
Chhattisgarh Education Reform: अब कोई स्कूल शिक्षक विहीन नहीं, Rationalization से ऐतिहासिक सुधार
छत्तीसगढ़ में युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया से शिक्षा व्यवस्था में ऐतिहासिक बदलाव। अब कोई भी स्कूल शिक्षक विहीन नहीं। बस्तर और सरगुजा जैसे क्षेत्रों में भी जल्द होगी पूर्ण शिक्षक नियुक्ति।
युक्तियुक्तकरण से छत्तीसगढ़ की शिक्षा व्यवस्था में ऐतिहासिक सुधार: अब कोई स्कूल शिक्षक विहीन नहीं
रायपुर, 3 जुलाई 2025 – छत्तीसगढ़ की शिक्षा व्यवस्था में युक्तियुक्तकरण (Rationalization Process) के माध्यम से एक बड़ा परिवर्तन आया है। राज्य सरकार की शिक्षा सुधार यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित करते हुए, अब प्रदेश का कोई भी स्कूल शिक्षक विहीन नहीं है।
युक्तियुक्तकरण से पहले, प्रदेश में कुल 453 ऐसे विद्यालय थे जहाँ कोई शिक्षक नहीं था। इस प्रक्रिया के बाद, यह संख्या घटकर शून्य हो गई है। इसके अतिरिक्त, प्रदेश के 5936 एकल शिक्षकीय विद्यालयों में से 4728 स्कूलों में अतिरिक्त शिक्षकों की नियुक्ति कर दी गई है। इस कदम को छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की दिशा में एक ऐतिहासिक सुधार के रूप में देखा जा रहा है।
आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षकों की कमी जल्द होगी पूरी
बस्तर और सरगुजा जैसे आदिवासी क्षेत्रों में अभी भी लगभग 1208 विद्यालय एकल शिक्षकीय हैं। हालांकि, आने वाले समय में 5000 नए शिक्षकों की सीधी भर्ती और प्रधान पाठकों व व्याख्याताओं की पदोन्नति से इन क्षेत्रों में शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी। इससे न केवल एकल शिक्षकीय विद्यालय समाप्त होंगे, बल्कि अन्य स्कूलों में भी स्टाफ की कमी पूरी की जाएगी।
आरटीई अधिनियम और एनईपी 2020 के अनुरूप युक्तियुक्तकरण
युक्तियुक्तकरण की यह प्रक्रिया शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप की गई है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि 2008 के पुराने सेटअप अब प्रासंगिक नहीं हैं। साथ ही, इस प्रक्रिया में गड़बड़ी करने वाले किसी भी अधिकारी या कर्मचारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही की गई है।