
Delhi Cyber Crime: डिजिटल अरेस्ट गिरोह का भंडाफोड़, 71 वर्षीय महिला से 49 लाख की ठगी
दिल्ली क्राइम ब्रांच की साइबर सेल ने डिजिटल अरेस्ट ठगी गिरोह का भंडाफोड़ किया। 71 वर्षीय महिला को 24 घंटे फोन पर बंधक बनाकर 49 लाख की ठगी की गई थी। पुलिस ने लखनऊ से गैंग के 6 सदस्यों को गिरफ्तार किया और पूरे नेटवर्क की जांच जारी है।
दिल्ली क्राइम ब्रांच का बड़ा खुलासा: 71 वर्षीय महिला को ‘डिजिटल अरेस्ट’ में फंसाकर 49 लाख की ठगी, 6 आरोपी गिरफ्तार
दिल्ली क्राइम ब्रांच की साइबर सेल ने एक ऐसे ठगी गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जो फोन कॉल के जरिए लोगों को मानसिक रूप से कैद कर डिजिटल अरेस्ट की स्थिति में पहुंचा देता था। यह गैंग खुद को पुलिस, कस्टम या किसी सरकारी एजेंसी का अधिकारी बताकर पीड़ितों को घंटे-भर मोबाइल पर बांधकर रखता था और इसी दौरान उनसे लाखों रुपए की ठगी करता था।
इसी गैंग ने दिल्ली की एक 71 वर्षीय महिला को 24 घंटे तक फोन पर बंधक बनाकर उनसे 49 लाख रुपये की ठगी की थी। मामले की गंभीरता को देखते हुए दिल्ली पुलिस ने इसे चुनौतीपूर्ण केस मानते हुए तत्काल FIR दर्ज कर जांच शुरू की।
गिरोह के 6 सदस्य लखनऊ से पकड़े गए
दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने लखनऊ के अमीनाबाद, हसनगंज, मड़ेगंज और सदर कैंट इलाके में एक साथ कई छापेमारियाँ चलाईं और गिरोह के छह महत्वपूर्ण सदस्यों को गिरफ्तार किया। गिरफ्तार आरोपी हैं—
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मोहम्मद ओवैस
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विशाल तिवारी
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शकील अहमद
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मोहम्मद अहद
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मोहम्मद आतिफ
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मोहम्मद उज्जैब
जांच में सामने आया कि इनमें से अधिकतर आरोपी बेरोजगार थे या छोटा-मोटा काम करते थे। गिरोह का मास्टरमाइंड इन युवकों को पैसों के लालच में फांसता था और इनके नाम पर म्यूल अकाउंट खुलवाता था। ठगी का पैसा इन्हीं खातों में घुमाया जाता था, ताकि ट्रांजैक्शन का असली स्रोत कभी सामने न आए।
कैसे किया जाता था ‘डिजिटल अरेस्ट’?
दिल्ली पुलिस के अनुसार यह गिरोह एक सुनियोजित तरीके से काम करता था—
1️⃣ खुद को सरकारी अधिकारी बताना
ठग पीड़ित को कॉल कर कहते कि उनका नाम किसी गंभीर अपराध, ड्रग्स केस, या मनी लॉन्ड्रिंग में आ गया है।
2️⃣ मानसिक दबाव और भय पैदा करना
उन्हें कहा जाता कि अगर उन्होंने सहयोग नहीं किया तो गिरफ्तारी कर ली जाएगी।
3️⃣ फोन काटने पर जेल भेजने की धमकी
पीड़ित को “डिजिटल अरेस्ट” में रखा जाता था—
मतलब घंटों तक फोन पर ही बंधक, कॉल काटने तक की इजाज़त नहीं।
4️⃣ फिर शुरू होता था ठगी का खेल
डर के माहौल में पीड़ित से कहा जाता कि वे अपनी सुरक्षा के लिए पैसे
‘सरकारी वेरिफिकेशन अकाउंट’ में जमा करें।
ये खाते असल में फर्जी या म्यूल अकाउंट होते थे।
5️⃣ पैसे कई खातों में घुमाए जाते
ठगी की रकम अलग-अलग खातों में भेजकर तुरंत ATM से निकाल ली जाती,
ताकि पुलिस तक सीधा सुराग न पहुँचे।
जांच जारी, पूरे नेटवर्क को तोड़ने की तैयारी
दिल्ली पुलिस का कहना है कि यह सिर्फ शुरुआत है।
पकड़े गए आरोपियों से पूछताछ में कई बड़े नाम सामने आने की उम्मीद है।
पुलिस अब—
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गिरोह के मास्टरमाइंड की तलाश
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फर्जी बैंक खातों की चैन ट्रैक
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ठगी की पूरी रकम की रिकवरी
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बाकी राज्य में फैले मॉड्यूल का पर्दाफाश
कर रही है।
पुलिस का कहना है कि जल्द ही इस रैकेट से जुड़े और भी चेहरे उजागर हो सकते हैं।












