
छत्तीसगढ़ में भू-जल संवर्धन मिशन का शुभारंभ, मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा – जल संरक्षण में बनेगा मील का पत्थर
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने रायपुर में पंडित दीनदयाल उपाध्याय भू-जल संवर्धन मिशन (शहरी) का शुभारंभ किया। कार्यक्रम में विशेषज्ञों और विभागीय अधिकारियों ने जल संरक्षण के प्रभावी उपायों पर किया मंथन।
जल संवर्धन की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा भू-जल संवर्धन मिशन – मुख्यमंत्री विष्णु देव साय
रायपुर, 21 मई 2025। छत्तीसगढ़ सरकार ने शहरी क्षेत्रों में जल संरक्षण को नई दिशा देने के लिए पंडित दीनदयाल उपाध्याय भू-जल संवर्धन मिशन (शहरी) की शुरुआत की है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज रायपुर स्थित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में इस महत्वाकांक्षी मिशन का औपचारिक शुभारंभ किया। इस अवसर पर मिशन का ब्रोशर विमोचन और वीडियो भी लॉन्च किया गया। मुख्यमंत्री ने नौ नगरीय निकायों के दिवंगत कर्मचारियों के परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति पत्र भी प्रदान किए।
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि “जल के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। वर्षा जल और भू-जल के संरक्षण को लेकर प्रारंभ किया गया यह मिशन आने वाले समय में राज्य के शहरी क्षेत्रों की जल समस्याओं के समाधान में मील का पत्थर साबित होगा।” उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित ‘मोर गांव मोर पानी’ अभियान का भी उल्लेख करते हुए इसे राज्य सरकार की व्यापक जल रणनीति का हिस्सा बताया।
उप मुख्यमंत्री और नगरीय प्रशासन मंत्री अरुण साव ने कहा कि “छत्तीसगढ़ में पर्याप्त वर्षा होती है। यदि उसका वैज्ञानिक तरीके से संचयन और भू-जल रिचार्ज किया जाए, तो आने वाले समय में जल संकट की स्थितियों से बचा जा सकता है।” उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों की सलाह के आधार पर जल संरक्षण को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने और फसल चक्र को वर्षा पैटर्न के अनुरूप ढालने की योजना बनाई जाएगी।
कार्यशाला में शामिल विभाग:
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नगरीय प्रशासन
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लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी
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जल संसाधन
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वन विभाग
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कॉलोनाइजर व उद्योग समूह
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हाइड्रोलॉजिस्ट्स एवं स्वयंसेवी संगठन
मुख्य उद्देश्य:
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शहरी क्षेत्रों में वर्षा जल संचयन
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भू-जल स्रोतों का पुनर्भरण
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आमजन की भागीदारी से जल प्रबंधन
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भविष्य की जल जरूरतों के लिए प्रभावी रणनीति
कार्यक्रम में ‘भारत के वाटरमैन’ के नाम से प्रसिद्ध राजेन्द्र सिंह, जल संसाधन मंत्री केदार कश्यप, विधायकगण, महापौर, जल विशेषज्ञ और अन्य विभागों के अधिकारी शामिल हुए। गुजरात के सूरत म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन की टीम ने वहां के वर्षा जल प्रबंधन मॉडल को भी साझा किया।