
जानें लिवर ट्रांसप्लांट से जुड़ी हर जानकारी, ऑर्गन पॉलिसी बनेगी सहायक

Liver Transplant: कुछ दिनों पहले एक खबर आई कि केरल की एक नाबालिग लड़की ने अपने पिता को लिवर का एक हिस्सा डोनेट किया। उस लड़की का नाम देवनंदा है और उसकी उम्र महज 17 साल थी। दरअसल, उसके पिता लिवर की गंभीर समस्या से जूझ रहे थे। हालांकि, ट्रांसप्लांटेशन ऑफ ह्यूमन ऑर्गन्स एक्ट, 1994 के तहत नाबालिग ऑर्गन डोनेट नहीं कर सकते। मगर देवनंदा ने केरल हाई कोर्ट के समक्ष अपने पिता को लिवर डोनेट करने की मांग रखी और हाई कोर्ट की अनुमति के बाद ही देवनंदा ने अपने पिता को लिवर डोनेट किया।वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के मुताबिक भारत में हर साल लिवर संबंधित समस्याओं से मरने वालों की संख्या ढाई लाख से भी ज्यादा है। यह दुनियाभर में लिवर संबंधित समस्याओं से मरने वाले लोगों की संख्या का लगभग 8 प्रतिशत है। अमेरिकी सरकार की अधिकारिक संस्था, ‘नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन’ के अनुसार दुनियाभर में हर साल लिवर की बीमारियों से 20 लाख से भी ज्यादा मौतें हो जाती हैं।गौरतलब है कि इन मरने वाले लोगों में से लगभग एक चौथाई को लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत होती हैं। द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में फिलहाल सालाना लगभग 1,800 लिवर ट्रांसप्लांट किए जाते हैं। जबकि दुनियाभर में 25,000 से भी ज्यादा लिवर ट्रांसप्लांट हो रहे हैं। भारत में एक अच्छे अस्पताल में लिवर ट्रांसप्लांट की कीमत लाखों में होती है जिसके चलते यह हर पीड़ित व्यक्ति की पहुंच से दूर है।
लिवर डोनेशन कौन कर सकता है?
लिवर डोनेट जिंदा और मृतक दोनों कर सकते हैं। लिविंग लिवर डोनेट करने के लिए डोनर की आयु 18 से 55 वर्ष के बीच होनी चाहिए। लिविंग (स्वस्थ) लिवर डोनेट करने के लिए डोनर का ब्लड ग्रुप प्राप्तकर्ता के ब्लड ग्रुप के अनुकूल होना चाहिए। इसके अलावा, किसी भी व्यक्ति को लिवर डोनेट सिर्फ उसके परिवार का ही कोई सदस्य जैसे पत्नी, माता, पिता, बेटा, भाई कर सकते हैं। जिस व्यक्ति को लिवर डोनेट करना होता है, परीक्षण के समय यह देखा जाएगा कि कहीं डोनर अत्यधिक मोटा तो नहीं है क्योंकि मोटे व्यक्ति का लिवर में भी मोटापा (फैट) रहता हैं। जबकि, हाल ही में किसी मृतक (डिसिज्ड ऑर्गन डोनेशन) के शरीर से भी लिवर निकालकर उसे ट्रांसप्लांट किया जा सकता है।
ट्रांसप्लांट के प्रकार
लिवर ट्रांसप्लांट में जीवन प्रत्याशा की दर 80 से 90 प्रतिशत तक होती है। लिवर अपने आप विकसित होने वाला एक अंग है इसलिए जरुरत के हिसाब से इसका ट्रांसप्लांट किया जाता है। अगर पूरे लिवर ने काम करना बंद कर दिया है तो पूरा लिवर ट्रांसप्लांट किया जाता है। वहीं, अगर लिवर के किसी हिस्से ने काम करना बंद कर दिया अथवा कहीं घाव हो गये हैं तो सिर्फ उसी हिस्से को भी ट्रांसप्लांट किया जा सकता है। इसके अंतर्गत, लिविंग डोनर के लिवर के उसी हिस्से को निकाला जाता है जिसकी मरीज को जरुरत है। इसके बाद लिवर डोनर का वह निकाला गया हिस्सा खुद ही विकसित हो जाता है।