
मस्तूरी में सरकारी राशन घोटाला: सेवा सहकारी समिति के प्रबंधक व विक्रेता गिरफ्तार, न्यायिक रिमांड पर भेजे गए
मस्तूरी में सरकारी राशन घोटाला: सेवा सहकारी समिति के प्रबंधक व विक्रेता गिरफ्तार, न्यायिक रिमांड पर भेजे गए
बिलासपुर, छत्तीसगढ़: जिला बिलासपुर के थाना मस्तूरी क्षेत्र में सरकारी राशन की हेरा-फेरी का बड़ा मामला सामने आया है। सेवा सहकारी समिति मस्तूरी के प्रबंधक और विक्रेता द्वारा शासकीय चावल, शक्कर और नमक में भारी गड़बड़ी किए जाने का खुलासा हुआ है। मामले में पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायिक रिमांड पर भेज दिया है।
यह घोटाला उस समय सामने आया जब खाद्य निरीक्षक श्रीमती ललिता शर्मा एवं उनकी टीम ने 22 अगस्त 2024 को सेवा सहकारी समिति मस्तूरी में खाद्यान्न वितरण की जांच की। जांच रिपोर्ट 27 अगस्त 2024 को कलेक्टर खाद्य शाखा बिलासपुर को भेजी गई, जिसमें गंभीर अनियमितताओं की पुष्टि हुई। इसके आधार पर कलेक्टर खाद्य शाखा ने अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) को एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए।
आरोपियों के नाम और विवरण
मनोज रात्रे (पिता चरण लाल रात्रे), उम्र 48 वर्ष, निवासी मस्तूरी, जिला बिलासपुर। (प्रबंधक, सेवा सहकारी समिति मस्तूरी)
मनीराम कुर्रे (पिता स्व. मेलाराम कुर्रे), उम्र 49 वर्ष, निवासी मस्तूरी, जिला बिलासपुर। (विक्रेता, सेवा सहकारी समिति मस्तूरी)
क्या था मामला?
प्राथिया गोधूलि वर्मा, सहायक विकास अधिकारी, विकासखंड मस्तूरी, ने इस घोटाले को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जांच में पाया गया कि दिनांक 01 अप्रैल 2024 को राशन वितरण के लिए:
चावल 303 क्विंटल
शक्कर 853 क्विंटल
नमक 646 क्विंटल
की स्वीकृति दी गई थी। यह खाद्यान्न ऑनलाइन वितरण प्रणाली के तहत लाभार्थियों तक पहुंचाना था, लेकिन जब वास्तविक जांच की गई तो खाद्यान्न में भारी अनियमितताएं मिलीं।
जांच में मिली गड़बड़ियां
जांच के दौरान निम्नलिखित अनियमितताएं उजागर हुईं:
चावल 272.50 क्विंटल कम पाया गया।
शक्कर 377 क्विंटल अधिक पाई गई।
रिफाइंड नमक 8.04 क्विंटल अधिक पाया गया।
इससे स्पष्ट हुआ कि सरकारी राशन की हेराफेरी कर उसे काला बाजार में बेचा गया।
कानूनी कार्रवाई और गिरफ्तारी
कलेक्टर खाद्य शाखा द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के आधार पर, अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) ने दिनांक 16 अक्टूबर 2024 को पत्र क्रमांक क्र/अवि.अ/खाद्य/2024/1025 के तहत एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए। थाना मस्तूरी में आरोपियों के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध कर लिया गया।
आरोपियों के खिलाफ धारा 3.7 ईसी एक्ट, 316(5), 3(5) बीएनएस के तहत मामला दर्ज किया गया। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्री रजनेश सिंह (IPS), अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) श्री उदयन बेहार एवं उप पुलिस अधीक्षक (अजाक) श्री डी. आर. टंडन के निर्देशन में पुलिस टीम ने आरोपियों को हिरासत में लिया। पूछताछ के दौरान दोनों आरोपियों ने अपराध स्वीकार कर लिया। दिनांक 18 मार्च 2025 को उन्हें विधिवत गिरफ्तार कर न्यायिक रिमांड पर भेज दिया गया।
प्रारंभिक जांच में यह सामने आया कि प्रबंधक मनोज रात्रे और विक्रेता मनीराम कुर्रे ने मिलकर सरकारी राशन का दुरुपयोग किया। उन्होंने खाद्यान्न का एक बड़ा हिस्सा खुले बाजार में ऊंचे दामों पर बेच दिया और सरकारी रिकॉर्ड में गड़बड़ी कर इसे छिपाने का प्रयास किया। लेकिन खाद्य निरीक्षण दल की सतर्कता से यह घोटाला उजागर हो गया।
जिला प्रशासन ने इस मामले को बेहद गंभीरता से लिया है। वरिष्ठ अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सेवा सहकारी समिति मस्तूरी के अन्य कर्मचारियों की भी जांच की जा रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि इस घोटाले में और कौन-कौन शामिल हैं।
इस घोटाले के सामने आने के बाद मस्तूरी क्षेत्र के लोगों में भारी आक्रोश है। यह मामला गरीब और जरूरतमंद लोगों के हक पर डाका डालने जैसा है, क्योंकि शासकीय राशन का वितरण गरीब परिवारों को सस्ते दामों पर करने के लिए किया जाता है। ग्रामीणों ने मांग की है कि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
छत्तीसगढ़ सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठा रही है। मुख्यमंत्री एवं खाद्य आपूर्ति मंत्री ने इस मामले को लेकर कलेक्टर और पुलिस विभाग को दोषियों पर त्वरित और कठोर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। सरकार अब सरकारी राशन वितरण प्रणाली में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए नई तकनीकों और निगरानी तंत्र को मजबूत करने की योजना बना रही है।
क्या हो सकता है आगे?
न्यायिक जांच: संभावना है कि पूरे मामले की विस्तृत न्यायिक जांच कराई जाए।
अन्य दोषियों की तलाश: घोटाले में और कौन-कौन शामिल था, इसकी गहराई से जांच की जाएगी।
समिति की जवाबदेही: सेवा सहकारी समिति मस्तूरी के अन्य पदाधिकारियों पर भी कार्रवाई संभव है।
खाद्य वितरण की निगरानी: सरकार अब खाद्यान्न वितरण की निगरानी और सख्त कर सकती है।
मस्तूरी में हुआ यह घोटाला दर्शाता है कि सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में भ्रष्टाचार की संभावनाएं बनी रहती हैं, लेकिन प्रशासन और सतर्क नागरिकों की मदद से इन्हें उजागर किया जा सकता है। इस मामले में प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई कर आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, जिससे भविष्य में अन्य भ्रष्ट अधिकारियों को सख्त संदेश मिलेगा।
यह मामला छत्तीसगढ़ में सरकारी योजनाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार को खत्म करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है, बशर्ते कि जांच निष्पक्ष और कठोर हो।