
HAL-रूस डील: भारत में बनेगा 100-सीटर SJ-100 विमान; UDAN के लिए गेम-चेंजर
HAL और रूस की UAC ने भारत में SJ-100 पैसेंजर जेट के निर्माण के लिए ऐतिहासिक MoU साइन किया। 100-यात्री क्षमता वाला यह विमान UDAN योजना और क्षेत्रीय कनेक्टिविटी के लिए महत्वपूर्ण है। यह समझौता रक्षा के बाद सिविल एविएशन में भारत-रूस सहयोग को मजबूत करेगा।
भारत की एविएशन क्रांति: HAL और रूस के बीच ऐतिहासिक समझौता, देश में बनेगा ‘सुखोई सुपरजेट 100’ (SJ-100)
भारत ने अपने विमानन और रक्षा क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। देश की अग्रणी सरकारी एयरोस्पेस कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने रूस की यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन (UAC) के साथ एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते के तहत, अब भारत में ही रूसी डिज़ाइन वाले रीजनल पैसेंजर जेट सुखोई सुपरजेट 100 (SJ-100) का निर्माण किया जाएगा। यह सहयोग न केवल भारत के सिविल एविएशन सेक्टर को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ पहल को भी अभूतपूर्व मजबूती प्रदान करेगा।
इस समझौते के बाद, HAL को भारत में SJ-100 विमान के निर्माण के विशेष अधिकार प्राप्त हो गए हैं। यह परियोजना भारत के क्षेत्रीय हवाई संपर्क (Regional Air Connectivity) के लिए एक निर्णायक मोड़ साबित होगी।
सुखोई सुपरजेट 100 (SJ-100) एक आधुनिक और विश्वसनीय ट्विन-इंजन, नैरो-बॉडी विमान है, जिसे घरेलू उड़ानों की जरूरतों को ध्यान में रखकर डिज़ाइन किया गया है:
- यात्री क्षमता: लगभग 100 यात्री।
- रेंज (दूरी): करीब 3,000 किलोमीटर।
- वैश्विक उपस्थिति: अब तक दुनिया भर में ऐसे 200 से अधिक विमान बनाए जा चुके हैं और 16 से ज्यादा एयरलाइन ऑपरेटर इसका सफलतापूर्वक उपयोग कर रहे हैं।
भारत सरकार की क्षेत्रीय हवाई संपर्क योजना UDAN (उड़े देश का आम नागरिक) का उद्देश्य छोटे शहरों और कस्बों को हवाई नेटवर्क से जोड़ना है। विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत में SJ-100 का निर्माण UDAN योजना के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो सकता है। यह विमान विशेष रूप से उन क्षेत्रों में रीजनल ट्रैवल सेक्टर को पूरी तरह से बदल देगा जहाँ हवाई सेवाएँ सीमित हैं या नहीं हैं।
HAL और UAC के बीच यह सहयोग सिर्फ एक विमान निर्माण डील नहीं है, बल्कि यह भारत के रक्षा और आर्थिक परिदृश्य के लिए व्यापक रणनीतिक और आर्थिक महत्व रखता है।
- मेक इन इंडिया: यह समझौता भारत को एक प्रमुख एविएशन मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाएगा। HAL के लिए यह न केवल एक तकनीकी उपलब्धि है, बल्कि यह दर्शाता है कि भारत अब जटिल विमान निर्माण परियोजनाओं को स्वदेशी रूप से अंजाम देने में सक्षम है।
- तकनीकी उन्नति: इस परियोजना से HAL और भारतीय इंजीनियरों को रूसी एयरोस्पेस तकनीक और निर्माण प्रक्रियाओं का सीधा अनुभव मिलेगा, जिससे देश की समग्र इंजीनियरिंग और उत्पादन क्षमता में वृद्धि होगी।
विमान निर्माण एक व्यापक पारिस्थितिकी तंत्र बनाता है। इस परियोजना से विमान से जुड़े स्पेयर पार्ट्स, मेंटेनेंस, मरम्मत और सप्लाई चेन में हजारों रोजगार के अवसर पैदा होंगे। यह परियोजना देश के लाखों युवाओं के लिए तकनीकी और कौशल-आधारित नौकरियों के द्वार खोलेगी।
भारत और रूस के बीच रक्षा क्षेत्र में साझेदारी दशकों से मजबूत रही है। अब सिविल एविएशन में यह सहयोग दोनों देशों के रणनीतिक और आर्थिक रिश्तों को और अधिक गहराई देगा। यह न केवल सैन्य उपकरणों तक सीमित रहेगा, बल्कि नागरिक उड्डयन के क्षेत्र में एक दीर्घकालिक, स्थायी साझेदारी का निर्माण करेगा।
सुखोई सुपरजेट 100 (SJ-100) का भारत में निर्माण का निर्णय एक साहसिक कदम है जो भारत को अब केवल विमानों का आयातक नहीं, बल्कि एक प्रमुख उत्पादक और निर्यातक बनाने की दिशा में ले जाएगा। यह परियोजना क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को मजबूत करेगी, हजारों रोजगार पैदा करेगी और विश्व पटल पर भारत की ‘आत्मनिर्भरता’ को एक नई पहचान देगी।












