
Gayatri jayanti 2021: इस दिन है वेदों की जननी मां गायत्री की जयंती, जानें तिथि, महत्व और पूजा विधि
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मां गायत्री का प्राकट्य हुआ था, इसलिए हर वर्ष ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी के साथ गायत्री जयंती का पावन पर्व भी मनाया जाता है। इस बार गायत्री जयंती 21 जून 2021 दिन सोमवार को मनाई जाएगी। इस दिन माता गायत्री की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। निर्जला एकादशी और गायत्री जयंती एक साथ होने से इस तिथि का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की कृपा के साथ मां गायत्री की कृपा भी प्राप्त की जा सकती है। मां गायत्री वेदों की जननी हैं, इसलिए इन्हें वेद माता कहा जाता है। मंत्रों में श्रेष्ठ माने जाने वाले मंत्र गायत्री मंत्र की ये अधिष्ठात्री देवी हैं। इनके हाथों में चारों वेद सुरक्षित हैं, पौराणिक कथाओं के अनुसार इन्हें भगवान ब्रह्मा की पत्नी हैं और इनका मूल रूप श्री सावित्री देवी है। ये सिद्धियों को प्रदान करने वाली देवी मानी गई हैं। तो आइए जानते हैं गायत्री जयंती महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।
गायत्री जयंती शुभ मुहूर्त
इस वर्ष 21 जून 2021 सोमवार को गायत्री जयंती मनाई जाएगी।
ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि आरंभ- 20 जून 2021 दिन रविवार शाम 04 बजकर 21 मिनट से
ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि समाप्त- 21 जून 2021 दिन सोमवार दोपहर 01 बजकर 31 मिनट तक
ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04 बजकर 04 मिनट से लेकर 04 बजकर 44 मिनट तक
अभिजित मुहूर्त- प्रातः 11 बजकर 55 मिनट से दोपहर 12 बजकर 51 मिनट तक
विजय मुहूर्त- दोपहर 02 बजकर 43 मिनट से शाम 03 बजकर 39 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त- शामि 07 बजकर 08 मिनट से 07 बजकर 32 मिनट तक
अमृत काल- सुबह 08 बजकर 43 मिनट से सुबह 10 बजकर 11 मिनट तक
गायत्री जयंती महत्व-
सनातन धर्म में गायत्री जयंती का बहुत अधिक महत्व होता है क्योंकि मां गायत्री से ही चारों वेदों की उत्तपत्ति हुई है। मान्यता है कि गायत्री जयंती के दिन विधि-विधान के साथ पूजन करने से वेदों के अध्ययन करने के समान फल की प्राप्ति होती है। शिक्षा प्राप्त करने वाले और आध्यात्मिक अध्यापन करने वालों के लिए यह दिन अतिउत्तम रहता है। इस दिन गायत्री मंत्र के जाप का विशेष महत्व होता है।
गायत्री जयंती पूजा विधि-
इस दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
इसके बाद मंदिर की साफ-सफाई करके गंगाजल छिड़ककर पवित्र करें।
इसके बाद मां गायत्री और समस्त देवी-देवताओं को प्रणाम करें व दीप प्रज्वलित करें।
मां गायत्री का ध्यान करते हुए पुष्प अर्पित करें।
इसके बाद आसन लगाकर वहीं पर गायत्री मंत्र का जाप करें।
जाप पूर्ण हो जाने के पश्चात मां को भोग लगाएं।
गायत्री मंत्र
‘ऊं भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात्।।