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नाक के स्प्रे से 99.99% कोरोना वायरस खत्म, SaNOtize कंपनी का दावा

देश को जल्द मिलेगी नाक से दी जाने वाली वैक्सीन, भारत बायोटेक कंपनी को मिली ट्रायल की मंजूरी

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इस विषय में कई न्यूज़ चैनल के माध्यम से जानकारी प्राप्त हुई है आइए जानते हैं विस्तृत से कितना सफल और कारगर साबित हो सकता है नाक से दी जाने वाली वैक्सीन।

भारत बायोटेक ने नेजल वैक्सीन का ट्रायल हैदराबाद में 10 वालंटियर के साथ शुरू कर दिया है. पहले चरण में 175 लोगों पर यह ट्रायल किया जाएगा. जिसके जरिए नाक में वैक्सीन डाली जाएगी. आईसीएमआर की मानें तो इसके दो बड़े लाभ हैं. पहला कोरोना का संक्रमण नाक और मुंह के जरिए फैलता है, ऐसे में सीधे नाक में वैक्सीन डालकर त्वरित और इफेक्टिव तरीके से वैक्सीन दी जा सकती है और दूसरा इंजेक्शन लगाने की वजह से कई बार दर्द, अकड़न समेत टीकाकरण के कुछ साइड इफेक्ट देखने को मिलते हैं, अब वह भी नहीं होंगे. भारत बायोटेक को इस वैक्सीन से काफी उम्मीदें हैं.

नाक के स्प्रे से 99.99% कोरोना वायरस खत्म, SaNOtize कंपनी का दावा

कोरोना वायरस काल में एक अच्छी खबर आई है. कनाडा की कंपनी सैनोटाइज (SaNOtize) ने दावा किया है कि उसने नाक से डालने वाला ऐसा स्प्रे बनाया है जो 99.99 फीसदी कोरोना वायरस को खत्म कर देता है. कंपनी ने कहा कि उनका ये स्प्रे कोरोना से बीमार लोगों के इलाज का वक्त कम कर देगा. साथ ही इस महामारी के लक्षणों की गंभीरता से बचाव मिलेगा.

यूके में ट्रायल्स के चीफ इन्वेस्टीगेटर डॉ. स्टीफन विन्चेस्टर ने कहा कि कोरोना महामारी के खिलाफ चल रही वैश्विक लड़ाई में ये स्प्रे सबसे बड़ा हथियार साबित होगी. यह एक आंदोलनकारी दवा साबित होगी. आपको बता दें कि दुनिया भर में कोरोना के खिलाफ नाक से डालने वाली दवाओं के लेकर काफी रिसर्च चल रही है. कई दवा कंपनियां तो इनका ट्रायल भी कर रही हैं.

हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक कोरोफ्लू (CoroFlu) नाम की वैक्सीन विकसित कर रहा है. कोरोना वायरस के इलाज के लिए बनाई जा रही यह वैक्सीन शरीर में सिरिंज से नहीं डाली जाएगी. इस वैक्सीन की एक बूंद को पीड़ित इंसान की नाक में डाला जाएगा. भारत बायोटेक ने इस वैक्सीन को अमेरिका, जापान और यूरोप में बांटने के लिए सभी जरूरी अधिकार प्राप्त कर लिए है

इस वैक्सीन का पूरा नाम है- कोरोफ्लूः वन ड्रॉप कोविड-19 नेसल वैक्सीन. कंपनी का दावा है कि यह वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित है. क्योंकि इससे पहले भी फ्लू के लिए बनाई गई दवाइयां सुरक्षित थीं. इस वैक्सीन का फेज-1 ट्रायल अमेरिका के सेंट लुईस यूनिवर्सिटी वैक्सीन एंड ट्रीटमेंट इवैल्यूएशन यूनिट में होगी. अगर भारत बायोटेक को जरूरी अनुमति और अधिकार मिलता है तो वह इसका ट्रायल हैदराबाद के जीनोम वैली में भी करेगी.

इस वैक्सीन को बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक के चेयरमैन डॉ. कृष्णा एला ने बताया कि हम इस वैक्सीन की 100 करोड़ डोज बनाएंगे. ताकि एक ही डोज में 100 करोड़ लोग कोरोना वायरस जैसी महामारी से बच सके. इस वैक्सीन की वजह से सुई, सीरींज आदि का खर्च नहीं आएगा. इसकी वजह से वैक्सीन की कीमत भी कम होगी. चूहों पर किए गए अध्ययन में इस वैक्सीन ने बेहतरीन परिणाम दिखाए हैं. इसकी रिपोर्ट प्रसिद्ध साइंस जर्नल सेल और नेचर मैगजीन में भी छपी है.

वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के रेडिएशन ऑन्कोलॉजी के प्रोफेसर और बायोलॉजिक थेराप्यूटिक्स सेंटर के निदेशक डॉ. डेविड टी क्यूरिएल ने कहा है कि नाक से डाली जाने वाली वैक्सीन आम टीकों से बेहतर होती है. यह वायरस पर उस जगह से ही हमला करने लगती है जहां से वह प्राथमिक तौर पर ही नुकसान पहुंचाना शुरू करता है. यानी शुरुआत में ही वायरस को रोकने का काम शुरू हो जाता है.

एम2एसआर बेस पर बनने वाली कोरोफ्लू दवा में कोविड-19 का जीन सीक्वेंस मिलाने से अब यह दवा कोरोना वायरस से लड़ने के लिए तैयार हो गई है. यानी जब यह वैक्सीन आपके शरीर में डाली जाएगी तब आपके शरीर में कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बन जाएंगे. कोरोफ्लू की वजह से बने एंटीबॉडी कोरोना वायरस से लड़ने में आपकी मदद करेंगे.

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कनाडा की यूनिवर्सिटी ऑफ वाटरलू के वैज्ञानिकों ने डीएनए बेस्ड वैक्सीन बनाई है. नीदरलैंड्स में वैजेनिंजेन, बायोवेटरीनरी रिसर्च और यूट्रेच यूनिवर्सिटी ने मिलकर इंट्रावैक नेसल वैक्सीन बनाई है. इसके अलावा अमेरिका की अल्टीइम्यून नाम की दवा कंपनी एडकोविड नेसल वैक्सीन बना रही है. फिनलैंड के यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्टर्न फिनलैंड और यूनिवर्सिटी ऑफ हेलसिंकी ने भी नेसल वैक्सीन बनाई है.

कोविड-19 के अधिकांश मामलों में यह पाया गया है कि कोरोना वायरस म्यूकोसा के माध्यम से शरीर मे प्रवेश करता है और म्यूकोसल मेमब्रेन में मौजूद कोशिकाओं और अणुओं को इन्फेक्टेड करता है। अगर हम नाक के माध्यम से वैक्सीन देंगे तो यह काफी प्रभावी हो सकती है। इसीलिए दुनिया भर में नेजल यानी नाक के जरिए भी इस वैक्सीन को देने के विकल्प के बारे में सोचा जा रहा है।

नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी.के. पॉल के अनुसार, नेजल वैक्सीन अगर सफल हो जाती है तो यह हमारे लिए एक ‘गेम चेंजर’ साबित हो सकती है, क्योंकि इसे आप खुद भी ले सकते हैं।

भारत बॉयोटेक के एम.डी. कृष्णा एल्ला ने कहा कि इंजेक्टेबल टीके केवल निचले फेफड़ों तक की रक्षा करते हैं, ऊपरी फेफड़े और नाक की रक्षा नहीं की जाती है। वह कहते हैं, ‘यदि आप नेजल वैक्सीन की एक खुराक भी लेते हैं तो आप संक्रमण को रोक सकते हैं। इससे आप ट्रांसमिशन चेन को तोड़ पाएंगे। इसलिए केवल चार बूंद लेनी होगी। यह ठीक पोलियो की तरह, एक नथुने में 2 और दूसरे में 2 ड्रॉप।’

नेजल वैक्सीन के फायदे

1. इंजेक्शन से वैक्सीन लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

2. नाक के अंदरूनी हिस्सों में इम्यून तैयार होने से सांस से संक्रमण का खतरा कम हो जाएगा।

3. इंजेक्शन से वैक्सीन नहीं लगेगी तो हेल्थवर्कर्स को ट्रेनिंग की जरूरत नहीं होगी।

4. इसका उत्पादन आसान होगा, जिससे वैक्सीन वेस्टेज की संभावना घटेगी।

5. इसे अपने साथ कहीं भी ले जा सकेंगे, स्टोरेज की समस्या कम होगी।

कैसे नेजल वैक्सीन दूसरी इंजेक्शन वाली वैक्सीन से अलग है?

वैक्सीन को लगाने के अलग-अलग तरीके हो सकते हैं। कुछ वैक्सीन इंजेक्शन के जरिए दी जाती हैं तो कुछ ओरल दी जाती हैं, जैसे पोलियो और रोटावायरस वैक्सीन। वहीं कुछ वैक्सीन नाक के जरिए भी दी जाती हैं। इंजेक्टेड वैक्सीन को सुई की मदद से हमारी त्वचा पर इंजेक्ट कर लगाया जाता है। वहीं नेजल वैक्सीन को हाथों से या मुंह के जरिए नहीं नाक के जरिए दिया जाता है। इसके माध्यम से म्यूकोसल मेम्ब्रेन में मौजूद वायरस को निशाना बनाया जाता है। वहीं, इंट्रामस्क्युलर टीके या इंजेक्शन, म्यूकोसा से ऐसी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को ट्रिगर करने में सफल नहीं हो पाते हैं और शरीर के अन्य भागों से प्रतिरक्षा पर निर्भर करते हैं।

अभी तक 175 लोगों को दी गई नेजल वैक्सीन

अप्रैल में ही हैदराबाद स्थित भारत बॉयोटेक कंपनी की इंट्रानेजल वैक्सीन, BBV154 के पहले चरण के परीक्षण की मंजूरी मिल चुकी है। यह मंजूरी ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया की विशेषज्ञ समिति द्वारा दी गई है। क्लीनिकल ट्रायल्स रजिस्ट्री के अनुसार, 175 लोगों को नेजल वैक्सीन दी गई है। इन्हें तीन ग्रुप में बांटा गया है। पहले और दूसरे ग्रुप में 70 वालंटियर रखे गए हैं और तीसरे में 35 वालंटियर रखे गए हैं। पहले ग्रुप को सिंगल डोज वैक्सीन पहली विजिट पर दी जाएगी और प्लेसिबो 28वें दिन पर। वहीं दूसरे ग्रुप को दो डोज, पहले दिन और 28वें दिन इंट्रानेजल वैक्सीन की दी जाएगी। वहीं, तीसरे ग्रुप को पहले दिन और 28वें दिन या तो प्लेसिबो दिया जाएगा या फिर इंट्रानेजल वैक्सीन ही दी जाएगी।

देश में अब तक 17.51 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगी
अभी देश में वैक्सीन ड्राइव का तीसरा चरण जारी है। इसमें 18 साल से ज्यादा की उम्र वाले लोगों को वैक्सीन लगाई जा रही है। अब तक कुल 17 करोड़, 51 लाख, 71 हजार 482 से अधिक कोरोना वायरस वैक्सीन लगाई जा चुकी हैं। इस दौरान कुल 13 करोड़ 65 लाख से ज्यादा लोगों को पहली डोज, जबकि 3 करोड़ 85 लाख से ज्यादा लोगों को दूसरी डोज लगाई गई है। देश में इस वक्त कोरोना वायरस की दो वैक्सीन, कोविशील्ड और कोवैक्सीन लगाई जा रही है।


इस विषय में इंडिया टीवी की खास रिपोर्ट:-

Ashish Sinha

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