
सबसे पहले इंदौर और फिर उज्जैन से शुरू होगी सीएम परिवहन सेवा
मध्यप्रदेश में सीएम परिवहन सेवा मार्च से शुरू होगी। सबसे पहले इंदौर और फिर उज्जैन में इलेक्ट्रिक बसों का संचालन होगा। जानें सर्वे, तैयारी और सीएम के निर्देश।
सबसे पहले इंदौर और फिर उज्जैन से शुरू होगी सीएम परिवहन सेवा
सुगम सार्वजनिक परिवहन के लिए तय हुई डेडलाइन, मार्च से बस संचालन की तैयारी
उज्जैन। उज्जैन सहित मध्यप्रदेश के शहरों को जल्द ही नई सीएम परिवहन सेवा का लाभ मिलेगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने परिवहन विभाग की समीक्षा बैठक में निर्देश दिए कि यह सेवा सबसे पहले इंदौर से शुरू की जाए और इसके बाद उज्जैन सहित अन्य शहरों तक इसका विस्तार किया जाए।
मार्च से बसें सड़कों पर
सीएम ने साफ कहा है कि हर हाल में मार्च से पहले बसों का संचालन शुरू कर दिया जाए। वर्ष 2006 में मप्र राज्य सड़क परिवहन निगम बंद होने के बाद से उज्जैन और कई अन्य शहरों में सार्वजनिक परिवहन की सुविधा लगभग ठप है।
उज्जैन में सर्वे पूरा
परिवहन सचिव मनीष सिंह ने जानकारी दी कि उज्जैन में बस संचालन के लिए डिटेल रूट सर्वे पूरा हो गया है। इंदौर और जबलपुर में भी रूट सर्वे और श्रेणीवार बसों की संख्या तय करने का काम लगभग पूरा हो चुका है। अब छह प्रमुख बिंदुओं पर काम किया जा रहा है—
संस्थागत व्यवस्था और स्टाफ
नियम व करों में संशोधन
रूट सर्वे एवं स्कीम की अधिसूचना
आईटी प्लेटफार्म व एजेंसी चयन
परिवहन अधोसंरचना की योजना
ऑपरेटर से चर्चा एवं क्षमता निर्माण
इलेक्ट्रिक बसों को प्राथमिकता
मुख्यमंत्री ने कहा कि नई परिवहन सेवा में यात्रियों की सुविधाओं पर विशेष ध्यान दिया जाए और इसकी शुरुआत इलेक्ट्रिक बसों से करने की कोशिश की जाए। उन्होंने बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ावा देने और सड़क सुरक्षा मानकों को सख्ती से लागू करने के निर्देश भी दिए।
बसों पर शहरों और गांवों के नाम अनिवार्य
सीएम ने निर्देश दिए कि बसों के फ्रंट ग्लास पर शहरों और गांवों के नाम अनिवार्य रूप से प्रदर्शित हों। इसी तरह बस स्टॉप पर भी स्पष्ट नाम लिखे जाएं, ताकि यात्रियों को सुविधा हो। साथ ही वाहन चालकों के दस्तावेजों की वैधता की नियमित जांच और गति सीमा पर सख्त नियंत्रण सुनिश्चित करने को कहा गया।
परिवहन का बढ़ता दायरा
परिवहन विभाग ने जानकारी दी कि इस वर्ष 16 लाख 60 हजार वाहनों का पंजीयन किया गया है। इनमें से 2 लाख 58 हजार यानी लगभग 15 प्रतिशत इलेक्ट्रिक वाहन हैं। यह आंकड़ा प्रदेश में तेजी से बढ़ती ई-व्हीकल संस्कृति को दर्शाता है।