
Ambikapur : मतदाता जागरूकता अभियान के तहत् तुलसी साहित्य समिति की सरस काव्यगोष्ठी………….
लोकतंत्र फूले-फले, बढ़े देश की शान, सब कामों को छोड़कर, सभी करें मतदान
मतदाता जागरूकता अभियान के तहत् तुलसी साहित्य समिति की सरस काव्यगोष्ठी………….
पी0एस0यादव/ब्यूरो चीफ/सरगुजा// मतदाता जागरूकता अभियान के तहत् तुलसी साहित्य समिति की ओर से शायर-ए-शहर यादव विकास की अध्यक्षता में केशरवानी भवन में सरस काव्यगोष्ठी का आयोजन किया गया। काव्यगोष्ठी का शुभारंभ वरिष्ठ कवयित्री मीना वर्मा ने सुंदर सरस्वती-वंदना से किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पं. रामनारायण शर्मा ने कहा कि लोकतंत्र में नागरिकों के सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, शैक्षणिक व बहुआयामी विकास के लिए श्रेष्ठ सरकार के गठन हेतु चुनाव में सही प्रत्याशी को वोट देना बेहद ज़रूरी है। यह ध्यान रखना है कि कोई दागी या भ्रष्ट उम्मीदवार चुनाव में विजय हासिल न कर सके। विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ अधिवक्ता ब्रह्माशंकर सिंह ने बताया कि मतदाताओं की सहभागिता मतदान-प्रक्रिया का एकमात्र लक्ष्य होता है, जो भारत निर्वाचन आयोग के अंतर्गत आता है। इसमें स्वीप यानी मतदाता-शिक्षा के लिए वोट कैसे डालना है- बताया जाता है। डॉ. उमेश पाण्डेय का कहना था कि लोकतंत्र का उत्सव ‘चुनाव’ है। भारत के हर योग्य मताधिकारी का यह परम कर्तव्य है कि वह इस उत्सव में पूरी निष्ठा के साथ भाग ले और देश के सत्ता-निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भागीदारी एवं सहभागिता प्रदान करे। मत देेते समय निर्वाचन-प्रक्रिया में निष्ठा, विवेक, राष्ट्रनिर्माण व राष्ट्रहित का पूरा ध्यान रखे तथा व्यक्तिगत स्वार्थों का परित्याग करे ताकि सही उम्मीदवार का चयन हो सके।
काव्यगोष्ठी में संस्था की कार्यकारी अध्यक्ष कवयित्री माधुरी जायसवाल ने मतदाता को मतदान केन्द्र में वोट देने हेतु आवश्यक परिचय-पत्र ले जाने की सलाह दी- हर वोट से होता है बदलाव, सही उम्मीदवार का करना है चुनाव। सुबह होते ही वोट दे आओ, अपने संग वोटर आईडी ले जाओ। वरिष्ठ कवयित्री मीना वर्मा ने अपने काव्य में सभी नागरिकों से मतदान करने की अपील की ताकि आगे कोई पश्चाताप न हो- पांच वर्ष में पर्व यह आया, निर्वाचन का पर्व है आया। मतदान सभी को करना है। चुनो उसे जो देश के हित हो, बटन वहीं दबाना है। लोकतंत्र सुदृढ़ बनाओ, झांसे में नहीं आना। एक बार जो फिसल गए, सालोंसाल पछताओगे। समय का तोता उड़ जाएगा, मलते हाथ रह जाओगे!
देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था में मतदान सभी नागरिकों को प्रदत्त एक अत्यंत महत्वपूर्ण मौलिक अधिकार है। यह एक ऐसा कर्तव्य भी है जिससे जनता अपने लिए एक स्वच्छ, सुंदर व निष्पक्ष सरकार चुनती है। संस्था की उपाध्यक्ष कवयित्री व अभिनेत्री अर्चना पाठक ने अपने काव्य में सभी लोगों से अपने सारे काम छोड़कर मतदान के पावन पर्व में बढ़-चढ़कर भाग लेने का आग्रह किया- आओ हम मिल-जुलकर मतदान करें। मतदान केन्द्र की ओर प्रस्थान करें। ये कोई दान नहीं, ये तो अधिकार है। इसी से लोकतांत्रिक सरकार है। उन्होंने सभी राजनैतिक दलों के बीच चल रहे चुनावी घमासान का भी ज़िक्र किया- फिर चुनावी साल है, जनता भी कमाल है। एक-दूजे के ख़िलाफ शह-मात का खेल है। राजनीतिक दलों में जोड़-तोड़, महासंग्राम है। बढ़े-चढ़े घोषणापत्र हैं, प्रलोभन भी जबर्दस्त है। अब तो तय करे जनता, कौन उसका सरपरस्त है!
संस्था के ऊर्जावान अध्यक्ष कवि मुकुंदलाल साहू ने अपने गीत में मतदान पर्व को लेकर लोगों के भारी उत्साव व उमंग का चित्रण यूं किया- अब चुनाव होने वाला है, आओ वोट करें। लोकतंत्र का महापर्व है, सबके मन में हर्ष-गर्व है। हर कोई शामिल हो इसमें, इसको नोट करें। वोटिंग है अधिकार हमारा, यही धर्म है प्यारा-न्यारा। लोभ, मोह, आग्रह की बातें, इन पर ओट करें, आओ वोट करें! साथ ही उन्होंने कुछ चुनाव संबंधी उम्दा दोहे भी प्रस्तुत किए तथा लोकतंत्र के पर्व में सभी की भागीदारी सुनिश्चित करने की वकालत की- लोकतंत्र के पर्व में, सबका हो अवदान। आओ सब मिलकर करें, शत-प्रतिशत मतदान। लोकतंत्र फूले-फले, बढ़े देश की शान। सब कामों को छोड़कर, सभी करें मतदान। कविवर रंजीत सारथी ने प्रत्येक वोट को अनमोल बताते हुए, लोकतंत्र की मज़बूती के लिए शत-प्रतिशत मतदान की आवश्यकता प्रतिपादित की- है अनमोल एक-एक मत, व्यर्थ कभी न जाए, जाकर राष्ट्र-मंदिर में हम अपना पुष्प चढ़ाएं। कभी भ्रमित न होना बंधु, रखना यह सब ध्यान। पावन लोकतंत्र में हो- शत-प्रतिशत मतदान। कुशल शासकों से सदा बनता देश महान!
काव्यगोष्ठी में चुनाव के इतर भी कुछ बेहतरीन रचनाएं प्रस्तुत की गईं।
शायर-ए-शहर यादव विकास की दिलकश ग़ज़ल ने ख़ूब रंग जमाया- चहचहाना नहीं होता, सूखता पेड़ हरा नहीं होता। गर अंधेरा हुआ नहीं होता तो यह चराग़ जला नहीं होता। जो होना चाहिए नहीं होता, वरना दुनिया में क्या नहीं होता! कवयित्री आशा पाण्डेय की ग़ज़ल- दबा राज बताना नहीं है, सहे दर्द कितने, ठिकाना नहीं है, युवाकवि अम्बरीष कश्यप की कविता- घर उन्हीं के जाना होता है, जिनसे रिश्ता पुराना होता है, कवयित्री पूर्णिमा पटेल का गीत- झीनी रे झीनी मोरी झीनी चदरिया, रंग लीनी प्रभु नाम पर उमरिया, वरिष्ठ कवि बीडी लाल की कविता- यदि आप नेता बनना चाहें तो एक लंबा कुर्ता सिलाइए, हो सके तो खादी का और लाल, पीली या सफेद टोपी लगाइए, कवि अजय श्रीवास्तव का कलाम- ज़िंदगी एक मुसाफ़िरखाना, इसको खा़ली भी करना पड़ेगा और ब्रह्माशंकर सिंह की- प्यार की आस में मैं भटकता रहा, न मिला प्यार और न ही सहारा मिला- जैसी कविताओं को श्रोताओं ने खूब सराहा। इन कवियों के अलावा गोष्ठीे में श्यामबिहारी पाण्डेय, आर.एल. विश्वकर्मा, उमाकांत पाण्डेय, मनव्वर अशरफ़ी आदि कवियों ने भी अपनी प्रतिनिधि कविताओं का पाठ कर कार्यक्रम को रोचक व यादगार बनाया। कार्यक्रम का काव्यमय संचालन कवयित्री अर्चना पाठक व आभार संस्था की उपाध्यक्ष कवयित्री आशा पाण्डेय ने जताया। इस अवसर पर लीला यादव, सच्चिदानंद पाण्डेय, विजय प्रसाद गुप्ता, केशरवानी वैश्य सभा के उपाध्यक्ष मनीलाल गुप्ता, केके त्रिपाठी, दुर्गा प्रसाद श्रीवास्तव, अनिता ठाकुर व मदालसा गुप्ता सहित बड़ी संख्या में काव्यप्रेमी उपस्थित रहे।