भारतीय राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस (इंटक) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि 3 काले कृषि कानूनों के खिलाफ 500 से ज्यादा किसान. शहादत दे चुके हैं लेकिन सरकारको उनकी पीड़ा नजर नहीं आ रही।संवेदनाएंखो चुकी सरकार निष्ठुर होकर अपनी जिद पर अड़ी है। शैलजा ने कहा कि जब किसान तीनों कानूनों को काले कानून बताते हुए इनसे उन्हें नुक्सान की बात कह रहे हैं तो फिर केंद्र सरकार क्यों जबरन उन्हें इनके फायदे गिनवा रही है? यह सरकार का हठ ही है कि किसानों की बर्बादी का रास्ता इन कानूनों के जरिए निर्धारित करदिया गया है। केंद्र सरकार सिर्फ अपने पूंजीपति मित्रों को फायदा पहुंचाने की कोशिश में लगे हैं। मंडियों को खत्म कर सिर्फ अपने पूंजीपति मित्रों के हाथ की कठपुतली किसानों को बनाने की कोशिश चल रही है
स्वामीनाथ जायसवाल ने कहा कि 3 कृषि कानूनों को पिछले सालपारित किया था। इन्हें पारित करने से पहले न तो किसान संगठनों से सरकार ने चर्चा की और न ही इन कानूनों को लेकर कोई खुली चर्चा कृषि विशेषज्ञों के साथ की। जिस तरीके से ये कानून चुपचाप पास किए गए, उससे किसानों व उनके संगठनों में रोष है। केन्द्र सरकार को किसानों की कोई परवाह नही है,ओर केंद्र सरकार से में यही मांग करता हु की किसानों की बात को सुना जाए।