
सरकारी कंपनियों को संभाल ना पाने वाली सरकार को सत्ता में रहने का कोई अधिकार नही : स्वामीनाथ जयसवाल
दीपक श्रीवास प्रबंध संपादक छत्तीसगढ़ नई दिल्ली : भारतीय राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस इंटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामीनाथ जयसवाल ने कहां की देश की सत्ता के गलियारों से मिल रही खबरों के अनुसार मोदी सरकार निजीकरण और विनिवेश की दिशा में आज भी तेजी से आगे बढ़ रही है एक विश्वसनीय रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार 10 और पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग्स में विनिवेश की योजना बना रही है। इसके लिए सरकार द्वारा पूरी तरह निजीकरण का रास्ता अपनाया जा सकता है या फिर सरकार इसमें अपनी हिस्सेदारी मिनिमम पब्लिक शेयर होल्डिंग नॉर्मस के तहत रखेगी। मोदी सरकार द्वारा 10 और सरकारी कम्पनी निजी हाथों में सौंपने की मुहिम को लेकर सरकार पर सीधा हमला बोलते हुए देश के सबसे बड़े अमिक सन्गठन राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस (इंटक) के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामीनाथ जयसवाल ने कहा है कि जब मोदी सरकार सरकारी कंपनियों तक को सम्भाल नहीं पा रही है। तो उसे सत्ता में बने रहने का भी कोई अधिकार नहीं है ज्ञात रहे इन सरकारी कम्पनियों से लाखों श्रमिकों का जीवन जुडा हुआ है जिन्हें आज वो एक एक करके मजदूरों का शोषण करने वाले | पूंजीपति घरानों को परोक्ष व अपरोक्ष रूप से बेचने पर आमादा है। स्वामीनाथ जयसवाल ने स्मरण कराया कि इस बात के आंकड़े गवाह है कि पिछले
सात साल में सरकार की जन विरोधी नीतियों के चलते देश में करोड़ों लोग बेकारी की विभीषिका का दंश झेल रहे है लेकिन बड़े दुःख की बात है कि सरकार देश की इस गम्भीर समस्या से पूरी तरह अनजान बनी हुई है और वह सिर्फ कारपोरेट घरानों व विदेशी निवेशकों के हित साधने में लगी हुई है ।
स्वामीनाथ जयसवाल ने कहा कि सरकार देश में एक और क्रांति को हवा देने का प्रयास कर रही है । सूत्रों से मिल रही खबरों के अनुसार निति आयोग और विनिवेश के लिए जिम्मेदार डीआईपीएएम इस विषय पर मिलकर रोडमैप तैयार करेगा। जानकारी के मुताबिक 7 पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग्स – NLC, KIOCL, SJVN, HUDCO, MMTC, GIC और न्यू इंडिया इंश्योरेंस पर चर्चा की गई है। माना जा रहा है कि वित्त वर्ष 2021-22 से वित्त वर्ष 2023-24 के बीच सरकार तीन और PSU को लेकर विनिवेश की दिशा में आगे बढ़ेगी। इसके लिए IRFC.RVNL और मझगांव डॉक का नाम सामने आ रहा है। इन तीन सरकारी कपनियों में सरकार अपनी हिस्सेदार घटाकर मिनिमम कर देगी। निजीकरण के मामले में अब
बैंक ऑफ महाराष्ट्र और इंडियन ओवरसीजन बैंक का नाम लिस्ट में सबसे ऊपर माना जा रहा है।