
राजा पड़ाव क्षेत्र के ग्रामीण इन दिनों चार चिरौंजी की पैदावार से कर रहे कमाई
उमेश /गरियाबंद रिपोर्टर /मैनपुर आप सभी जैसा की जानते है कि छत्तीसगढ्र को घान का कटोरा कहां जाता है इसके अलवा भी छत्तीसगढ के क्षेत्रों मे और भी विभिन्न प्रकार के अनाज फल फुल इत्यादी का उत्पादन किया जाता हैं इसी प्रकार छत्तीसगढ्र के गरियाबंद जिलें के मैनपुर के कुल्हाड़ी घाट व राजा पड़ाव क्षेत्र के ग्रामीण इन दिनों जंगलों से चार चिरौंजी एकत्रित करने में व्यस्त है। इसके पूर्व ग्रामीण महुआ बिनने में जुटे हुए थे। इस क्षेत्र में धान और मक्का की भी अच्छी पैदावारी होती है लेकिन चार बीज भी इस क्षेत्र के ग्रामीणों के लिए अच्छी आमदनी का जरिया बन गया है। परलकोट क्षेत्र जंगलों से घिरा हुआ है। इस क्षेत्र के लोगों को वनों से भी अच्छी आमदनी मिलती है। चार बीज भी एक वनोपज है। पहले ग्रामीण चार को पकने के बाद तोड़कर लाते थे और अपने घरों में इसका बीज निकालते थेए लेकिन कुछ वर्षों गुठली सहित चिरौंजी की खरीदी होने से कच्चे चार तोड़ने लगे हैं। हालांकि पके चार से ग्रामीणों को दोहरा लाभ मिलता है। इसका ऊपरी हिस्सा मीठा होता हैए जिसे ग्रामीण चाव से खाते हैं। फूल सिंह, बोड़को ,देव सिंह रोहन, कमलेश नेताम ने बताया कि चार बीज का सही दाम बिचौलियों से नहीं मिल पाता।
सही दाम बिचौलियों के कारण नहीं मिल रहाएवनोपज से संबंधित लाखए महुआए हर्रा का भी कोई खरीदार नहीं है। शासन द्वारा इसे खरीदा जाना चाहिए ताकि हमें वनोपज का वाजिब दाम मिल सके। 130 रुपये प्रति किलो के हिसाब से व्यापारी खरीद रहे ग्रामीणों ने बताया कि वर्तमान में 130 रुपये प्रति किलो के हिसाब से व्यापारी चार बीज की खरीदी कर रहे हैं। इसके लिए वे सुबह.शाम अपने पेड़ों की निगरानी करते रहते हैं। ग्रामीणों ने बताया कि चार की गुठलियों को पानी में डालकर इसकी गुणवत्ता परखी जाती है। ठोस गुठली पानी में डूब जाती है और हल्की गुठली ऊपर आ जाती है। पानी में डूबे गुठलियों को अच्छी किस्म की गुठलियां मानी जाती है।