
छत्तीसगढ़ में अभियोजन अधिकारियों का राज्य स्तरीय प्रशिक्षण | नए कानून और डिजिटल जस्टिस सिस्टम पर फोकस
रायपुर में आयोजित राज्य स्तरीय प्रशिक्षण में अभियोजन अधिकारियों को नवीन कानूनों और डिजिटल जस्टिस सिस्टम के प्रभावी क्रियान्वयन की जानकारी दी गई। विशेषज्ञों ने साक्ष्य परीक्षण, आपराधिक कानूनों के नए प्रावधान और टेक्नोलॉजी आधारित प्रक्रियाओं पर मार्गदर्शन दिया।
अभियोजन अधिकारियों को मिला नया कानूनी विज़न: डिजिटल युग में कानून के क्रियान्वयन पर राज्य स्तरीय प्रशिक्षण

रायपुर, 24 अगस्त 2025/नवा रायपुर के महानदी मंत्रालय भवन का सभागार आज एक अलग ही माहौल में था। यहां आयोजित राज्य स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम ने अभियोजन अधिकारियों को न केवल नवीन कानूनों से रूबरू कराया बल्कि उनके आधुनिक क्रियान्वयन के डिजिटल टूल्स पर भी रोशनी डाली।
कानून में बदलाव और नई सोच की ज़रूरत
निदेशालय लोक अभियोजन छत्तीसगढ़ के महानिदेशक अरुण देव गौतम, मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि नए कानून सिर्फ किताबों में बदलाव नहीं हैं, बल्कि नागरिक सुरक्षा और न्याय प्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन लाने वाले उपकरण हैं।
विशेषज्ञों का मार्गदर्शन – डिजिटल और प्रैक्टिकल
-
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनय कुमार प्रधान और शैलेश शर्मा ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता पर आधुनिक संदर्भ में मार्गदर्शन दिया।
-
अतिरिक्त सचिव विधि एवं विधायी विभाग चंद्र कुमार कश्यप ने वीसी के माध्यम से साक्ष्य परीक्षण और प्रक्रिया संबंधी जटिलताओं को आसान भाषा में समझाया।
-
हिदायतुल्ला लॉ यूनिवर्सिटी के सहायक प्राध्यापक प्रवेश राजपूत ने नए आपराधिक कानून के प्रावधानों को डिजिटल साक्ष्य, ई-रिकॉर्डिंग और टेक्नोलॉजी आधारित जाँच के संदर्भ में जोड़ा।
नए युग की ओर बढ़ता अभियोजन विभाग
प्रशिक्षण सत्र में अपील, पुनरीक्षण और प्रशासनिक प्रक्रियाओं पर भी खास चर्चा हुई। साथ ही अधिकारियों की रीयल-टाइम क्वेरी लेकर तुरंत समाधान दिया गया, जिससे यह प्रशिक्षण और भी इंटरैक्टिव हो गया।
व्यापक भागीदारी
कार्यक्रम में संयुक्त संचालक, उपनिदेशक, सहायक निदेशक और सहायक जिला अभियोजन अधिकारी समेत पूरे प्रदेश से अधिकारी शामिल हुए। इस अवसर पर के.एस. गावस्कर, मीना जगदल्ला, पदमा साहू, सोहन साहू, राकेश कुमार सिंह, मंजू नेमा, कुंवर रत्नेश सिंह, शिवानी बोरकर, आशुतोष कुमार श्रीवास्तव और दिलीप कुमार सिंह सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
यह प्रशिक्षण केवल कानून की किताबों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसमें डिजिटल जस्टिस सिस्टम, ई-गवर्नेंस और टेक्नोलॉजी ड्रिवन अभियोजन की नई दिशा भी सामने आई। यह पहल छत्तीसगढ़ को स्मार्ट लीगल स्टेट बनाने की ओर एक बड़ा कदम है।












