत्व एवं शिशु वार्ड तक ओपीडी ब्लॉक के निर्माण कार्य के लिए प्रशासनिक स्वीकृति 105 लाख रुपये की दी गई है, जबकि तकनीकी स्वीकृति 99.15 लाख रुपये की है। यह कार्य CMPHTF योजना 2022-23 के तहत किया जाएगा। आदेश 3 अप्रैल 2023 को जारी हुआ है।
स्वीकृति के बाद भी अव्यवस्थाओं का आलम – आखिर कब सुधरेंगे हालात?
छत्तीसगढ़ सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने के लिए करोड़ों रुपये की स्वीकृति दी, लेकिन ज़मीनी हकीकत अब भी अव्यवस्थाओं से भरी हुई है। हाल ही में जारी आदेश (पत्रांक: 064/निर्माण/2023 दिनांक 03/04/2023) के अनुसार, जिला सरगुजा के राजमाता श्रीमती देवेंद्र कुमारी सिंहदेव शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय अंबिकापुर के पुराने भवन से मातृत्व एवं शिशु वार्ड तक ओटीकक्ष के निर्माण कार्य को 105 लाख रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति और 99.15 लाख रुपये की तकनीकी स्वीकृति दी गई है।
यह फैसला प्रदेश के स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना गया, लेकिन वास्तविकता यह है कि इस स्वीकृति के बाद भी अस्पताल परिसर में अव्यवस्थाएं जस की तस बनी हुई हैं।
अस्पताल के चारों ओर फुटकर बाज़ार और गुमटियों का कब्जा
राज्य के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान के चारों ओर फैले फुटकर बाज़ार ने अस्पताल की सूरत बदल दी है। मुख्य द्वार से लेकर परिसर तक पान-गुटखा, बिरयानी और अन्य खाद्य पदार्थ बेचने वाली गुमटियां लगी हुई हैं। कई जगह तो मरीजों के परिजन अस्थायी चूल्हे जलाकर खाना बनाते दिखते हैं। इससे न केवल अस्पताल परिसर का वातावरण दूषित हो रहा है बल्कि संक्रमण का खतरा भी बढ़ रहा है।
मरीजों को हो रही परेशानी
आपातकालीन सेवाओं के लिए आने वाले एंबुलेंस वाहनों को रास्ता तक नहीं मिल पाता। गुमटियों और अवैध पार्किंग के कारण मुख्य प्रवेश द्वार पर आए दिन जाम की स्थिति बनी रहती है। मरीजों और उनके परिजनों को अस्पताल तक पहुंचने में भारी परेशानी झेलनी पड़ती है।
स्वच्छता और स्वास्थ्य पर पड़ रहा असर
अस्पताल के चारों ओर फैली गंदगी और खुले में पकने वाला खाना अस्पताल की स्वच्छता व्यवस्था को ठेंगा दिखा रहा है। अस्पताल प्रशासन और नगर निगम के बीच जिम्मेदारी का खेल जारी है, और इसका खामियाजा भुगत रहे हैं मरीज।
सरकारी स्वीकृति बनाम जमीनी हकीकत
इतने बड़े बजट की स्वीकृति के बाद उम्मीद थी कि अस्पताल परिसर का कायाकल्प होगा। लेकिन सच्चाई यह है कि आज भी मुख्य समस्याएं जस की तस हैं—
✔ साफ-सफाई की स्थिति खराब
✔ ट्रैफिक मैनेजमेंट शून्य
✔ अनधिकृत कब्जे और गुमटियों का बोलबाला
✔ संक्रमण फैलाने वाली गतिविधियां जारी
जनता के सवाल और प्रशासन की चुप्पी
स्थानीय लोग सवाल कर रहे हैं—
“जब करोड़ों की स्वीकृति मिल चुकी है, तो अस्पताल का हाल क्यों नहीं सुधर रहा?”
“क्या यह राशि सिर्फ कागजों पर खर्च हो रही है?”
सरकारी आदेशों और स्वीकृतियों के बावजूद अगर अव्यवस्था खत्म नहीं होती, तो यह स्वास्थ्य सेवाओं के साथ बड़ा मज़ाक है।
अंदर हो रहा विकास, बाहर कायम अव्यवस्था
जहाँ एक ओर अस्पताल के अंदर नई सुविधाओं के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं, वहीं अस्पताल के बाहर की स्थिति बेहद चिंताजनक है। अस्पताल परिसर के मुख्य द्वार और चारों ओर फैला फुटकर बाजार मरीजों और एंबुलेंस के लिए बड़ी समस्या बना हुआ है।
पान-गुटखा, बिरयानी और चाय के ठेले
भीड़-भाड़ और पार्किंग में गाड़ियां
सड़क पर खाना पकाते परिजन
गंदगी और संक्रमण का खतरा
ये सब न केवल अस्पताल की छवि को धूमिल कर रहे हैं, बल्कि मरीजों के लिए खतरनाक माहौल भी तैयार कर रहे हैं।
मरीजों और परिजनों की बड़ी परेशानी
मरीजों के परिजन पार्किंग और सड़क किनारे खाना बनाने के लिए मजबूर हैं। खुले में पकता खाना, उड़ती धूल, और ठेले-गुमटियों की गंदगी से अस्पताल का वातावरण दूषित हो रहा है। वहीं, ठेलों की वजह से एंबुलेंस को रास्ता मिलने में देरी होती है, जिससे गंभीर मरीजों की जान पर खतरा मंडरा सकता है।
स्थानीय लोगों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की मांग
स्थानीय लोगों ने कहा कि अस्पताल एक इलाज का केंद्र है, न कि बाजार। प्रशासन को तुरंत कदम उठाने चाहिए। उनकी मुख्य मांगें हैं –
✔ अवैध गुमटियां और ठेले हटाए जाएं।
✔ परिजनों के लिए अलग फूड कोर्ट और वेटिंग एरिया बने।
✔ एंबुलेंस के लिए क्लियर रूट सुनिश्चित किया जाए।
सरकार और प्रशासन के सामने चुनौती
सरकार अस्पताल के विकास के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, लेकिन बाहर की अव्यवस्था इस विकास को फीका कर रही है। प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि अस्पताल का बाहरी वातावरण भी मरीजों के लिए स्वच्छ और सुरक्षित हो।
अगर समय रहते कार्रवाई नहीं की गई, तो मातृत्व एवं शिशु वार्ड जैसी नई सुविधाओं का लाभ भी पूरी तरह नहीं मिल पाएगा। अस्पताल विकास और बाहरी अव्यवस्था दोनों पर समान ध्यान देने की जरूरत है।