छत्तीसगढ़राज्यसूरजपुर

गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ का हमारा सपना प्रदेश के समग्र और बहुआयामी विकास से ही पूरा होगा: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

कोविड-19 के दौर में सकारात्मक सोच के साथ एक-दूसरे के सहभागी बनें : राज्यपाल सुश्री उइके,

a41ad136-ab8e-4a7d-bf81-1a6289a5f83f
ea5259c3-fb22-4da0-b043-71ce01a6842e

गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ का हमारा सपना प्रदेश के समग्र और बहुआयामी विकास से ही पूरा होगा: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री ने उपाधि प्राप्त विद्यार्थियों को दी शुभकामनाएं

पण्डित सुन्दरलाल शर्मा (मुक्त) विश्वविद्यालय छत्तीसगढ़ के पंचम दीक्षांत समारोह में हुए शामिल

mantr
96f7b88c-5c3d-4301-83e9-aa4e159339e2 (1)

रायपुर, 04 अगस्त 2021कोविड-19 के इस दौर में हम सभी सकारात्मक सोच के साथ एक दूसरे के दुख के सहभागी बनें, अपनी क्षमता के अनुसार एक-दूसरे का सहयोग करें।
मानवता की खातिर जो भी काम किया जा सकता है, वह हम सबको मिलकर करना चाहिए। यह बात राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने आज पण्डित सुन्दरलाल शर्मा (मुक्त) विश्वविद्यालय छत्तीसगढ़़ के पंचम दीक्षांत-समारोह को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि हमें भविष्य में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में ऐसे संसाधनों की ज़्ारूरत पड़ेगी, जो भौतिक दूरियों के बावजूद हमारे ज्ञान में अभिवृद्धि कर सकंे। मुक्त विश्वविद्यालय इस क्षेत्र में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। राज्यपाल ने सभी स्वर्ण-पदक एवं उपाधि प्राप्त विद्यार्थियों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। राज्यपाल ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित सुंदर लाल शर्मा को नमन भी किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल, राजस्व मंत्री श्री जयसिंह अग्रवाल, उच्च शिक्षा मंत्री श्री उमेश पटेल सहित अन्य अतिथिगण शामिल हुए।
राज्यपाल सुश्री उइके ने कहा कि प्रदेश के विश्वविद्यालय-महाविद्यालयों में व्याख्याताओं और प्राध्यापकों के पद रिक्त हैं। बस्तर-सरगुजा जैसे दूरस्थ क्षेत्रों में यह समस्या ज्यादा है। इसके कारण शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होती है। साथ ही शिक्षण संस्थानों को अच्छी ग्रेडिंग नहीं मिल पाती है, जिसके कारण उन्हें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से सहायता राशि मिलने में कठिनाई होती है। उन्होंने इन रिक्तियों की जल्द पूर्ति किये जाने की आवश्यकता जताई।
राज्यपाल ने कहा कि समन्वय समिति की बैठक काफी दिनों से नहीं हुई है, इसे जल्द बुलाई जाए, ताकि प्रदेश में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता के लिए नीतिगत निर्णय लिये जा सके। राज्यपाल ने मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल एवं उच्च शिक्षा मंत्री श्री उमेश पटेल को उच्च शिक्षा की गुणवत्ता के लिए किये जा रहे प्रयासों के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने श्री पटेल की महाविद्यालयों में नैक ग्रेडिंग के लिए किये जा रहे प्रयासों के लिए सराहना की।
राज्यपाल ने कहा कि दूरस्थ माध्यम से उच्च शिक्षा, ऐसे शिक्षार्थियों के लिए वरदान साबित होती है, जिन्होंने किसी कारणवश अपनी शिक्षा बीच में छोड़ दी है। ऐसे युवाओं तक शिक्षा पहुँचाना हमारी महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारियों में से एक है। ऐसे शिक्षार्थी प्रदेश और देश के विकास में योगदान दे सकें, इसके लिए इन्हें तैयार करना हमारा उद्देश्य और कर्तव्य दोनों होना चाहिए। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए यह विश्वविद्यालय पूरे मनोयोग से कार्य कर रहा है, यह प्रसन्नता का विषय है।
राज्यपाल ने कहा कि हम लंबे समय से कोरोना महामारी से जूझ रहे हैं। सभी शिक्षण संस्थान बंद पड़े हैं। इसका प्रभाव विद्यार्थियों और हम सब पर भी पड़ा है। यह अच्छी बात है कि ऑनलाईन तरीके से शिक्षा दी जा रही है, लेकिन इसकी एक सीमा है। उन्होंने अन्य विकल्पों पर भी विचार करने की आवश्यकता जताई। सुश्री उइके ने छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के आर्थिक, सामाजिक विकास के लिए विश्वविद्यालय द्वारा जैविक कृषि, उद्यानिकी, पशुधन, वनवासी तथा महिला उत्थान जैसे विषयों पर पाठ्यक्रम संचालित किये जाने का सुझाव दिया।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ का हमारा सपना प्रदेश के समग्र और बहुआयामी विकास से ही पूरा होगा। इस सपने को पूरा करने में अन्य शिक्षण संस्थाओं की तरह पंडित सुंदरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय की तथा यहां से उपाधि अर्जित करने वाले छात्र-छात्राओं की भी अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी छत्तीसगढ़ की माटी से जुड़े होने के कारण, राज्य को न सिर्फ अपना भावनात्मक समर्थन प्रदान करें बल्कि आपकी पूरी प्रतिभा, ऊर्जा और सारे प्रयत्न भी छत्तीसगढ़ के जनजीवन को समृद्ध और खुशहाल बनाने में करें। श्री बघेल ने कहा कि जब हम कहते हैं ‘बात है अभिमान के, छत्तीसगढ़िया स्वाभिमान के’, तो हम चाहते हैं कि राज्य का संपूर्ण गौरव उभर कर सामने आए। हमारे कृषि, वन, जल, खनिज आदि सारे संसाधनों का उपयोग, युवाओं की भागीदारी और रोजगार सुनिश्चित करने में हो। इस तरह एक पंथ-अनेक काज होने चाहिए, जो उच्च शिक्षा के साथ प्रत्येक व्यक्ति का जीवन संवारे, साथ ही प्रदेश के विकास में सबका योगदान दर्ज करे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के कमजोर तबकों के स्वावलंबन के प्रयासों को आगे बढ़ाने में उच्च शिक्षा की भागीदारी किस तरह से अधिक मजबूत हो। खेत-जंगल-जल संसाधन, खदानें, सभी को किस प्रकार से सतत् विकास से जोड़ा जाए और उसमें हमारी युवा शक्ति की केंद्रीय भूमिका हो, यह विचार करने का समय आ गया है।
राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री श्री जयसिंह अग्रवाल ने कहा कि दूरस्थ एवं मुक्त शिक्षा एक नवाचार है, इसके प्रसार के साथ अब इसको एक नयी दिशा दिए जाने की आवश्यकता है। दूरस्थ शिक्षा संस्थाओं को आश्रय देने के लिये निरंतर दिशा निर्देशन हेतु दूरस्थ शिक्षा परिषद को अधिकृत किया गया है, इसको कुछ निश्चित शक्तियां एवं अधिकार प्रदान किए गए हैं, जिससे कि यह एक उत्तरदायी संस्था के रूप में कार्य कर सके।
उच्च शिक्षा मंत्री श्री उमेश पटेल ने कहा कि सुदूर क्षेत्रों में उच्च शिक्षा पहुंचाने का प्रमुख माध्यम, महाविद्यालय होते हैं। इनका विकास हमारा प्रमुख लक्ष्य है। इन महाविद्यालयों के लिए सहायक प्राध्यापकों की भर्ती प्रक्रियाधीन है। राज्य लोक-सेवा आयोग ने कई विषयों के परिणाम घोषित कर दिए हैं। शेष विषयों के परिणाम भी घोषित हो रहे हैं। सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति से प्रदेश में बेहतर शैक्षणिक वातावरण बनाने में हमें सहायता मिलेगी।
कार्यक्रम में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय दिल्ली के कुलपति प्रोफेसर श्री नागेश्वर राव ने अपना दीक्षांत उद्बोधन दिया। साथ ही नेता प्रतिपक्ष श्री धरमलाल कौशिक ने भी समारोह को संबोधित किया। इस अवसर पर सांसद श्री अरूण कुमार साव, संसदीय सचिव श्रीमती रश्मि सिंह एवं श्री पारसनाथ राजवाड़े, विधायक श्री शैलेष पांडेय, श्री रजनीश सिंह, कुलपति डॉ. बंश गोपाल सिंह, विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतिगण एवं विद्यार्थीगण उपस्थित थे।
दीक्षांत समारोह में शिक्षा विषय में 5 शिक्षार्थियों को पीएचडी की उपाधि, इसी तरह मनोविज्ञान और वाणिज्य विषय में 2-2 शिक्षार्थियों को, राजनीति शास्त्र, माईक्रोबायोलॉजी और मैनेजमेंट में एक-एक शिक्षार्थी को पीएचडी की उपाधि दी गई। दीक्षांत समारोह में सत्र जनवरी से दिसम्बर 2019 में कुल 2105 एवं सत्र जुलाई से जून 2019-20 में कुल 10 हजार 730 विद्यार्थियों को उपाधियां और पत्रोपाधि प्रदान की गई। सत्र जनवरी से दिसम्बर 2019 में मेरिट में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले छात्रों कन्दाला श्रीनिवास (एमए राजनीति), चन्द्रशेखर श्रीवास (एमए संस्कृत), विवेकचन्द्र महिलांग (एमए हिन्दी), मोहनला पटेल (एमएससी गणित), विकास कुमार मृधा (पीजीडीसीए), निशा राजवाड़े (एमए अंग्रेजी), चंचल गायकवाड़ (एमए इतिहास), प्रशांत कुमार रंगारी (एमए अर्थशास्त्र), प्रकाश चौहान (एमए समाजशास्त्र), दीपांजली सदावती (बी.लिब एवं आईएससी) को स्वर्ण पदक प्रदान किए गए। इसी प्रकार सत्र जुलाई-जून 2019-20 में डोलेश्वरी (एमए राजनीति), कविता (एमए संस्कृत), चैनूराम नागवंशी (एमएससी गणित), अमीना लकड़ा (बीए), दीपिका गुप्ता (बीएससी), ढालेन्द्र चन्द्राकर (बीकॉम), तोशेन्द्र कुमार साहू (बीएड), उमा पटेल (एमए हिन्दी), प्रियंका साहू (एमए अंग्रेजी), रात्रि आंचला (एमए समाजशास्त्र), कल्पना देवांगन (बी.लिब् एवं आईएससी), रितिका (पीजीडीसीए), संतोष कुमार देवांगन (पीजी डिप्लोमा) को स्वर्ण पदक प्रदान किए गए।

Ashish Sinha

8d301e24-97a9-47aa-8f58-7fd7a1dfb1c6 (2)
e0c3a8bf-750d-4709-abcd-75615677327f

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!