ताजा ख़बरेंधर्मब्रेकिंग न्यूज़राजनीतिराज्य

अयोध्या राम मंदिर परिसर में ऐतिहासिक प्रदर्शनी, 500 वर्षों का संघर्ष पीतल की प्लेटों पर उकेरा गया

राम जन्मभूमि परिसर में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा विशेष प्रदर्शनी लगाई गई है, जिसमें पीतल की प्लेटों पर राम मंदिर आंदोलन के 500 वर्षों के संघर्ष को दर्शाया गया है। जानें इसकी खास बातें।

अयोध्या: राम जन्मभूमि परिसर में लगी ऐतिहासिक प्रदर्शनी, 500 वर्षों का संघर्ष पीतल की प्लेटों पर उकेरा गया

अयोध्या (उत्तर प्रदेश): भारत के सांस्कृतिक और धार्मिक जीवन में विशेष स्थान रखने वाले अयोध्या नगरी में एक बार फिर इतिहास जीवंत हो उठा है। राम जन्मभूमि परिसर में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से एक अनूठी ऐतिहासिक प्रदर्शनी लगाई गई है, जो न केवल श्रद्धालुओं को भावनात्मक रूप से जोड़ती है, बल्कि उन्हें एक समृद्ध ऐतिहासिक यात्रा पर भी ले जाती है।

a41ad136-ab8e-4a7d-bf81-1a6289a5f83f
ea5259c3-fb22-4da0-b043-71ce01a6842e

इस प्रदर्शनी की विशेष बात यह है कि इसमें पीतल की नक्काशीदार प्लेटों के माध्यम से राम मंदिर आंदोलन के 500 वर्षों के संघर्ष को दर्शाया गया है। इन कलात्मक प्लेटों में मंदिर से जुड़ी घटनाओं, आंदोलनों, बलिदानों और न्यायिक लड़ाई को विस्तार से उकेरा गया है।

प्रदर्शनी का उद्देश्य: इतिहास को संजोने की ऐतिहासिक पहल

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा आयोजित इस प्रदर्शनी का मुख्य उद्देश्य राम मंदिर आंदोलन की ऐतिहासिक महत्ता को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाना है। ट्रस्ट के पदाधिकारियों का मानना है कि राम मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक अस्मिता, आस्था और आत्मबल का प्रतीक है।

प्रदर्शनी में राम जन्मभूमि से जुड़ी घटनाओं को क्रमबद्ध और दृश्यात्मक शैली में प्रस्तुत किया गया है। श्रद्धालु जब प्रदर्शनी हॉल में प्रवेश करते हैं, तो उन्हें ऐसा महसूस होता है जैसे वे समय के पन्नों में प्रवेश कर गए हों।

इतिहास के पड़ाव: बाबर से लेकर भव्य मंदिर निर्माण तक

प्रदर्शनी में सबसे पहले उस ऐतिहासिक समय का उल्लेख किया गया है जब 1528 में बाबर के आदेश पर बाबरी ढांचे का निर्माण हुआ था। इसके बाद प्लेटों के माध्यम से विभिन्न कालखंडों में मंदिर को पुनः प्राप्त करने के प्रयासों, आंदोलनों, साधु-संतों की संघर्षशील भूमिका और जनजागरण अभियानों को दर्शाया गया है।

विशेष ध्यान उन वर्षों पर दिया गया है जब 1984 से लेकर 1992 तक देश में राम मंदिर आंदोलन ने व्यापक जनसमर्थन प्राप्त किया और अंततः 6 दिसंबर 1992 को बाबरी ढांचा ढहा दिया गया। इसके बाद न्यायिक लड़ाई का दौर आता है, जिसे पीतल की प्लेटों में एक विशेष अनुभाग के रूप में दर्शाया गया है।

mantr
96f7b88c-5c3d-4301-83e9-aa4e159339e2 (1)

सुप्रीम कोर्ट का फैसला और निर्माण कार्य की शुरुआत

2019 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के पक्ष में दिए गए ऐतिहासिक फैसले को भी प्रदर्शनी में प्रमुखता से दर्शाया गया है। यह भाग उन संवैधानिक और लोकतांत्रिक मूल्यों को भी उजागर करता है, जिनके माध्यम से एक लंबा संघर्ष न्याय की मंज़िल तक पहुंचा।

इसके बाद 2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भूमि पूजन और मंदिर निर्माण की भव्य शुरुआत को रंगीन छवियों और पीतल की चमकती प्लेटों में अमर किया गया है।

कलात्मक प्रस्तुति: पीतल में उकेरा गया इतिहास

इस प्रदर्शनी में प्रयुक्त हर पीतल की प्लेट को स्थानीय और देशभर के कलाकारों द्वारा नक्काशी कर तैयार किया गया है। इन कलाकृतियों में इतनी सूक्ष्मता और भावनात्मकता है कि देखने वाले दर्शक न केवल दृश्य से जुड़ जाते हैं बल्कि उसकी भावनात्मक गहराई को भी महसूस करते हैं।

प्रदर्शनी में लगी प्लेटों के साथ-साथ डिजिटल डिस्प्ले, ऑडियो गाइड और संक्षिप्त विवरण भी दर्शकों की जानकारी के लिए जोड़े गए हैं। इससे यह प्रदर्शनी केवल एक कला संग्रह नहीं, बल्कि एक शैक्षणिक और प्रेरणात्मक अनुभव बन गई है।

श्रद्धालुओं और दर्शकों की प्रतिक्रिया

प्रदर्शनी को देखने आने वाले श्रद्धालुओं का कहना है कि यह आयोजन उनकी आस्था को और भी प्रबल करता है। कई लोगों ने यह भी कहा कि उन्होंने बचपन से राम मंदिर आंदोलन के बारे में सुना था, लेकिन आज पहली बार इतिहास को सजीव रूप में देख और समझ पाए।

साधु-संतों, सामाजिक संगठनों, छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए यह प्रदर्शनी एक महत्वपूर्ण संदर्भ स्रोत भी बन रही है। ट्रस्ट की योजना है कि इस तरह की घूमती प्रदर्शनी देश के अन्य प्रमुख शहरों में भी लगाई जाए।

परिसर में एक स्थायी संग्रहालय की भी तैयारी

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की योजना है कि भविष्य में इस प्रदर्शनी को एक स्थायी संग्रहालय का रूप दिया जाए, जो मंदिर परिसर का एक अभिन्न हिस्सा होगा। यहाँ पर राम मंदिर से संबंधित दस्तावेज़, चित्र, मूर्तियां, आंदोलन से जुड़े लोगों की जीवन गाथाएं और अन्य ऐतिहासिक सामग्रियाँ संग्रहित की जाएंगी।

Ashish Sinha

8d301e24-97a9-47aa-8f58-7fd7a1dfb1c6 (2)
e0c3a8bf-750d-4709-abcd-75615677327f

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!