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छत्तीसगढ़ में परीक्षाओं के मद्देनजर ध्वनि विस्तारक यंत्रों पर प्रतिबंध: शिक्षा के अनुकूल वातावरण की ओर एक महत्वपूर्ण कदम

छत्तीसगढ़ में परीक्षाओं के मद्देनजर ध्वनि विस्तारक यंत्रों पर प्रतिबंध: शिक्षा के अनुकूल वातावरण की ओर एक महत्वपूर्ण कदम

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रायपुर : शिक्षा प्रत्येक समाज की नींव होती है, और एक शांतिपूर्ण वातावरण छात्रों के अध्ययन एवं परीक्षाओं की तैयारी के लिए अत्यंत आवश्यक होता है। इसी को ध्यान में रखते हुए, छत्तीसगढ़ सरकार ने सभी जिलों में परीक्षाओं के मद्देनजर ध्वनि विस्तारक यंत्रों (लाउडस्पीकर, डीजे, साउंड सिस्टम आदि) के उपयोग पर अस्थायी प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है। यह प्रतिबंध परीक्षा की अवधि के दौरान छात्रों को ध्यान केंद्रित करने में सहायता करेगा और एक अनुशासित शैक्षिक वातावरण को बनाए रखने में मदद करेगा।

आदेश की प्रमुख बातें

यह प्रतिबंध पूरे छत्तीसगढ़ राज्य में लागू होगा और परीक्षा की अवधि तक प्रभावी रहेगा।

सभी सार्वजनिक स्थानों, धार्मिक स्थलों, विवाह समारोहों, राजनीतिक सभाओं और अन्य आयोजनों में ध्वनि विस्तारक यंत्रों के उपयोग पर रोक लगाई गई है।

केवल विशेष परिस्थितियों में जिला प्रशासन से अनुमति प्राप्त करने के बाद ही ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग किया जा सकेगा।

उल्लंघन करने पर ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम, 2000 और भारतीय दंड संहिता (IPC) की संबंधित धाराओं के तहत कार्रवाई की जाएगी।

प्रतिबंध लागू करने की आवश्यकता क्यों?

परीक्षा के दौरान छात्रों को एक शांत और व्यवस्थित वातावरण की आवश्यकता होती है। अनावश्यक शोर और तेज आवाजें छात्रों की ध्यान केंद्रित करने की क्षमता को प्रभावित कर सकती हैं, जिससे उनकी प्रदर्शन क्षमता में गिरावट आ सकती है। कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार हैं:

ध्यान भंग होना – तेज आवाजों से पढ़ाई में रुकावट आती है, जिससे छात्रों का मानसिक संतुलन बिगड़ सकता है।

मानसिक तनाव में वृद्धि – अत्यधिक ध्वनि प्रदूषण से छात्रों में तनाव बढ़ता है, जिससे वे परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन करने में असमर्थ हो सकते हैं।

स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव – लगातार ऊँची आवाजों के संपर्क में रहने से नींद की समस्या, सिरदर्द और चिड़चिड़ापन जैसी समस्याएँ हो सकती हैं।

शैक्षिक माहौल की रक्षा – परीक्षा के दौरान ध्वनि विस्तारक यंत्रों पर प्रतिबंध लगाने से छात्रों को अध्ययन और परीक्षा की तैयारी के लिए अनुकूल वातावरण मिलेगा।

कानूनी पहलू और प्रशासनिक सख्ती

छत्तीसगढ़ सरकार ने ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए पहले भी विभिन्न कदम उठाए हैं, लेकिन परीक्षा के दौरान यह प्रतिबंध और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।

ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम, 2000

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इस नियम के अनुसार, रात 10:00 बजे से सुबह 6:00 बजे तक ध्वनि विस्तारक यंत्रों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया गया है।

सार्वजनिक स्थानों पर ध्वनि की अधिकतम सीमा निर्धारित की गई है, जिसका उल्लंघन करने पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।

परीक्षा की अवधि में इस नियम को सख्ती से लागू करने के लिए स्थानीय प्रशासन को विशेष निर्देश दिए गए हैं।

उल्लंघन पर कानूनी कार्रवाई

नियमों का उल्लंघन करने पर संबंधित आयोजकों या व्यक्तियों पर जुर्माना लगाया जा सकता है।

यदि कोई व्यक्ति बार-बार उल्लंघन करता है, तो उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जा सकती है, जिसमें उपकरण जब्त करना भी शामिल है।

प्रशासन द्वारा नियमित निगरानी के लिए पुलिस गश्त और हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए हैं, ताकि नागरिक इस संबंध में शिकायत दर्ज करा सकें।

समाज और नागरिकों की भूमिका

इस प्रतिबंध को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए केवल प्रशासन ही नहीं, बल्कि समाज और नागरिकों की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

अभिभावकों और शिक्षकों की भागीदारी – वे छात्रों को एक शांत और अध्ययन-अनुकूल माहौल देने में मदद कर सकते हैं।

सामाजिक संगठनों की भूमिका – विभिन्न सामाजिक संस्थाएँ और गैर-सरकारी संगठन (NGO) इस अभियान को सफल बनाने में सहयोग कर सकते हैं।

सामान्य नागरिकों की जिम्मेदारी – नागरिकों को चाहिए कि वे अनावश्यक ध्वनि विस्तारक यंत्रों के उपयोग से बचें और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करें।

विशेष परिस्थितियों में छूट

कुछ विशेष परिस्थितियों में ध्वनि विस्तारक यंत्रों के उपयोग की अनुमति दी जा सकती है, लेकिन इसके लिए जिला मजिस्ट्रेट से पूर्वानुमति लेना आवश्यक होगा।

धार्मिक स्थलों में निर्धारित ध्वनि सीमा के अंतर्गत ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग किया जा सकता है।

प्रशासनिक आवश्यकताओं या सरकारी घोषणाओं के लिए ध्वनि प्रसारण की अनुमति दी जा सकती है।

किसी आपातकालीन स्थिति में ध्वनि विस्तारक यंत्रों का सीमित उपयोग किया जा सकता है।

छत्तीसगढ़ में परीक्षाओं के मद्देनजर ध्वनि विस्तारक यंत्रों पर प्रतिबंध एक सराहनीय पहल है, जो छात्रों को परीक्षा की तैयारी के लिए एक शांतिपूर्ण वातावरण प्रदान करने में मदद करेगी। इस प्रतिबंध को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए प्रशासन, समाज, शिक्षक, अभिभावक और आम नागरिकों को एकजुट होकर कार्य करना होगा। यह कदम न केवल छात्रों के शैक्षिक प्रदर्शन को सुधारने में सहायक होगा, बल्कि समग्र रूप से समाज में ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण प्रयास साबित होगा।

Ashish Sinha

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