
3 वायरस एक्टिव, बच्चे हो रहे बीमार:इमरजेंसी में पहुंचे 119 बच्चे; तेज बुखार के साथ सांस लेने में तकलीफ, उल्टी-दस्त जैसे लक्षण भोपाल
3 वायरस एक्टिव, बच्चे हो रहे बीमार:इमरजेंसी में पहुंचे 119 बच्चे; तेज बुखार के साथ सांस लेने में तकलीफ, उल्टी-दस्त जैसे लक्षण भोपाल

अचानक तेज बारिश, धूप और बादल…मौसम के ये तीन रूप देखने को मिल रहे हैं। जैसे-जैसे मौसम में बदलाव हो रहा है वैसे-वैसे ही तीन वायरस सक्रिय हो रहे हैं। ये वायरस ज्यादातर बच्चों को प्रभावित कर रहे हैं। बच्चों में तेज बुखार, शरीर दर्द, उल्टी-दस्त जैसे लक्षण देखे जा रहे हैं।
रविवार को सरकारी अस्पतालों में ओपीडी बंद थी, लेकिन जेपी अस्पताल और हमीदिया अस्पताल की शिशु रोग विभाग की इमरजेंसी में 119 बच्चे पहुंचे, जो औसतन रविवार को आने वाले बाल रोगियों की संख्या से तीन गुना अधिक हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, इन वायरस से प्रभावित बच्चों को पूरी तरह रिकवर होने में 7-10 दिन का समय लग रहा है। बीते एक सप्ताह में एम्स, हमीदिया और जेपी अस्पताल में 15 साल से कम आयु के 6 हजार से अधिक बच्चे ओपीडी में पहुंचे हैं।
डॉक्टरों की सलाह जेपी अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. पियूष पंचरत्न ने कहा कि कई परिजन मेडिकल स्टोर से मनमर्जी की दवा देकर बच्चों का इलाज करने की कोशिश करते हैं, जिससे स्थिति और बिगड़ सकती है। बच्चों को खुद से दवा न दें। 100°F से ऊपर बुखार होने पर केवल पैरासिटामॉल दी जा सकती है। यदि आराम न मिले तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
सबसे ज्यादा बच्चों को RSV प्रभावित कर रहा है गांधी चिकित्सा महाविद्यालय में बाल्य एवं शिशु रोग विभाग के प्रोफेसर डॉ. राजेश टिक्कस ने बताया कि वायरल संक्रमण की शुरुआत लगभग एक माह पहले हुई थी, लेकिन बीते एक सप्ताह में यह कई गुना बढ़ गया है। सबसे ज्यादा बच्चे RSV से प्रभावित हैं, इसके बाद हैंड-फुट-माउथ डिजीज और हेपेटाइटिस से पीड़ित बच्चे अस्पताल पहुंचे हैं। कुछ बच्चों में डेंगू के लक्षण भी देखे गए हैं। माता-पिता को सलाह दी जा रही है कि बच्चों में किसी भी लक्षण को नजरअंदाज न करें। बाहर के भोजन से बचें, ज्यादा से ज्यादा लिक्विड डाइट दें, सूती कपड़े पहनाएं और लक्षण दिखने पर स्कूल न भेजें। यदि बच्चे को 48 घंटे में आराम न मिले, तो डॉक्टर को जरूर दिखाएं।
जेपी अस्पताल में बच्चा वार्ड फुल
रविवार शाम तक जेपी अस्पताल का बच्चा वार्ड पूरी तरह भर गया। पीआईसीयू और एचडीयू में लगभग सभी बेड भरे थे। जिन्हें सांस लेने में तकलीफ थी, उन्हें भाप दी जा रही थी और उल्टी-दस्त के साथ भर्ती बच्चों को ड्रिप लगाई जा रही थी ताकि कमजोरी और डिहाइड्रेशन से बचाया जा सके।
बच्चों को 7 दिन तक स्कूल न भेजें डॉक्टरों का कहना है कि जब तक बच्चे पूरी तरह से ठीक न हो जाएं, उन्हें स्कूल या पार्क में भेजने से बचाएं। यह संक्रामक रोग है जो अन्य बच्चों में भी फैल सकता है। कम से कम 7 दिनों का आइसोलेशन जरूरी है।