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रामकथा के आठवें दिन कथा सुनाते पंडित अतुलकृष्ण भारद्वाज

रामकथा के आठवें दिन कथा सुनाते पंडित अतुलकृष्ण भारद्वाज

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कांकेर। रामकथा के आठवें दिन कथा सुनाते पंडित अतुलकृष्ण भारद्वाज ने कहा जीवन में संगत और पंगत करते रहें तो परिवार में आपसी सामंजस्य और प्रेम सदैव बना रहेगा। वर्तमान जीवन शैली परिवार के लोगों में खाई बढ़ाने का काम कर रही है। इसके लिए जरूरी है संगत यानी घर में पूजा पाठ परिवार के लोग साथ में मिलकर करें। इसके अलावा पंगत यानी भोजन दिन में एक बार पुरा परिवार साथ में बैठकर करे। यही नहीं जो परिवार दो चार भाईयों का है वे महीने में कम से कम एक बार मिलकर भोजन करें। किसी प्रकार की पूजा या भजन कार्यक्रम के साथ इस प्रकार के आयोजन हों तो और बेहतर है।

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पंडित अतुलकृष्ण जी ने कहा भगवान भाव के भूखे होते हैं। यही कारण था जब महाभारत का युद्ध टालने शांतिदूत बनकर भगवान कृष्ण दुर्योधन के पास पहुंचे तो दुर्योधन ने भगवान कृष्ण को रिझाने भव्य स्वागत किया। चर्चा के दौरान भगवान कृष्ण का पांडवो को आधा राज्य तथा फिर पांच गांव देने का भी प्रस्ताव दुर्योधन ने स्वीकार नहीं किया। भगवान कृष्ण ने कहा फिर तो दुर्योधन तुम मारे जाओगे। तब आवेश में आकर दुर्योधन ने अपने सैनिकों तथा भाईयों को भगवान कृष्ण को पकड़ कर मार डालने का आदेश दिया। जैसे ही सैनिक और कौरव बढ़े भगवान ने विशाल रूप धारण कर लिया और हाथ में सुदर्शन चक्र धारण करते दुर्योधन को सावधान किया। भगवान का यह रूप देख दुर्योधन कांप उठा तथा तुरंत आजकल के नेताओं की तरह पैंतरा बदलने कहने लगा मैंने तो आपके साथ मजाक किया था। आप कुपित हो उठे। मैंने तो आज आपके सम्मान में छप्पन भोग का प्रबंध किया है। भगवान ने कहा भोजन करने कोई किसी को दो कारणों से आमंत्रित करता है। पहला प्रेम हो तो या फिर उससे भय हो। भगवान ने दुर्योधन से कहा मैं यहां भोजन नहीं कर विदुर के घर भोजन करूंगा। विदुर ने कौरवों को युद्ध नहीं करने सलाह दी थी जिससे कुपित होकर दुर्योधन ने उनका सबकुछ छीन लिया था। फिर भी विदुर के भाव अच्छे थे इसलिए भगवान कृष्ण ने छप्पन भोग को छोड़कर उनके घर कंदमूल ग्रहण किया था। पंडित अतुलकृष्ण ने कहा की हमें भोजन करने वहीं जाना चाहिए जहां प्रेम हो। जब कृष्ण को तीर लग चुका था तथा तब अपने अंतिम समय में उन्होने विदुर को याद किया था क्योंकि विदुर ही एसे थे जिन्होने कभी राजा की चापलूसी नहीं की तथा अपने जीवन पर्यंत कृष्ण से कुछ मांगा नहीं। यही कारण था विदुर को भगवान ने अपने हृदय में बसाया था। वर्तमान में लोग मंदिर जाते हैं या पूजा करते हैं तो रोज भगवान से कुछ न कुछ मांगते हैं। रोज रोज आपका कोई दोस्त या रिश्तेदार चाहे कितना भी प्रिय क्यों न हो आपसे मांगने लगेगा तो आप उससे खीझ जाओगे। फिर भगवान से रोज रोज मांगने पर वे कैसे आपको अपने हृदय में बसाएंगे। लोग मंदिर जाते हैं तो वहां भी मन नहीं लगता। एक मिनट में वहां से निकल जाते हैं। इसके पीछे कारण बताया वहां से हम नहीं निकलते रोज रोज हमारे मांगने से तंग आकर भगवान ही हमें वहां रूकने नहीं देते। आगे बढ़ा देते हैं। यही कारण है भगवान से हमें केवल भक्ति मांगनी चाहिए।

आज अंतिम दिन कथा 11 बजे से, दोपहर 1 बजे से भंडारा

रामकथा के अंतिम दिन कथा सुबह 11 बजे से शुरू होगी। आयोजन समिती ने सभी श्रद्धालुओं से सुबह 11 बजे कथा स्थल पहुंचने अपील की है। कथा के बाद दोपहर 1 बजे आयोजन समिती की ओर से सभी श्रद्धालुओं के लिए भंडारा का आयोजन किया गया है।

Ashish Sinha

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