
राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री के विरुद्ध सोशल मीडिया में अभद्र टिप्पणी करने वाले शिक्षक पर एफ आई आर दर्ज करने की मांग……………
राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री के विरुद्ध सोशल मीडिया में अभद्र टिप्पणी करने वाले शिक्षक पर एफ आई आर दर्ज करने की मांग……………
ब्यूरो चीफ/सरगुजा// राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरुद्ध सोशल मीडिया में अभद्र टिप्पणी करने वाले शिक्षक गणेश प्रसाद राजवाड़े पर एफ आई आर दर्ज करने की मांग की गई। पुलिस कोतवाली पहुंच कर भाजपा जिला अध्यक्ष ललन प्रताप सिंह, जनजाति गौरव समाज के प्रदेश सचिव राम लखन सिंह पैकरा, जनजाति गौरव युवा समाज के प्रदेश सचिव अंकित तिर्की ,भाजपा जिला महामंत्री अभिमन्यु गुप्ता , विनोद हर्ष, मंजूषा भगत, पुरन टेकाम, कृष्णा कोरवा, राजा चावर, प्रकाश सिंह, नीलम रजवाड़े सहित जनजाति गौरव समाज के अन्य पदाधिकारियों ने थाने में आवेदन प्रस्तुत कर एफ आई आर दर्ज करने की मांग की।
जनजाति गौरव महिला समाज की जिलाध्यक्ष अनामिका पैकरा ने बताया कि शासकीय माध्यमिक शाला बतरा विकासखंड भैयाथान जिला सूरजपुर में पदस्थ शिक्षक गणेश प्रसाद राजवाड़े द्वारा अपने मोबाइल नंबर 9131103055 के माध्यम से सोशल मीडिया व्हाट्सएप ग्रुप में नवनिर्वाचित अनुसूचित जनजाति समाज की महिला का प्रथम बार भारत के सर्वोच्च पद महामहिम राष्ट्रपति के पद पर निर्वाचित होने के संबंध में अभद्र, अमर्यादित, अशोभनीय टिप्पणी की गई है, जिससे अनुसूचित जनजाति समाज की भावना आहत हुई है और टिप्पणी से समाज और समुदाय के बीच शत्रुता, घृणा व वैमनस्यता जैसी स्थिति उत्पन्न होते हुए आपसी सामंजस्य एवं सौहार्द खराब होने की संभावना हैl
आगे उन्होंने कहा कि ऐसे अमर्यादित टिप्पणी से महामहिम राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री के छवि को बिगाड़ने के साथ ही सामाजिक एवं राजनीतिक सौहार्द बिगाड़ने का कुत्सित प्रयास किया गया है, यह जानते हुए कि महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू एक सीधी सरल और समाजसेवी महिला होकर अनुसूचित जनजाति समाज से हैं फिर भी उक्त व्यक्ति द्वारा इनकी छवि को बिगाड़ने अपमानित करने एवं कलंकित करने जैसा अभद्र टिप्पणी किया गया है, आगे उन्होंने कहा कि जनजाति गौरव समाज यह मांग करती है कि एक शासकीय शिक्षक होते हुए ऐसे कृत्य करने वाले के विरुद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज करते हुए शासकीय सेवा से बर्खास्त किया जाए तथा भारतीय दंड विधान एवं अनुसूचित जाति तथा जन अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत कार्यवाही की जावे।