छत्तीसगढ़ताजा ख़बरेंदेशब्रेकिंग न्यूज़राजनीतिराज्यरायपुर

औषधीय गुणों वाली जड़ी-बूटियों के बारे में आदिवासियों के पारंपरिक ज्ञान को बचाने की जरूरत:मुर्मू

औषधीय गुणों वाली जड़ी-बूटियों के बारे में आदिवासियों के पारंपरिक ज्ञान को बचाने की जरूरत:मुर्मू

a41ad136-ab8e-4a7d-bf81-1a6289a5f83f
ea5259c3-fb22-4da0-b043-71ce01a6842e

रायपुर/ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने औषधीय गुणों वाली जड़ी-बूटियों और पेड़-पौधों के बारे में ग्रामीणों और आदिवासियों के पारंपरिक ज्ञान को दस्तावेजीकरण करने पर जोर दिया है, ताकि इस ज्ञान को विलुप्त होने से बचाया जा सके।

राष्ट्रपति ने नवाब रायपुर में पंडित दीनदयाल स्मृति स्वास्थ्य विज्ञान एवं आयुष विश्वविद्यालय के तीसरे दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि चिकित्सकों को अपने काम का कुछ समय ग्रामीण क्षेत्रों में बिताने पर विचार करना चाहिए।

उन्होंने मलेरिया, फाइलेरिया और तपेदिक को देश से बाहर करने के लिए सरकारी उपायों पर भी चर्चा की।

mantr
96f7b88c-5c3d-4301-83e9-aa4e159339e2 (1)

राष्ट्रपति ने कहा,‘‘छत्तीसगढ़ जड़ी-बूटियों और औषधीय पेड़-पौधों का खजाना है। ग्रामीणों और आदिवासी भाइयों-बहनों को औषधीय जड़ी-बूटियों और पेड़-पौधों का ज्ञान है। विलुप्त होने से बचाने के लिए ऐसे ज्ञान का दस्तावेजीकरण आवश्यक है। वनवासियों के ज्ञान पर शोध को बढ़ावा देकर इस ज्ञान का व्यापक रूप से उपयोग किया जा सकता है। इस कदम से नौकरी भी मिलेगी।‘’

डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की हाल ही में जारी हुई “लिविंग प्लैनेट” रिपोर्ट में 2024 में भारत के खाद्य पदार्थों को अर्थव्यवस्था में सबसे अधिक टिकाऊ माना गया है।

राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘यह हमारी पारंपरिक जीवन शैली, जो हमें आयुर्वेद से मिलती है, के महत्व को रेखांकित करता है।‘’

उनका कहना था कि मलेरिया, फाइलेरिया और तपेदिक जैसी संक्रामक बीमारियां देश में अभी भी पूरी तरह से खत्म नहीं हुई हैं, लेकिन भारत सरकार इन बीमारियों को खत्म करने का प्रयास कर रही है।

राष्ट्रपति ने कहा कि सिकल सेल एनीमिया आदिवासी समुदायों में एक बड़ी समस्या है और भारत सरकार राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया मिशन के तहत इसे नियंत्रित करने की कोशिश कर रही है।

Ashish Sinha

8d301e24-97a9-47aa-8f58-7fd7a1dfb1c6 (2)
e0c3a8bf-750d-4709-abcd-75615677327f

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!