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नाबार्ड के सहयोग का राज्य की अर्थ-व्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव होगा – वित्त मंत्री देवड़ा

नाबार्ड 2023-24 में मध्यप्रदेश में 2 लाख 58 हजार 598 करोड़ का ऋण उपलब्ध करायेगा
भोपाल। राष्ट्रीय ग्रामीण एवं कृषि विकास बैंक-नाबार्ड द्वारा मध्यप्रदेश राज्य के विकास को गति देने के लिए वर्ष 2023-24 के लिये प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र में 2 लाख 58 हजार 598 करोड़ रूपये की ऋण संभाव्यता का आकलन किया है। यह पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 6.43 प्रतिशत ज्यादा है। यह जानकारी आज यहाँ भोपाल में नाबार्ड के मध्यप्रदेश क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा “राज्य ऋण संगोष्ठी 2023-24” में दी गई। इसमें कृषि के लिये 1 लाख 80 हजार 160 करोड़ रूपये, एमएसएमई के लिये 65 हजार 832 करोड़ रूपये और अन्य प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के लिये 12 हजार 606 करोड़ रूपये ऋण शामिल हैं।वित्त मंत्री श्री जगदीश देवड़ा ने संगोष्ठी में कहा कि इससे किसानों, उद्यमों से जुड़े कामगारों और राज्य की पूर्ण अर्थ-व्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। नाबार्ड के इस महत्वपूर्ण सहयोग से देश की 5 ट्रिलियन डालर अर्थ-व्यवस्था के लक्ष्य को हासिल करने में मध्यप्रदेश के 550 बिलियन डॉलर के योगदान के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी। वित्त मंत्री ने कहा कि कोविड महामारी के समय में कृषि ही एक ऐसा क्षेत्र रहा है जिसने इस दौरान भी विकास की दर बनाए रखी। राज्य सरकार ने भी अर्थ-व्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए कृषि एवं औद्योगिक क्षेत्रों को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वाकांक्षी योजनाएँ लागू की। उन्होंने कहा कि नाबार्ड का सहयोग राज्य की अर्थ-व्यवस्था को गति प्रदान करने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा। वित्त मंत्री श्री देवड़ा ने सूक्ष्म खाद्य प्र-संस्करण उद्योग (पी.एम.एफ़.एम.ई.) को बढ़ावा देने के लिए नाबार्ड द्वारा उठाये गये कदमों की सराहना की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार सहकारी संस्थाओं को मजबूत बनाने और उनके व्यवसायीकरण करने के लिए प्रतिबद्ध है।
संगोष्ठी में वित्त मंत्री ने राज्य फोकस पेपर 2023-24 तथा 550 बिलियन डालर अर्थ-व्यवस्था के लिये “मध्यप्रदेश में कृषि ऋण प्रमुख मुददे” पुस्तिका का विमोचन भी किया। कार्यक्रम में राज्य में सराहनीय प्रदर्शन करने वाले बैंकों को सम्मानित किया गया। मंत्री श्री देवड़ा ने अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष 2023 के अंतर्गत नाबार्ड के मध्यप्रदेश क्षेत्रीय कार्यालय भोपाल द्वारा लगाई गई मोटे अनाज की प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया।
उल्लेखनीय है कि भारत सरकार की प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए ऋण आंकलन में कृषि, एमएसएमई एवं सभी प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र की हिस्सेदारी क्रमश: 70 प्रतिशत, 25 प्रतिशत और 5 प्रतिशत आंकी गई है। नाबार्ड के सहयोग से जल-संसाधन, कृषि मशीनीकरण, बंजर भूमि विकास, पशुपालन, मछली पालन, भंडार-गृह निर्माण, खाद्य प्र-संस्करण, नवकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में सकारात्मक परिवर्तन होगा। नाबार्ड के मुख्य महा प्रबंधक श्री निरूपम मेहरोत्रा, एसबीआई के मुख्य महा प्रबंधक श्री विनोद कुमार मिश्रा, आरबीआई के क्षेत्रीय निदेशक श्री नीरज निगम, अपर मुख्य सचिव कृषि श्री अशोक वर्णवाल, अपर मुख्य सचिव उद्यानिकी श्री जे. एन. कंसोटिया और अपर मुख्य सचिव वित्त श्री अजीत केसरी उपस्थित थे।

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