देशब्रेकिंग न्यूज़स्वास्थ्य

कोरोना वायरस: प्लाज्मा थेरेपी कितनी कारगर है, जानें क्या कहना है एक्सपर्ट का?

कोरोना संकट के दौरान प्लाज्मा की अहमियत बहुत बढ़ गई है लेकिन लोगों को इसके बारे में सही जानकारी का आभाव है. इसके बारे में सही जानकारी होना बहुत जरूरी है.

देश की कई न्यूज़ चैनलों के द्वारा यह बताया जा रहा है कि Plasma Therapy नहीं कोरोना के इलाज में कारगर,तू कहीं कुछ न्यूज़ चैनलों द्वारा बताया जा रहा है कि यह पूर्ण रूप से कारगर है आइए जानते हैं कुछ इसके महत्वपूर्ण तथ्य जो हमारे लिए हो सकते हैं फायदेमंद

a41ad136-ab8e-4a7d-bf81-1a6289a5f83f
ea5259c3-fb22-4da0-b043-71ce01a6842e

नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी ( Plasma Therapy ) सफल नहीं पाई गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना वायरस ( Coronavirus ) का प्रभाव जब तक गले में रहता है तब तक ही प्लाज्मा थेरेपी कारगर होती है। संक्रमण के गले से नीचे उतरने के बाद और मरीज की स्थिति गंभीर होने के बाद प्लाज्मा थेरेपी अनुपयोगी हो जाती है। कोरोना वायरस के लिए शुक्रवार को आईसीएमआर टास्क फोर्स की हुई बैठक में सभी सदस्य कई मामलों में इसकी अप्रभावीता और अनुचित उपयोग का हवाला देते हुए कोविड -19 रोगियों के प्रबंधन के लिए गाइडलाइंस से प्लाज्मा के उपयोग को हटाने के पक्ष में दिखे। जानकारी के अनुसार आईसीएमआर जल्द ही इस इश्यू पर एक एडवाइजरी जारी करेगा।

प्लाज्मा थेरेपी अतार्किक और गैर वैज्ञानिक

मौजूदा गाइडलाइंस शुरुआती या सेकेंड स्टेज वाली बीमारी के लक्षणों की शुरुआत के सात दिनों के भीतर प्लाज्मा थेरेपी के “ऑफ लेबल” उपयोग की अनुमति देता है। आपको बता दें कि प्लाज्मा थेरेपी को कोरोना संक्रमण के इलाज संबंधी गाइडलाइंस से हटाने पर विचार विमर्श ऐसे समय हुआ है, जब कुछ डॉक्टरों और वैज्ञानिकों ने चीफ साइंटिस्ट एडवाइजर विजयराघवन को पत्र लिखकर देश में कोरोना के इलाज के लिए प्लाजमा थेरेपी के अतार्किक और गैर वैज्ञानिक इस्तेमाल को लेकर चेताया है। यह पत्र एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया और आईसीएमआर के प्रमुख बलराम भार्गव को भेजा गया है।

प्लाज्मा थेरेपी पर मौजूदा गाइडलाइन प्रमाण आधारित नहीं

पत्र में कहा गया है कि प्लाज्मा थेरेपी पर मौजूदा गाइडलाइन प्रमाण आधारित नहीं है। इस पत्र में कुछ वीक इम्यून सिस्टम वालों को प्लाज्मा थेरेपी देने और कोरोना के नए वैरिएंट बनने के बीच संबंध की बात भी कही गई है। यह पत्र वैक्सीन विज्ञानी गगनदीप कांग, सर्जन प्रमेश सीएस आदि की ओर से लिखा गया है। पत्र में कहा गया है कि हाल के कुछ प्रमाणों से यह साफ पता चलता है कि प्लाज्मा थेरेपी कोरोना मरीजों के इलाज में कारगार साबित नहीं हो पा रही है। बावजूद इसके देशभर में इसका इस्तेमाल किया जा रहा है।
नई दिल्ली: कोरोना संकट में प्लाज्मा थेरेपी को लेकर कई बातें कही जा रही हैं. इसी को लेकर एबीपी न्यूज़ के द्वारा आईसीएमआर वायरोलॉजी प्रमुख, डॉ समीरन पांडा से विशेष बातचीत की आइए जानते हैं उन्होंने क्या बताया

mantr
96f7b88c-5c3d-4301-83e9-aa4e159339e2 (1)

सवाल: करोना के क्लिनिकल मैनज्मेंट में प्लाज़्मा का क्या रोल है?

जवाब: प्लाज़्मा जिसके बारे में सभी ने कहा कि ये कारगर रहेगा आईसीएमआर और एम्स को उसका एक ट्रायल करने से पता चला कि उसका नाम है प्लाएसी ट्रायल. उसमें ये पता चला कॉन्वलेसेन्स प्लाज़्मा कोई ख़ास कारगर नहीं है. इस ट्रायल का ही रिज़ल्ट ब्रिटिश मेडिकल जर्नल ने पब्लिश किया हैं. उसी से पता चला कि क्लिनिकल ट्रायल के रिज़ल्ट साबित नहीं हुए. उसी आधार पर मैं ये कहना चाहूंगा कि जब कोई महामारी होती है या कोई ऐसी स्थिति हो तब पता नहीं चलता की कौन सी दवाई कामयाब होगी कौन सी नहीं होगी. इसीलिए मैं सबको ये सलाह देना चाहूंगा कि आईसीएमआर का जो ट्रीटमेंट गाइड लाइन है उसी का पालन करें. तीन चार अलग अलग देशों से भी ये जानकारी निकल कर आई है कि convoscslent प्लाज़्मा को खास तरीक़े का इलाज हम नहीं मान सकते हैं. अब जो ये कालाबाजारी करने वाले हैं वो लोगों को उल्टा सीधा समझाने की कोशिश करते हैं. इसलिए ये ज़रूरी है कि क्या कामयाब हैं क्या नहीं है इसका पता हो. जो भी सलाह है वो किसी फ़िज़िशन से ही लेना चाहिए और जो आईसीएमआर की गाइडलाइंस हैं उसी में हम इंडीकेट किए हैं कि कौन सी दवाई कब लेनी चाहिए.

सवाल: अगर किसी को प्लाज्मा दिया जाता है तो उसे भविष्य में किसी तरह की दिक्कत हो सकती है

जवाब: वो संक्रमित है या नहीं है ये एक एकेडमिक सवाल है. मैं डराना नहीं चाहता हूं. उसका बहुत सारा साइड इफेक्ट हो सकता है इसीलिए मैं कहना चाहता हूं कि जो चीज़ कारगर नहीं है उसके पीछे पैसे बर्बाद मत कीजिए. खुद का इलाज खुद मत कीजिए

इन रोगियों पर प्लाज्मा का कम हुआ असर

अर्जेंटीना में एक क्लिनिकल ट्रायल में इस बात का खुलासा हुआ है कि निमोनिया के गंभीर मामलों में प्लाज्मा थेरेपी (Plasma Therapy) का बहुत कम फायदा हुआ. द न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित स्टडी में बताया गया है कि प्लाज्मा थेरेपी की प्रभावशीलता के सीमित प्रमाण मौजूद हैं.

प्लाज्मा से मरीजों के स्वास्थ्य में सुधार नहीं

स्टडी में बताया गया है कि इसे ‘आक्षेपिक प्लाज्मा थेरेपी’ (Convalescent Plasma Therapy) के रूप में जाना जाता है. परीक्षण में पाया गया कि प्लाज्मा से न तो मरीजों के स्वास्थ्य में सुधार हुआ और ना ही वायरस के कारण होने वाली मृत्यु के जोखिम में कमी आई.

ज़ी न्यूज़ की खास रिपोर्ट देखिए

Ashish Sinha

8d301e24-97a9-47aa-8f58-7fd7a1dfb1c6 (2)
e0c3a8bf-750d-4709-abcd-75615677327f

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!