
उप मुख्यमंत्री अरुण साव का त्वरित निर्णय: खुड़िया जलाशय से पानी छोड़ने के आदेश, किसानों और ग्रामीणों को राहत
उप मुख्यमंत्री अरुण साव का त्वरित निर्णय: खुड़िया जलाशय से पानी छोड़ने के आदेश, किसानों और ग्रामीणों को राहत
रायपुर, 20 मार्च 2025। गर्मी की शुरुआत के साथ ही छत्तीसगढ़ के कई ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की समस्या गहराने लगी है। मुंगेली जिले के खुड़िया जलाशय से पानी छोड़ने की मांग को लेकर लोरमी क्षेत्र के किसानों और ग्रामीणों का एक प्रतिनिधिमंडल उप मुख्यमंत्री अरुण साव से मिला। किसानों की समस्याओं को गंभीरता से लेते हुए अरुण साव ने जल संसाधन विभाग को तत्काल जलाशय से पानी छोड़ने के निर्देश दिए हैं। इस फैसले से क्षेत्र के हजारों किसानों और ग्रामीणों को राहत मिलेगी।
गर्मी की शुरुआत के साथ ही लोरमी और आसपास के गांवों में निस्तारी और कृषि कार्यों के लिए पानी की भारी किल्लत हो रही थी। ग्रामीणों ने बताया कि जलाशय में पर्याप्त जल उपलब्ध होने के बावजूद पानी न छोड़ने के कारण उनकी फसलें सूखने की कगार पर हैं और मवेशियों के लिए भी पीने के पानी की समस्या उत्पन्न हो रही है। इन समस्याओं को लेकर लोरमी क्षेत्र के किसानों और जनप्रतिनिधियों ने बिलासपुर में उप मुख्यमंत्री अरुण साव से मुलाकात की और उनसे त्वरित कार्रवाई की अपील की।
खुड़िया जलाशय मुंगेली जिले के प्रमुख जल संसाधनों में से एक है। यह जलाशय न केवल सिंचाई के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि गर्मी के दौरान निस्तारी और पशुधन के लिए भी आवश्यक जल आपूर्ति करता है। इस जलाशय से लोरमी सहित कई अन्य गांवों के किसान अपनी फसलों की सिंचाई करते हैं। जलाशय में पर्याप्त पानी होते हुए भी समय पर इसे न छोड़े जाने से किसानों को भारी नुकसान होने की संभावना थी।
लोरमी क्षेत्र से आए किसानों और जनप्रतिनिधियों की बात सुनने के बाद उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने तुरंत जल संसाधन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देश दिए कि खुड़िया जलाशय से शीघ्र पानी छोड़ा जाए। उन्होंने कहा कि किसानों की जरूरतों को प्राथमिकता दी जाए और जल संकट को दूर करने के लिए तत्काल आवश्यक कदम उठाए जाएं।
जल संकट के कारण कई गांवों में गेहूं, दलहन और तिलहन जैसी रबी फसलें प्रभावित हो रही थीं। यदि जलाशय से समय पर पानी नहीं छोड़ा जाता, तो किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता था। इसके अलावा, पानी की कमी से ग्रामीणों के दैनिक जीवन पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा था, क्योंकि पीने के पानी और पशुओं के लिए भी जल स्रोत कम हो गए थे।
इस मामले में स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्रतिनिधिमंडल में सर्वश्री गुरमीत सलूजा, आलोक शिवहरे, अशोक जायसवाल और महावीर राजपूत सहित कई प्रमुख किसान और ग्रामीण शामिल थे। उन्होंने अपनी मांगों को मजबूती से उप मुख्यमंत्री के समक्ष रखा और जल संकट की गंभीरता को उजागर किया।
जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने जानकारी दी कि उप मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार जलाशय से चरणबद्ध तरीके से पानी छोड़ा जाएगा, ताकि जल का समुचित उपयोग हो सके और किसी भी प्रकार की बर्बादी न हो।
छत्तीसगढ़ सरकार किसानों और ग्रामीणों की जल जरूरतों को प्राथमिकता दे रही है। जलाशयों से पानी की समुचित आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सरकार निम्नलिखित उपायों पर काम कर रही है:
जल संरक्षण योजनाएँ: जलाशयों और नहरों के पुनर्निर्माण पर ध्यान दिया जा रहा है।
नए जल स्रोतों का विकास: ग्रामीण क्षेत्रों में नए जल स्रोतों की पहचान की जा रही है।
वाटर मैनेजमेंट सिस्टम: सिंचाई योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन के लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग किया जा रहा है।
ग्रामीणों और किसानों की प्रतिक्रिया
अरुण साव के इस निर्णय का किसानों और ग्रामीणों ने स्वागत किया है। उन्होंने सरकार के इस त्वरित निर्णय के लिए आभार जताया और आशा व्यक्त की कि आगे भी किसानों की जरूरतों को प्राथमिकता दी जाएगी।
जल संकट को लेकर किसानों की मांग पर उप मुख्यमंत्री अरुण साव द्वारा लिए गए त्वरित निर्णय से क्षेत्र के हजारों किसानों और ग्रामीणों को राहत मिली है। यह कदम सरकार की संवेदनशीलता और किसानों के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। जल संसाधन विभाग द्वारा जल्द ही जलाशय से पानी छोड़ा जाएगा, जिससे फसलों को बचाने और ग्रामीणों की आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद मिलेगी।