
छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद पर बड़ा प्रहार: बीजापुर में 50 नक्सलियों का आत्मसमर्पण
छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद पर बड़ा प्रहार: बीजापुर में 50 नक्सलियों का आत्मसमर्पण
रायपुर, 30 मार्च 2025 – छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खात्मे की दिशा में सरकार की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति-2025 के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। बीजापुर जिले में 50 नक्सलियों ने सुरक्षाबलों के समक्ष आत्मसमर्पण किया है। यह राज्य में अब तक का सबसे बड़ा सामूहिक आत्मसमर्पण है।
आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों ने सरकार की पुनर्वास नीति पर भरोसा जताते हुए हिंसा छोड़ने और समाज की मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया। यह घटनाक्रम प्रदेश में नक्सलवाद के खिलाफ चल रही रणनीति के सफल होने की पुष्टि करता है। सरकार द्वारा नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के साथ-साथ विकास कार्यों को प्राथमिकता दी जा रही है, जिससे स्थानीय जनता का विश्वास बढ़ रहा है।
प्रदेश में अब तक 2200 से अधिक नक्सलियों की गिरफ्तारी या आत्मसमर्पण हो चुका है, जबकि 350 से अधिक नक्सली मारे जा चुके हैं। बीजापुर में हुए इस आत्मसमर्पण के बाद यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि नक्सली संगठन कमजोर हो रहे हैं और उनमें असंतोष बढ़ रहा है।
सुरक्षा अभियान और विकास कार्यों का असर
छत्तीसगढ़ में नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ाई गई है। सुदूर क्षेत्रों में नए सुरक्षा कैंप स्थापित किए गए हैं, जिससे सुरक्षा बलों की पहुंच ग्रामीण इलाकों तक हो सकी है। नियमित सर्च ऑपरेशन और ठोस रणनीतियों के तहत नक्सलियों पर दबाव बनाया जा रहा है, जिससे कई नक्सली आत्मसमर्पण के लिए मजबूर हो रहे हैं।
राज्य सरकार ने बस्तर और अन्य प्रभावित जिलों में सड़क निर्माण, शिक्षा, स्वास्थ्य और संचार सुविधाओं के विस्तार को प्राथमिकता दी है। नियद नेल्ला नार योजना के तहत सड़क निर्माण से दुर्गम इलाकों को जोड़ा जा रहा है, जिससे ग्रामीणों के लिए बुनियादी सुविधाएं सुलभ हो सकें।
डबल इंजन सरकार की रणनीति और नक्सलवाद के खात्मे का लक्ष्य
केंद्र और राज्य सरकार द्वारा संयुक्त रूप से नक्सलवाद के समूल नाश के लिए योजनाएं बनाई गई हैं। वर्ष 2026 तक छत्तीसगढ़ को नक्सल मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। सुरक्षाबलों की कार्रवाई तेज करने के साथ-साथ नक्सलियों को आत्मसमर्पण के लिए प्रोत्साहित करने की नीति पर जोर दिया जा रहा है।
अब तक 50 से अधिक नए सुरक्षा कैंप स्थापित किए जा चुके हैं और विभिन्न इलाकों में आधारभूत संरचना का तेजी से विकास किया जा रहा है। नक्सलवाद के खात्मे की इस रणनीति में आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को समाज में पुनः स्थापित करने और रोजगार उपलब्ध कराने की योजनाएं बनाई गई हैं।
बदलते हालात और आत्मसमर्पण की बढ़ती संख्या
नक्सल प्रभावित जिलों में बदलाव साफ दिखाई देने लगा है। कई इलाकों में पहले जहां हिंसा आम बात थी, अब वहां शांति लौट रही है। सड़कें बनने, स्कूल खुलने और चिकित्सा सुविधाओं के विस्तार से जनता का सरकार पर भरोसा बढ़ा है।
बीजापुर में हुए सामूहिक आत्मसमर्पण के बाद यह संभावना प्रबल हो गई है कि आने वाले समय में और भी नक्सली मुख्यधारा में लौट सकते हैं। सरकार द्वारा आत्मसमर्पण करने वालों के पुनर्वास के लिए योजनाएं बनाई जा रही हैं, ताकि वे सम्मानजनक जीवन जी सकें और हिंसा की ओर दोबारा न मुड़ें।
सरकार की रणनीति नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शिक्षा और रोजगार को बढ़ावा देने की है, जिससे युवाओं को नक्सली विचारधारा से दूर रखा जा सके। पुनर्वास योजनाओं के तहत आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को कौशल विकास कार्यक्रमों से जोड़ा जाएगा और उन्हें मुख्यधारा में समाहित किया जाएगा।
इस अभियान के तहत अब तक मिली सफलता से यह स्पष्ट हो गया है कि छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद अपने अंतिम चरण में है। यदि सुरक्षा बलों की कार्रवाई और विकास कार्यों की यही गति बनी रही, तो आने वाले वर्षों में राज्य नक्सल मुक्त हो सकता है।