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पीठ दर्द ठीक करने के लिए महिला ने निगल लिए 8 जिंदा मेंढक, पेट से निकले जिंदा जीव

चीन में 82 वर्षीय महिला ने पीठ दर्द से राहत पाने के लिए 8 जिंदा मेंढक निगल लिए। संक्रमण फैलने पर उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों ने उसके शरीर से जिंदा मेंढक और परजीवी पाए।

पीठ दर्द से राहत पाने के लिए महिला ने निगल लिए 8 जिंदा मेंढक, पेट से निकले जिंदा जीव — डॉक्टर भी रह गए दंग!

बीजिंग / हांग्जो (चीन), अक्टूबर 2025। चीन में एक 82 वर्षीय महिला ने दर्द से छुटकारा पाने के लिए ऐसा कदम उठाया कि डॉक्टर भी हैरान रह गए। महिला ने पीठ दर्द से राहत पाने के लिए 8 जिंदा मेंढक निगल लिए, जिसके बाद उसकी हालत बिगड़ गई और उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।

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कैसे हुआ यह अजीबो-गरीब मामला

स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, झेजियांग प्रांत के हांग्जो शहर की रहने वाली बुजुर्ग महिला झांग लंबे समय से पीठ दर्द से परेशान थीं। किसी ने उन्हें बताया कि “जिंदा मेंढक खाने से पीठ दर्द ठीक हो जाता है।”
दर्द से परेशान झांग ने इस पर भरोसा किया और अपने परिवार से छोटे मेंढक पकड़ लाने को कहा। परिवार ने भी अनजाने में उनकी बात मान ली।

महिला ने पहले दिन तीन मेंढक निगले और अगले दिन पाँच और, यानी कुल आठ जिंदा मेंढक उसके पेट में चले गए। कुछ ही देर में महिला को तेज पेट दर्द और असहजता महसूस होने लगी।

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अस्पताल में खुला राज

परिवार ने झांग को तुरंत झेजियांग प्रांत के हांग्जो अस्पताल में भर्ती कराया।
डॉक्टरों ने जब जांच की तो पाया कि जिंदा मेंढक निगलने से उसके पाचन तंत्र को गंभीर नुकसान पहुंचा है। मेडिकल रिपोर्ट में स्पार्गनम (Sparganum) नामक खतरनाक परजीवी (parasite) मिला, जो आमतौर पर दूषित पानी या अधपके मांस से शरीर में प्रवेश करता है।

डॉक्टरों के अनुसार, यह संक्रमण झांग के शरीर में फैलने लगा था और उसकी हालत नाजुक हो गई थी। यदि इलाज में थोड़ी भी देरी होती, तो संक्रमण अन्य अंगों तक फैल सकता था, जिससे जान का खतरा था।

इलाज के बाद चेतावनी

दो हफ्ते तक चले इलाज के बाद झांग की हालत में सुधार हुआ और उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
डॉक्टरों ने उन्हें सख्त हिदायत दी कि भविष्य में किसी भी लोक-उपचार या अप्रमाणित घरेलू नुस्खे पर विश्वास न करें।

मेडिकल एक्सपर्ट्स ने कहा —

“ऐसे पारंपरिक मान्यताओं और लोककथाओं पर आधारित उपचार न केवल बेअसर होते हैं, बल्कि जानलेवा भी साबित हो सकते हैं। किसी भी बीमारी की स्थिति में वैज्ञानिक जांच और इलाज ही सुरक्षित उपाय है।”

 

Ashish Sinha

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