
साइबर स्पेस का दुरुपयोग व्यक्तियों और राष्ट्रों की छवि खराब करने के लिए किया जा रहा हैं :न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा अध्यक्ष, एनएचआरसी
हम जितनी तेज़ी से डिजिटल दुनिया की ओर बढ़ रहे हैं, ठीक उतनी ही तेज़ी से साइबर अपराध की संख्या में भी वृद्धि हो रही है। जिस गति से तकनीक ने उन्नति की है, उसी गति से मनुष्य की इंटरनेट पर निर्भरता भी बढ़ी है। एक ही जगह पर बैठकर इंटरनेट के ज़रिये मनुष्य की पहुँच, विश्व के हर कोने तक आसान हुई है। आज के समय में हर वो चीज़ जिसके विषय में इंसान सोच सकता है, उस तक उसकी पहुँच इंटरनेट के माध्यम से हो सकती है, जैसे कि सोशल नेटवर्किंग, ऑनलाइन शॉपिंग, डेटा स्टोर करना, गेमिंग, ऑनलाइन स्टडी, ऑनलाइन जॉब इत्यादि। आज के समय में इंटरनेट का उपयोग लगभग हर क्षेत्र में किया जाता है। इंटरनेट के विकास और इसके संबंधित लाभों के साथ साइबर अपराधों की अवधारणा भी विकसित हुई है।
Many times cyberspace is being misused to tarnish the image of individuals and nations. People sitting in Constitutional positions may not be able to refute such bogey of unfounded criticism amounting to defamation on social media platforms: Justice Arun Mishra, Chairperson, NHRC pic.twitter.com/OhWk9oVSqB
— ANI (@ANI) February 16, 2022
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा अध्यक्ष, एनएचआरसी के अनुसार की कई बार साइबर स्पेस का दुरुपयोग व्यक्तियों और राष्ट्रों की छवि खराब करने के लिए किया जा रहा है, संवैधानिक पदों पर बैठे लोग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मानहानि के समान निराधार आलोचना के ऐसे दलदल का खंडन करने में सक्षम नहीं हो सकते हैं।
वर्तमान में भारत की बड़ी आबादी सोशल नेटवर्किंग साइट्स का उपयोग करती है। भारत में सोशल नेटवर्किंग साइट्स के उपयोग के प्रति लोगों में जानकारी का अभाव है। इसके साथ ही अधिकतर सोशल नेटवर्किंग साइट्स के सर्वर विदेश में हैं, जिससे भारत में साइबर अपराध घटित होने की स्थिति में इनकी जड़ तक पहुँच पाना कठिन होता है।
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