छत्तीसगढ़ताजा ख़बरेंब्रेकिंग न्यूज़महासमुंदराजनीतिराज्य

विशेष लेख : स्कूली शिक्षा में आ रहा बदलाव

महासमुंद : विशेष लेख : स्कूली शिक्षा में आ रहा बदलाव

a41ad136-ab8e-4a7d-bf81-1a6289a5f83f
ea5259c3-fb22-4da0-b043-71ce01a6842e

स्कूल में पढ़ाई के साथ-साथ व्यवसायिक शिक्षा हेतु बत्तख पालन की हुई शुरूआत

आलेख : शशिरत्न पाराशर

स्कूल में पढ़ाई के साथ-साथ व्यवसायिक शिक्षा हेतु बत्तख पालन की हुई शुरूआत

छत्तीसगढ़ में विगत वर्षों में स्कूली शिक्षा में व्यापक बदलाव आने लगा है। वहीं सरकारी स्कूलों की छबि को और बेहतर तथा इसे असरकारी बनाने की दिशा में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। अभिभावकों के इच्छानुसार सरकारी स्कूलों में स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाने की सुविधा उपलब्ध करायी गई है। इसके साथ ही चालू शिक्षा सत्र से बस्ता विहीन स्कूल का प्रयोग भी शुरू हुआ है। इस दिन बिना स्कूल बैग के स्कूल पहुंचे बच्चों को स्थानीय कारीगरों, मजदूरों, व्यवसायियों के काम दिखाने की व्यवस्था है। विभाग द्वारा बच्चों की उपस्थिति पर विशेष जोर दिया जा रहा है।

सुघ्घर पढ़वईया योजना अंतर्गत महासमुंद जिले के सरायपाली विकासखण्ड के शहरी पांच विद्यालयों प्राथमिक शाला झिलमिला, लक्ष्मीपुर, बोडेसरा, लमकेनी और कसडोल स्कूल का चयन हुआ है। इस योजनांतर्गत चयनित प्राथमिक शाला झिलमिला स्कूल में अभिनव पहल की गई है। इस स्कूल में व्यवसायिक शिक्षा को बढ़ावा देते हुए आत्मनिर्भरता की दिशा को बढ़ावा देते हुए बत्तख पालन प्रारम्भ किया गया है। प्राथमिक शाला के प्रधान पाठक श्री प्रताप नारायण दास ने बताया कि बत्तख पालन बिना किसी आर्थिक सहयोग से शुरू किया गया है। आगे बत्तख पालन की जानकारी पढ़ाई के साथ-साथ विद्यार्थियों को दी जाएगी। ताकि उन्हें शिक्षा ज्ञान के साथ-साथ बच्चों को व्यवसाय से जुड़ने का ज्ञान हो। ताकि विद्यार्थी आत्मनिर्भर बन सके।

mantr
96f7b88c-5c3d-4301-83e9-aa4e159339e2 (1)

स्कूल में बत्तख पालन के लिए हैंड वॉश की पानी को स्टोर करने के लिए बनायी टंकी में बत्तख सुबह 10ः00 बजे से 4ः00 बजे तक रहेंगे एवं मध्यान्ह भोजन में बचे एवं गिरे हुए खाने को इकट्ठा कर बत्तखों को खिलाया जाएगा। यह कार्य मध्यान्ह भोजन चलाने वाली महालक्ष्मी महिला स्व-सहायता समूह की देख-रेख में होगा। बत्तखों को शाम तथा सरकारी छुट्टी में ये समूह बत्तखों की घर में देखभाल करेंगी। इस स्कूल में डिजिटल क्लासरूम, मुस्कान पुस्कालय, रनिंग वाटर युक्त शौचालय के साथ कई सुविधाएं भी उपलब्ध हैं।

स्कूल शिक्षा विभाग के नई शिक्षा नीति के अनुसार बच्चों की सीखने और समझने की क्षमता में विकास के लिए छत्तीसगढ़ बालवाड़ी योजना शुरू की गई है। यह योजना आंगनबाड़ियों के पांच से छः वर्षों के बच्चों के लिए है। जिससे बच्चों की सीखने और समझने की क्षमता का विकास खेल-खेल में करवाया जाता है। अब महासमुंद के स्कूलों में खेल गढ़िया कार्यक्रम अंतर्गत छत्तीसगढ़िया खेल के साथ विभिन्न खेल भी खेलाएं जा रहे हैं। इसके अलावा शाला के बाहर के बच्चों या गांव के आसपास के बच्चों को भी जो स्कूल नहीं जा रहे हैं, उन्हें शाला में लाने हेतु भी प्रयास किए जाते हैं। स्कूलों को पहले से और आकर्षक बनाया गया है। उन्हें सुंदर बनाने पर विशेष जोर दिया जा रहा है। ताकि बच्चों को अच्छा वातावरण मिले। बालिकाओं को सुरक्षा की दृष्टि से आत्मरक्षा संबंधित प्रशिक्षण भी स्कूलों में दिए जा रहे हैं।

Ashish Sinha

8d301e24-97a9-47aa-8f58-7fd7a1dfb1c6 (2)
e0c3a8bf-750d-4709-abcd-75615677327f

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!