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महाशिवरात्रि पर त्रिवेणी संगम में आस्था का सैलाब: कुलेश्वरनाथ महादेव के दर्शन को उमड़ा जनसैलाब

महाशिवरात्रि पर त्रिवेणी संगम में आस्था का सैलाब: कुलेश्वरनाथ महादेव के दर्शन को उमड़ा जनसैलाब

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गरियाबंद, 27 फरवरी 2025: धार्मिक नगरी राजिम में आयोजित कुंभ कल्प मेले में महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर आस्था, भक्ति और विश्वास का अद्भुत संगम देखने को मिला। लाखों श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में पुण्य स्नान कर सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित किया तथा रेत से शिवलिंग बनाकर जलाभिषेक किया। भगवान कुलेश्वरनाथ महादेव के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की लंबी कतारें मंदिर परिसर से आधा किलोमीटर तक फैली हुई थीं। हर-हर महादेव के जयघोष से संपूर्ण वातावरण भक्तिमय हो गया।

त्रिवेणी संगम में पुण्य स्नान और दीपदान

महाशिवरात्रि के दिन पुण्य स्नान का विशेष महत्व माना जाता है। श्रद्धालु बिना मुहूर्त का इंतजार किए आधी रात से ही संगम घाट, स्वर्ण तीर्थ घाट, नेहरू घाट और स्नान कुंड में डुबकी लगाने पहुंचे। स्नान के उपरांत श्रद्धालुओं ने दीपदान कर परंपरा का निर्वहन किया। संगम की लहरों पर दीपों की लौ किसी जुगनू की भांति चमक रही थी। महिलाओं और बच्चों ने श्रद्धा के साथ रेत का शिवलिंग बनाकर बेलपत्र, धतूरा के फूल और जल अर्पित किया।

भगवान कुलेश्वरनाथ महादेव के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब

महाशिवरात्रि के इस पावन पर्व पर भगवान कुलेश्वरनाथ महादेव के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की लंबी कतारें देखी गईं। त्रिवेणी संगम के बीच स्थित इस मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को घंटों इंतजार करना पड़ा। मंदिर परिसर में जय भोलेनाथ और हर-हर महादेव के नारों से वातावरण भक्तिमय हो उठा। इस दौरान कई श्रद्धालुओं ने विधि-विधान से धार्मिक अनुष्ठान भी किए।

शाही स्नान और नागा साधुओं की भव्य शोभायात्रा

राजिम कुंभ कल्प मेले के अंतिम दिवस पर नागा बाबाओं और साधु-संतों ने शाही स्नान के लिए ऐतिहासिक शोभायात्रा निकाली। सुबह 7 बजे संत समागम स्थल से प्रारंभ हुई इस शोभायात्रा में विभिन्न अखाड़ों के नागा साधु, शस्त्रधारी संन्यासी और वैरागी संतों ने भाग लिया। शोभायात्रा का स्वागत नगर के विभिन्न चौक-चौराहों पर पुष्पवर्षा से किया गया। अस्त्र-शस्त्रों से लैस नागा साधुओं ने शौर्य प्रदर्शन करते हुए अखाड़ा चलाया और अपने कौशल का प्रदर्शन किया।

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शाही स्नान के लिए राजिम पुल होते हुए शोभायात्रा शाही कुंड तक पहुंची। वहां नागा साधुओं ने विधिवत मंत्रोच्चार और अनुष्ठान के साथ डुबकी लगाई। इस मौके पर केंद्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू, उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा, विधायक रोहित साहू सहित अन्य जनप्रतिनिधि भी स्नान में शामिल हुए।

सांस्कृतिक संध्या में स्वाति मिश्रा की भजन संध्या

महाशिवरात्रि पर्व की पूर्व संध्या पर सांस्कृतिक मंच पर प्रख्यात गायिका स्वाति मिश्रा ने अपनी मधुर भजन संध्या से श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। “राम आएंगे”, “शंकर तेरी जटा से बहती”, “राधिका गोरी से” जैसे भक्तिमय भजनों से संपूर्ण मेला क्षेत्र भक्तिरस में सराबोर हो गया। इस दौरान युगल किशोर साहू की लोक कला मंच और यशवंत भेड़िया की प्रस्तुतियों ने भी खूब तालियां बटोरीं।

227 जोड़ों का सामूहिक विवाह: नवदम्पतियों को आशीर्वाद

राजिम कुंभ कल्प के समापन अवसर पर नवीन मेला मैदान में मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के अंतर्गत 227 कन्याओं का सामूहिक विवाह संपन्न हुआ। इस अवसर पर जिले के प्रभारी मंत्री दयालदास बघेल, महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े, महासमुंद सांसद रूपकुमारी चौधरी और राजिम विधायक रोहित साहू ने नवविवाहित जोड़ों को आशीर्वाद दिया। सरकार की ओर से प्रत्येक जोड़े को 50,000 रुपये की आर्थिक सहायता सहित आवश्यक गृहस्थ सामग्री प्रदान की गई।

हेमंत गिरी गोस्वामी का आध्यात्मिक प्रवचन

राजिम कुंभ कल्प में आयोजित आध्यात्मिक प्रवचन में हेमंत गिरी गोस्वामी ने शिव तत्व का विस्तार से व्याख्यान किया। उन्होंने कहा, “शिव ही वह गर्भ हैं, जिसमें संपूर्ण सृष्टि जन्म लेती है और अंततः उसी में समा जाती है।” उन्होंने बताया कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के अश्रुओं से हुई और इसे धारण करने से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।

राजिम कुंभ कल्प का ऐतिहासिक महत्व

राजिम कुंभ कल्प को देश का पाँचवाँ कुंभ माना जाता है, जो छत्तीसगढ़ में धार्मिक और सांस्कृतिक समागम का प्रमुख केंद्र बन गया है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की पहल पर इस मेले को भव्य स्वरूप प्रदान किया गया है, जिससे यह राज्य और देशभर के श्रद्धालुओं के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र बन गया है।

निष्कर्ष:
महाशिवरात्रि पर त्रिवेणी संगम में उमड़ा श्रद्धालुओं का जनसैलाब, शाही स्नान, सांस्कृतिक कार्यक्रम, प्रवचन और सामूहिक विवाह के भव्य आयोजन ने राजिम कुंभ कल्प मेले को ऐतिहासिक बना दिया। यह पर्व श्रद्धालुओं के लिए आस्था, संस्कार और अध्यात्म का संगम साबित हुआ।

Ashish Sinha

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