छत्तीसगढ़राज्यसूरजपुर

राज्य के निर्देशानुसार जिला प्रशासन रहा चौकन्ना 5 बाल विवाह रुकवाए

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राकेश जायसवाल /सूरजपुर / अक्षय तृतीया में होने वाले बाल विवाह के लिए छत्तीसगढ़ शासन के निर्देशानुसार जिला कलेक्टर रणबीर शर्मा के निर्देश पर प्रत्येक विकास खंडों में बाल विवाह रुकवाने के लिए टीम चौकन्ना थी। जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री चंद्रबेस सिंह सिसोदिया पूरी कार्यवाही पर स्वयं नजर रखे हुए थे, और स्वयं प्रतापपुर क्षेत्र में तैनात थे। पिछले महीने भर के कार्यवाही एवं जागरूकता अभियान का असर अक्षय तृतीया के दिन देखने को मिला इस वर्ष अक्षय तृतीया को कम प्रकरण जिले में मिले। विगत 2 दिन में संयुक्त टीम ने पांच बाल विवाह रोकने में सफलता हासिल की है। जिसमें तीन बालिका एवं दो बालकों का विवाह टीम ने रुकवाया।

अक्षय तृतीया विवाह का सबसे अच्छा मुहूर्त माना जाता है इस दिन मुहूर्त दिखाने की आवश्यकता नहीं होती है। वर्तमान में लॉकडाउन लगा हुआ है और जिला कलेक्टर श्री रणबीर शर्मा सर ने विवाह के कार्यक्रमों पर पूर्णता रोक लगाई हुई है।

जिला बाल संरक्षण अधिकारी मनोज जायसवाल को सूचना मिली की बसदई में एक 16 वर्षीय बालिका का विवाह संपन्न किया जा रहा है। पंचायत सचिव एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को घर भेजने पर घरवाले बालिका का उम्र 20 वर्ष होने की बात बताई और आधार कार्ड और तहसील से प्राप्त अनुमति को दिखाया तब वह वापस आ गए। जिला बाल संरक्षण अधिकारी ने बालिका का जन्म तिथि स्कूल से पता लगाया तो पता चला कि बालिका का अभी 17 वर्ष भी पूरा नहीं हुआ है। जिला बाल संरक्षण अधिकारी मनोज जायसवाल नायब तहसीलदार ओपी सिंह प्रभारी परियोजना अधिकारी पुलिस घर में गए और अंकसूची दिखाने हेतु दबाव बनाएं तो पता चला कि प्रशासन के आंख में धूल झोंक कर विवाह की अनुमति प्राप्त की गई थी जबकि बालिका का उम्र कम था बालिका के परिजनों को समझाइश दी गई उम्र हो जाने पर विवाह करने हेतु सभी राजी हुए। तत्पश्चात टीम नमदगीरी (सूरजपुर) गई जहां एक 20 वर्षीय बालक का बारात दरिमा (सरगुजा) जाने वाला था। जिसकी सूचना सरगुजा के टीम के द्वारा दी गई थी। टीम के पहुंचने से पहले ही मंडप उखाड़ दिया गया था। शैक्षणिक दस्तावेज के परीक्षण पर बालक 20 वर्ष का पाया गया, बिना अनुमति हो रहे विवाह को रोका गया और बारात जाने पर एफ आई आर एवं विधि अनुसार कार्यवाही की बात कही गई। तहसीलदार एवं जिला बाल संरक्षण अधिकारी द्वारा विवाह करने के कारण 2000 का अर्थदंड परिवार के लोगों को लगाया गया जिसका तुरंत रसीद प्रदान किया गया।

संयुक्त टीम द्वारा रामानुज नगर के द्वारिकापुर में 16 वर्ष 9 माह के बालक का बाल विवाह रुकवाया गया तथा द्वारिकापुर में ही एक 14 वर्ष 8 माह के बालिका के विवाह की सूचना पर जब टीम पहुंची तो वहां से मंडप उखाड़ दिया गया था और बालिका को नहला दिया गया था। टीम को गुमराह करने की कोशिश की गई मगर लड़का पक्ष और सभी जानकारी देने पर वे यह बताने को तैयार हुए की विवाह कराया जा रहा था। गांव में विवाह रोकने की जानकारी के बाद मंडप उखाड़ दिए और लड़की को नहला दिए। फिर घरवालों को समझाइश दिया गया कि बालिका अभी बहुत छोटी है इसके बड़े होने अर्थात 18 वर्ष पूर्ण करने के बाद ही विवाह करें। अन्यथा घर वालों के खिलाफ बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के तहत कार्रवाई किया जाएगा जिसमें ₹100000 अर्थदंड एवं 2 साल की सजा का प्रावधान है परिजनों ने बाल विवाह करने का शपथ पत्र टीम को दिया मौके पर पंचनामा भी तैयार किया गया एवं बाल विवाह रुकवाया गया।

महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा कोविड-19 के कांटेक्ट ट्रेसिंग का कार्य किया जा रहा है इसी कड़ी में भैयाथान के शिवप्रसाद नगर की पर्यवेक्षक माया चंद्रकला जायसवाल द्वारा ट्रेसिंग के दौरान ग्राम बंजा के एक संक्रमित द्वारा बताया गया कि उसकी बेटी का विवाह होने वाला है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता से पता करने पर पता चला कि बालिका का उम्र मात्र 16 वर्ष 8 माह हो रहा है। जिसकी जानकारी जिला बाल संरक्षण अधिकारी को दी गई तो संयुक्त टीम बंजा जाकर उपरोक्त बालिका का बाल विवाह रुकवाया गया।

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बाल विवाह रुकवाने में जिला बाल संरक्षण अधिकारी मनोज जायसवाल, नायब तहसीलदार सूरजपुर श्री ओ पी सिंह, प्रभारी परियोजना अधिकारी कुमारी दीपा बैरागी, पर्यवेक्षक श्रीमती ममता परस्ते, माया चंद्रकला जायसवाल, जिला बाल संरक्षण इकाई की कुमारी अनिता पैकरा, चाइल्ड लाइन से जनार्दन सिंह, गीता गिरी, गोविंदा साहू, दिनेश यादव, रमेश साहू, राधा यादव, सरपंच नमदगिरी कलावती, सरपंच पति मंगल साय सरपंच बंजा दुर्गा चरण सिंह, प्रधान आरक्षक लखेन साहू, महिला आरक्षक प्रमिला सिंह, आरक्षक जितेंद्र पटेल, आरक्षक अमित सिंह, आरक्षक अनुज मंडल, आरक्षक शिव कुमार सिंह, आरक्षक दिनेश यादव उपस्थित थे।यसवाल सूरजपुर / अक्षय तृतीया में होने वाले बाल विवाह के लिए छत्तीसगढ़ शासन के निर्देशानुसार जिला कलेक्टर रणबीर शर्मा के निर्देश पर प्रत्येक विकास खंडों में बाल विवाह रुकवाने के लिए टीम चौकन्ना थी। जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री चंद्रबेस सिंह सिसोदिया पूरी कार्यवाही पर स्वयं नजर रखे हुए थे, और स्वयं प्रतापपुर क्षेत्र में तैनात थे। पिछले महीने भर के कार्यवाही एवं जागरूकता अभियान का असर अक्षय तृतीया के दिन देखने को मिला इस वर्ष अक्षय तृतीया को कम प्रकरण जिले में मिले। विगत 2 दिन में संयुक्त टीम ने पांच बाल विवाह रोकने में सफलता हासिल की है। जिसमें तीन बालिका एवं दो बालकों का विवाह टीम ने रुकवाया।

अक्षय तृतीया विवाह का सबसे अच्छा मुहूर्त माना जाता है इस दिन मुहूर्त दिखाने की आवश्यकता नहीं होती है। वर्तमान में लॉकडाउन लगा हुआ है और जिला कलेक्टर श्री रणबीर शर्मा सर ने विवाह के कार्यक्रमों पर पूर्णता रोक लगाई हुई है।
जिला बाल संरक्षण अधिकारी मनोज जायसवाल को सूचना मिली की बसदई में एक 16 वर्षीय बालिका का विवाह संपन्न किया जा रहा है। पंचायत सचिव एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को घर भेजने पर घरवाले बालिका का उम्र 20 वर्ष होने की बात बताई और आधार कार्ड और तहसील से प्राप्त अनुमति को दिखाया तब वह वापस आ गए। जिला बाल संरक्षण अधिकारी ने बालिका का जन्म तिथि स्कूल से पता लगाया तो पता चला कि बालिका का अभी 17 वर्ष भी पूरा नहीं हुआ है। जिला बाल संरक्षण अधिकारी मनोज जायसवाल नायब तहसीलदार ओपी सिंह प्रभारी परियोजना अधिकारी पुलिस घर में गए और अंकसूची दिखाने हेतु दबाव बनाएं तो पता चला कि प्रशासन के आंख में धूल झोंक कर विवाह की अनुमति प्राप्त की गई थी जबकि बालिका का उम्र कम था बालिका के परिजनों को समझाइश दी गई उम्र हो जाने पर विवाह करने हेतु सभी राजी हुए। तत्पश्चात टीम नमदगीरी (सूरजपुर) गई जहां एक 20 वर्षीय बालक का बारात दरिमा (सरगुजा) जाने वाला था। जिसकी सूचना सरगुजा के टीम के द्वारा दी गई थी। टीम के पहुंचने से पहले ही मंडप उखाड़ दिया गया था। शैक्षणिक दस्तावेज के परीक्षण पर बालक 20 वर्ष का पाया गया, बिना अनुमति हो रहे विवाह को रोका गया और बारात जाने पर एफ आई आर एवं विधि अनुसार कार्यवाही की बात कही गई। तहसीलदार एवं जिला बाल संरक्षण अधिकारी द्वारा विवाह करने के कारण 2000 का अर्थदंड परिवार के लोगों को लगाया गया जिसका तुरंत रसीद प्रदान किया गया।
संयुक्त टीम द्वारा रामानुज नगर के द्वारिकापुर में 16 वर्ष 9 माह के बालक का बाल विवाह रुकवाया गया तथा द्वारिकापुर में ही एक 14 वर्ष 8 माह के बालिका के विवाह की सूचना पर जब टीम पहुंची तो वहां से मंडप उखाड़ दिया गया था और बालिका को नहला दिया गया था। टीम को गुमराह करने की कोशिश की गई मगर लड़का पक्ष और सभी जानकारी देने पर वे यह बताने को तैयार हुए की विवाह कराया जा रहा था। गांव में विवाह रोकने की जानकारी के बाद मंडप उखाड़ दिए और लड़की को नहला दिए। फिर घरवालों को समझाइश दिया गया कि बालिका अभी बहुत छोटी है इसके बड़े होने अर्थात 18 वर्ष पूर्ण करने के बाद ही विवाह करें। अन्यथा घर वालों के खिलाफ बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के तहत कार्रवाई किया जाएगा जिसमें ₹100000 अर्थदंड एवं 2 साल की सजा का प्रावधान है परिजनों ने बाल विवाह करने का शपथ पत्र टीम को दिया मौके पर पंचनामा भी तैयार किया गया एवं बाल विवाह रुकवाया गया।
महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा कोविड-19 के कांटेक्ट ट्रेसिंग का कार्य किया जा रहा है इसी कड़ी में भैयाथान के शिवप्रसाद नगर की पर्यवेक्षक माया चंद्रकला जायसवाल द्वारा ट्रेसिंग के दौरान ग्राम बंजा के
एक संक्रमित द्वारा बताया गया कि उसकी बेटी का विवाह होने वाला है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता से पता करने पर पता चला कि बालिका का उम्र मात्र 16 वर्ष 8 माह हो रहा है। जिसकी जानकारी जिला बाल संरक्षण अधिकारी को दी गई तो संयुक्त टीम बंजा जाकर उपरोक्त बालिका का बाल विवाह रुकवाया गया।
बाल विवाह रुकवाने में जिला बाल संरक्षण अधिकारी मनोज जायसवाल, नायब तहसीलदार सूरजपुर श्री ओ पी सिंह, प्रभारी परियोजना अधिकारी कुमारी दीपा बैरागी, पर्यवेक्षक श्रीमती ममता परस्ते, माया चंद्रकला जायसवाल, जिला बाल संरक्षण इकाई की कुमारी अनिता पैकरा, चाइल्ड लाइन से जनार्दन सिंह, गीता गिरी, गोविंदा साहू, दिनेश यादव, रमेश साहू, राधा यादव, सरपंच नमदगिरी कलावती, सरपंच पति मंगल साय सरपंच बंजा दुर्गा चरण सिंह, प्रधान आरक्षक लखेन साहू, महिला आरक्षक प्रमिला सिंह, आरक्षक जितेंद्र पटेल, आरक्षक अमित सिंह, आरक्षक अनुज मंडल, आरक्षक शिव कुमार सिंह, आरक्षक दिनेश यादव उपस्थित थे।

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