
रंग-बिरंगे विद्युत बत्तियों की चोरी वोट भी मार्च माह से खराब
बिश्रामपुर-स्थानीय पर्यटन स्थल केनापारा गत एक वर्ष में ही अपने भविष्य को लेकर आंसू बहाने लगा है। पूरा पर्यटन स्थल में लगाई गई रंग बिरंगी विद्युत बत्तियां सहित आसपास की सभी लाइट अज्ञात चोरों द्वारा चोरी कर ली गई है प्रशासन ने बहुत ही पर्यटन स्थल को हाई प्रोफाइल तौर तरीके एवं तामझाम के साथ उद्घाटन किया था और इसे विकसित करने के लिए लंबी लंबी बातें कही गई थी परंतु 1 वर्ष में पूरा पर्यटन स्थल उजाड़ सा दिखने लगा है। पर्यटक बहुत उत्साह से यहां पहुंचते हैं परंतु उन्हें आने के बाद निराशा ही हाथ लग लगती है
जानकारी के अनुसार 8 मार्च 2020 में पर्यटन केंद्र केनापारा जो राष्ट्रीय राजमार्ग 43 सूरजपुर अंबिकापुर से लगा है। केनापारा स्थित एसईसीएल बिश्रामपुर कि बेकार पड़ी पोखरिया (क्वायरी नंबर 6) पानी से भरा लबालब खदान पर प्रशासन द्वारा हाई प्रोफाइल तामझाम के साथ पर्यटन स्थल का उद्घाटन के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से करवाया था ।मुख्यमंत्री ने उद्घाटन के दौरणकहा था पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरगुजा संभाग में यह एक सार्थक एवं अनुकरणीय पहल है। मुख्यमंत्री तत्काल उद्घाटन कर व्यस्ततम कार्यक्रम के कारण जल्दी चल दिए थे जबकि जबकि शेष कार्यक्रम को स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर प्रेमसाय सिंह सरगुजा प्राधिकरण के उपाध्यक्ष खेल साय सिंह, संसदीय सचिव पारसनाथ राजवाड़े सहित अन्य नेता , तत्कालिक कलेक्टर दीपक सोनी जिम्मेदार अधिकारी मौजूद थे। कलेक्टर दीपक सोनी ने भी इस पर्यटन स्थल को को दक्षिण भारत की मैसूर के वृंदावन गार्डन की तरह सजाने संवारने और विकसित करने की बात कही थी परंतु 1 वर्ष में ही पर्यटन स्थल का पहाड़ियों पर लगी हरे भरे वृक्षों के के बीच सैकड़ों रंग बिरंगी विद्युत बत्तियां चोरों ने पार कर दी यही नहीं पर्यटन स्थल के आसपास की सभी विद्युत बत्तियों को भी चोरी कर ली गई जिसके कारण संध्या होते ही पर्यटन स्थल पर अंधेरा छा जाता है
*तत्कालीन कलेक्टर सेनापति ने पर्यटन की नींव डाली थी*
तत्कालिक कलेक्टर के सी देव सेनापति ने पर्यटन के वैभव एवं आकर्षक बनाने का न्यू डाला था ग्रामीण पर्यटन के रूप में विकसित करने के उद्देश्य से विकसित करने का प्रयास तत्कालीन कलेक्टर सेनापति की सार्थक पहल एवं दूरगामी सोच थी जिसे आगे विकसित करने का कदम तत्कालीन कलेक्टर दीपक सोनी ने इसे विकसित करने के लिए पुरजोर कोशिश की थी परंतुआज यह पर्यटन स्थल आपने भविष्य को लेकर आंसू बहा रहा है
*प्रशासनिक उदासीनता एवं रखरखाव के अभाव में व्यवस्था है छिन्न-भिन्न*
शुरुआती दौर में एक करोड़ 97 लाख रुपए की लागत से यह पर्यटन स्थल की नींव रखी गई थी एसईसीएल विश्रामपुर प्रबंधन ने एक करोड़ 97 लाख माईनस क्लोजर मद से राशि जिला प्रशासन के दी थी जबकि प्रशासन ने 14 लाख आठ हजार की लागत से कंट्रक्शन वर्क रोड फॉर लाइवलीहुड एक फ्लोटिंग रेस्टोरेंट का निर्माण कराया था इसी प्रकार 11 लाख आठ हजार फ्लोटिंग रेस्टोरेंट तक के लिए पेवर ब्लॉक रोड का निर्माण कराया था सभी राशियों पर ध्यान दें तो इस पर्यटन स्थल के विकसित करने के लिए लगभग 3 करोड़ का खर्च किया जा चुका है
*पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए ये थी*
पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए पर्यटन स्थल पर निम्न सुविधाएं उपलब्ध कराई गई थी जिसमें फ्लोटिंग ,2 बोट एक वीआईपी दूसरा एफआरपी ।बीआईपी का ₹100प्रति व्यक्ति बुकिंग का 700 ₹ प्रति व्यक्ति एफ आर पी प्रति व्यक्ति ₹50 बुकिंग ₹500 एक चक्कर हेतु उपलब्ध थी जिसमें एफआरपी 8 मार्च 2020से खराब पड़ी है जिसका कोई सुध लेने वाला नहीं है पर्यटक वोटिंग के लिए आते हैं परंतु एक वोटिंग एक वोट होने के कारण अधिकतर पर्यटक आनंद नहीं ले पा रहे। फ्लोटिंग रेस्टोरेंट जो पानी की ऊपरी तल पर तैरता है पर्यटकों के लिए ज्यादा ही आकर्षक बना हुआ जो लोगो को सपरिवार विभिन्न व्यंजनों के लिए अपनी तरफ आकर्षित करता है। केज कल्चर (मच्छ्ली पालन) कुल32 केज है प्रति केज में 2000नग मछलिय पाली जाती है जिसे देखकर पर्यटक उत्साहित हो जाते हैं परंतु प्रशासनिक व कर्मचारियों , स्थानीय लोगों की देखरेख के अभाव में यह पर्यटक स्थल लगता है लगता यह पर्यटन स्थल कुछ ही महीनों में अंतिम सांसे लेने लगे लगेगा
*पर्यटन के साथ रोजगार का मुख्य साधन है*
तत्कालिक कलेक्टर के सी देव सेना पति ने ग्रामीण पर्यटन के रूप में विकसित करने के उद्देश्य से यह एक अच्छा प्रयास किया था उनका मानना था कि पर्यटन से स्थानीय लोगों को रोजगार मछली पालन से एक नई व्यवसाय की शुरुआत होगी। जिसकी एक आवाज पर एसईसीएल प्रबंधन ने भी एक करो ₹97 तत्काल उपलब्ध करा दी थी अब जिला प्रशासन एस ई सी एल प्रबंधन से 10 करोड़ पर्यटन विकास के लिए मांग की है जिसे प्रबंधन ने प्रपोजल बनाकर कंपनी मुख्यालय बिलासपुर को भेज दिया है जिस पर विचार किया जा रहा है अब सवाल यह है कि यदि 10 करोड़ विकास के लिए दे भी दी जाय तो वर्तमान व्यवस्था को देखकर लग रहा है की पूरी राशि बेकार हो जाएगा फिलहाल इस पर्यटन से शिव शक्ति ग्राम संगठन के साथ 26 समितियां जुड़ी हुई है जिसमें समीपस्थ ग्रामों के 286 महिलाएं रोजगार पा रही है
*पर्यटन एवं धार्मिक स्थल दोनोंके रूप में अपनी पहचान बना सकता है*
केनापारा पर्यटन स्थलअपनी पहचान पर्यटन स्थल के साथ-साथ धार्मिक आस्था का केंद्र भी बन सकता है महज3 मीटर दूरी पर प्राचीन समलेश्वरी महामाया मंदिर एवं पहाड़ पर स्थित दक्षिणेश्वरी मां कालरात्रि की मंदिर स्थित जो धार्मिक आस्था का केंद्र है यहां हमेशा भक्तों की भीड़ लगी रहती है यदि प्रशासन इस क्षेत्र को ध्यान दे तो आने वाला समय में धार्मिक केंद्र के साथ-साथ एक विकसित पर्यटन का भी रूप ले सकता है क्योंकि इन दोनों मंदिरों में दर्शन के बाद श्रद्धालु पर्यटन केंद्र स्थल पर जाते हैं
*व्यवस्था के लिए संबंधित अधिकारियों निर्देश*
इस संबंध में संवेदनशील जिला कलेक्टर रणवीर शर्मा से इस ओर ध्यान आकर्षित करने पर उन्होंने बताया कि संबंधित अधिकारियों को बुलाकर व्यवस्था की जानकारी लेने के बाद जल्द से जल्द व्यवस्था सुदृढ़ करने हेतु पहल की जाएगी।