कोरोना संकट के बीच हो सकता है, बिजली की बड़ी संकट*
छत्तीसगढ़ जहां कोरोनावायरस के बढ़ती महामारी से जूझ रही है तो वहीं दूसरी ओर बिजली की भारी संकट से जूझ सकती है। वर्तमान में भारी गर्मी और लॉकडाउन की स्थिति में यदि बिजली की भारी समस्या आयी तो पानी, चिकित्सा, बैंक एवं परिवहन पर इसका बड़ा असर हो सकता है।। वर्तमान में विद्युत मंडल के अधिकांश कार्य घरों से ही तो वही कई कार्य डिवीजन एवं डीसी बंद होने से बाधित है ।
किंतु विभाग में एक कार्य ऐसा भी है जिन्हें केवल कार्य स्थल से ही संचालन किया जा सकता है । भारी बारिश, तुफानो और दुनिया के सबसे बड़ी महामारी के बीच कोरोना योद्धा के रूप में 24 घण्टे सेवा दे रहे 33/11 केव्ही ठेका ऑपरेटर्स के तरफ न तो सरकार ध्यान दे रही है और न ही प्रशासन का ध्यान है। शर्म तो तब आती है जब यह जान से खेलने वाले ठेका कर्मचारी अपने ही मेहनत की राशि के लिए 5 से 6 माह भटकता है और बिजली विभाग के बड़े अधिकारी भी इन कर्मचारियों को वेतन दिलाने में हमेशा की तरह असमर्थ होते है क्यों कि ठेकेदार कोई दूसरा नही, बड़े – बड़े भाषण देने वाले नेताओं के रिश्तेदार है तो कोई खास आदमी है।
ठेका मजदूर संघ के अध्यक्ष गुलेन्द्र यादव ने बताया है छत्तीसगढ़ बिजली विभाग के ठेका कर्मियों का हालत वर्तमान स्थिति में भी में इतनी दैनीय है कि वेतन तक नसीब नही है जब कि ऐसे समय मे सरकार को ये बिल्कुल सोचना चाहिए की अतिआवश्यक मैदानी सेवा कर्मचारियों को बीमा, भत्ता और वेतन जैसे सुविधाओ का अच्छि तरह से ख्याल रखा जाए।
*विभाग ले जल्दी निर्णय अन्यथा प्रदेश के 1300 सब -स्टेशन हो सकते है बाधित*
ठेका कर्मचारी मजदूर संघ के प्रदेश महामंत्री दिनेश कुमार साहू ने बताया कि वर्तमान में सैकड़ो ठेका कर्मचारी कार्य के दौरान महामारी से ग्रसित होकर बिना वेतन के है, जिससे वह कोरोना के साथ – साथ आर्थिक तंगी की महामारी भी झेल रहे है।समस्याओं और मांगो के लिए बिजली प्रबंधन आंख और कान दोनों बंद करके रखी है लेकिन संकट के समय काम निकालना हो तो ठेका कर्मियों को ड्यूटी पास देकर, बीमा-भत्ता से वंचित रखा जाता है और मैदान में मरने के लिए छोड़ दिया जाता है ऐसे दोहरी नीति से किसी भी कर्मी का आंदोलन हेतु आक्रोशित होना जायज है जिससे प्रदेश के समस्त उपकेंद्रों का कार्य बाधित एवं उच्च ताप केंद्रों में भी तकनीकी समस्याओं का संकट की संभावना है।
*मांगते है ठेकाकर्मी, मिलता है नियमित या संविदा को*
मजदूर संघ के संयुक्त महामंत्री घनश्याम देशमुख ने बताया कि 33/11केव्ही में कार्यरत ठेका ऑपरेटर्स के द्वारा कुशल श्रेणी की मांग पिछले 15 से 17 वर्षों से किया जा रहा है लेकिन पिछले 2 वर्ष का अनुभव रखने वाले संविदा कर्मियों को, जिनका शैक्षणिक योग्यता, कार्य क्षेत्र और न ही अनुभव किसी भी शर्त में कुशल श्रेणी के लायक नही है।
प्रबंधन का संविदा कर्मियों को कुशल श्रेणी का निर्णय ठेका मजदूर संघ के साथ धोखा और मजदूरों के साथ खिलवाड़ है क्यों कि कुशल श्रेणी के लिए ठेका मजदूर संघ हमेशा प्रबंधन के साथ बैठक करती आई है और प्रबंधन के तरह से आश्वासन भी मिलते आया है। ऐसे में संघ आंदोलन हेतु बाध्य है।
साथ ही यह भी बताया कि वेतन की मांग को लेकर बस्तर रीजन के चार जिले 11 अप्रैल से काम बंद हड़ताल पर बैठी है जिसमे विभाग ने ठेकेदार को ब्लैक लिस्ट करते हुए समस्त कर्मचारियों को विभागीय वेतन प्रदाय करने का आश्वासन दिए लेकिन अभी तक अप्राप्त है जिससे कर्मचारियों आंदोलन जारी है।
*ठेका मजदूर संघ का यह है मांग*
वर्तमान में ठेका उपकेंद्रों के ऑपरेटर्स को छोड़ समस्त कर्मचारी घर से ही संचालन कर रही है ऐसे में हमे :-
1. समस्त कोरोना वॉरियर्स (कोरोना योद्धा) घोषित करते हुए संक्रमण पश्चात वेतन में किसी भी प्रकार से कटौती न किया जावे एवं उपचार हेतु बेहतर सुविधा मुहैया कराया जावे तथा स्वस्थ होने तक कर्मचारी की वैकल्पिक व्यवस्था किया जावे साथ ही संक्रमण पश्चात मृत्यु की दशा में सम्बंधित परिवार को 50 लाख की एकमुश्त राशि प्रदाय किया जावे।
2. कार्यकुशलता, अनुभव एवं शैक्षणिक योग्यता के आधार पर कुशल श्रेणी प्रदाय किया जावे।
राजनांदगांव से मानसिंग की रिपोर्ट……..
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