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भाजपाईयों के कमीशनखोरी के चलते छड़, सीमेंट 25 प्रतिशत तक महंगे, रेत के दाम 4 गुना अधिक

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साय सरकार ने जमीन की रजिस्ट्री में 30 प्रतिशत छूट 1 अप्रैल से की ख़त्म, आमदनी घटती जा रही है लागत बढ़ाते जा रहे हैं

क्रूड ऑयल और कोयला 2014 की तुलना में आधे दाम पर, लेकिन मोदी सरकार की मुनाफाखोरी के चलते आमजनता को राहत नहीं

रायपुर // भारतीय जनता पार्टी की डबल इंजन सरकार और भाजपा नेताओं पर मुनाफाखोरी का आरोप लगाते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि कच्चे माल और भवन निर्माण सामग्रियों के लागत में कटौती होने के बावजूद भी आम जनता को उसका लाभ नहीं मिल रहा है। आयरन, कोयला और लाइमस्टोन जैसे रॉ मटेरियल की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार में लगातार घट रहे हैं लेकिन इस गिरावट का लाभ सीमेंट और स्टील के खुदरा कीमतों पर दिखाई नहीं दे रहा है उल्टे निर्माण सामग्रियों की महंगाई लगातार बढ़ती ही जा रही है। भाजपा सरकार से साठगांठ करके लागत घटने का पूरा लाभ बड़ी कंपनियां उठा रही हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कोयले की कीमत जो पिछले वर्ष अप्रैल 2023 में 160 डॉलर के आसपास थी वर्तमान में घटकर 129 डॉलर प्रति टन के करीब पहुंच चुका है। एक वर्ष के भीतर ही लोह अयस्क की कीमत 142.57 डॉलर प्रति टन से घटाकर लगभग 104 डॉलर प्रति टन पर आ गया है लेकिन लागत में इन कटौतियों का लाभ आम जनता तक नहीं पहुंच रहा है।

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प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है छत्तीसगढ़ में जब से डबल इंजन की सरकार बनी है गरीब और मध्यम वर्ग लोगों के लिए घर बनाने का सपना छिन गया है। हाल ही में विष्णुदेव साय सरकार ने विगत 1 अप्रैल से जमीन के रजिस्ट्री में 30 प्रतिशत अधिक वसूली शुरू कर दिया है। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार द्वारा गाइडलाइन दरों पर स्टांप ड्यूटी में 30 प्रतिशत की छूट जो विगत 5 वर्षों से दी जा रही थी, उसे खत्म कर दिया है, जिसका सीधा नुकसान आम जनता को उठाना पड़ रहा है। छत्तीसगढ़ में रेत माफियाओं को साय सरकार के सरंक्षण के चलते रेत के दाम पहले ही चार गुना बढ़ चुके हैं, अब सरिया और सीमेंट के दामों में भारी भरकम मुनाफाखोरी से जनता आहत है, गरीब और मध्यम वर्गीय जनता के घर बनाने का सपना टूटने लगा है।

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है भारतीय जनता पार्टी के गलत आर्थिक नीतियों के चलते जनता महंगाई की मार झेलने मजबूर है। डीजल की कीमत का असर सभी तरह की वस्तुओं की कीमत में होता है ट्रांसपोर्ट से लेकर उत्पादन तक की लागत में इसका सीधा इफेक्ट होता है। 2014 में क्रूड मिल 110 से 140 डॉलर प्रति बैरल थी, जो वर्तमान में घटकर लगभग 90 डॉलर प्रति रह गया है, लेकिन इसका लाभ जनता को देने के बजाय केंद्र की मोदी सरकार खुद ही मुनाफाखिरी कर रही है। डीजल पर जो सेंट्रल एक्साइज 2014 में मात्र 3 रूपया 56 पैसा प्रति लीटर हुआ करता था, उसे केंद्र की मोदी सरकार में 31 रुपए 83 पैसा तक बढ़ाकर वर्तमान में 15 रुपया 80 पैसा तक वसूल रही है। मोदी सरकार ने विगत 10 वर्षों में केवल डीजल पेट्रोल पर अतिरिक्त मुनाफाखोरी करके 38 लाख करोड़ से अधिक डकैती जनता की जेब में की है। भाजपा सरकार की जनविरोधी नीतियों के चलते, जनता पर दोहरी मार पड़ रही है। एक तरफ बेरोजगारी और घटते इनकम से आम जनता परेशान है, दूसरी तरफ मोदी निर्मित महंगाई की मार।

Ashish Sinha

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