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विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 2025: थीम, संदेश और जागरूकता पहल

WHO ने विश्व स्वास्थ्य दिवस 2025 की थीम “Healthy Beginnings, Hopeful Futures” घोषित की है। वहीं, 10 अक्टूबर को मनाए जाने वाले विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस की थीम “Mental Health in Humanitarian Emergencies” रखी गई है। जानें दोनों का महत्व।

विश्व स्वास्थ्य दिवस 2025 और मानसिक स्वास्थ्य दिवस 2025 : जानें इस साल की थीम और इसका महत्व

रायपुर। शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2025 | विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 2025 (World Mental Health Day 2025)

हर साल की तरह इस बार भी 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जा रहा है। इस वर्ष की थीम है —
“Mental Health in Humanitarian Emergencies” (मानवीय आपदाओं में मानसिक स्वास्थ्य)

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इस थीम के तहत WHO और विश्व मानसिक स्वास्थ्य महासंघ (WFMH) ने उन लोगों पर ध्यान केंद्रित करने की अपील की है जो युद्ध, प्राकृतिक आपदाओं या सामाजिक संकटों से जूझ रहे हैं।
इस अभियान का लक्ष्य है — मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच और जागरूकता को बढ़ाना, ताकि तनाव, अवसाद और मानसिक आघात से जूझ रहे लोगों को उचित देखभाल मिल सके।

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस की शुरुआत 1992 में संयुक्त राष्ट्र के महासचिव यूजीन ब्रॉडी की पहल पर हुई थी। तब से यह दिवस दुनियाभर में मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता का प्रतीक बन चुका है।

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विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस वर्ष विश्व स्वास्थ्य दिवस 2025 (World Health Day 2025) की थीम घोषित की है —
“Healthy beginnings, hopeful futures” (स्वस्थ शुरुआत, आशावादी भविष्य)

इस साल का फोकस माताओं और नवजात शिशुओं के दीर्घकालिक स्वास्थ्य पर है। WHO ने देशों से अपील की है कि गर्भावस्था, प्रसव और जन्म के बाद की देखभाल में निवेश बढ़ाया जाए, ताकि मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम किया जा सके।

WHO का कहना है कि जीवन के शुरुआती दिनों में अच्छा स्वास्थ्य सुनिश्चित करना ही एक स्वस्थ और आशावादी भविष्य की नींव रखता है। इस थीम का उद्देश्य स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार लाकर मातृ-शिशु कल्याण को केंद्र में लाना है


क्यों ज़रूरी हैं ये दोनों दिवस

आज के समय में शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य एक-दूसरे से जुड़ा हुआ है।
एक स्वस्थ समाज तभी बन सकता है जब उसकी माताएँ, बच्चे और मानसिक रूप से मज़बूत नागरिक स्वस्थ हों।
दोनों दिवस यह संदेश देते हैं कि —
“स्वस्थ शरीर के साथ स्वस्थ मन ही जीवन को सार्थक बनाता है।”

Ashish Sinha

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