
कैसरगंज: बृजभूषण शरण सिंह ने 2029 लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान, बोले—बीजेपी टिकट दे या न दे लड़ूंगा
पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने 2029 लोकसभा चुनाव लड़ने की घोषणा कर राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी है। उन्होंने कहा कि परिस्थितियों के कारण पार्टी ने उन्हें रिटायर किया, लेकिन जनता ने नहीं। भाजपा टिकट दे या न दे, वे हर हाल में कैसरगंज से चुनाव लड़ेंगे। बृजभूषण छह बार सांसद रह चुके हैं और उनका परिवार भी क्षेत्र की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाता है। उनकी घोषणा के बाद कैसरगंज सीट पर नई सियासी हलचल शुरू हो गई है।
पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह 2029 लोकसभा चुनाव में उतरने को तैयार, कहा—“बीजेपी टिकट दे या न दे, मैं चुनाव लड़ूंगा”
उत्तर प्रदेश की कैसरगंज लोकसभा सीट पर 2029 के आम चुनाव को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। छह बार सांसद रह चुके और हिंदुस्तान की राजनीति में चर्चित नाम बृजभूषण शरण सिंह ने एक बार फिर चुनावी मैदान में उतरने का ऐलान कर दिया है। उन्होंने साफ कहा कि वे किसी भी हाल में 2029 का लोकसभा चुनाव लड़ेंगे—चाहे भाजपा उन्हें टिकट दे या न दे।
“परिस्थिति जन्य रिटायर किया गया, जनता ने मुझे रिटायर नहीं किया”—बृजभूषण
बृजभूषण शरण सिंह ने कहा कि पार्टी ने उन्हें परिस्थितियों के कारण रिटायर कर दिया, लेकिन जनता ने कभी नहीं। उन्होंने दावा किया कि कैसरगंज, गोंडा और बलरामपुर के लोगों का अब भी उन्हें समर्थन प्राप्त है।
“जनता मुझे अपने सांसद के रूप में देखना चाहती है, इसलिए मैं चुनाव लड़ने जा रहा हूं।”
उन्होंने यह भी कहा कि अगर पार्टी उन्हें टिकट देती है तो भी वे चुनाव लड़ेंगे और अगर टिकट नहीं मिलता तो पैदल भी चुनाव प्रचार कर मैदान में उतरेंगे। उनके इस बयान के बाद पूरे पूर्वांचल से लेकर अवध क्षेत्र तक राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं।
परिवार की मजबूत राजनीतिक पकड़
बृजभूषण शरण सिंह का परिवार लंबे समय से राजनीति में सक्रिय है और विभिन्न पदों पर काबिज रहा है।
- उनके बड़े बेटे करन भूषण सिंह वर्तमान में सांसद हैं।
- छोटे बेटे प्रतीक भूषण सिंह विधायक हैं।
- उनकी पत्नी केतकी सिंह भी पूर्व सांसद रह चुकी हैं।
इस मजबूत राजनीतिक पृष्ठभूमि के कारण कैसरगंज सहित आसपास के जिलों में बृजभूषण परिवार का व्यापक जनाधार माना जाता है।
कैसरगंज सीट पर बढ़ी सियासी हलचल
2029 लोकसभा चुनाव अभी दूर है, लेकिन बृजभूषण शरण सिंह की इस घोषणा के बाद कैसरगंज संसदीय क्षेत्र में राजनीतिक सरगर्मी अचानक तीव्र हो गई है। भाजपा, सपा, बसपा और राष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय अन्य दलों ने भी इस सीट पर अपने समीकरण साधने शुरू कर दिए हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि बृजभूषण शरण सिंह का संगठन पर मजबूत पकड़ है और क्षेत्र में उनकी विकास योजनाओं का बड़ा प्रभाव रहा है।
बीजेपी की स्थिति पर उठ रहे सवाल
बृजभूषण का यह ऐलान भाजपा के लिए भी चुनौतीपूर्ण माना जा रहा है। अगर पार्टी उन्हें टिकट नहीं देती है और वे निर्दलीय या किसी अन्य दल से चुनाव लड़ते हैं, तो कैसरगंज सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला बन सकता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पार्टी हाईकमान के लिए यह निर्णय आसान नहीं होगा, क्योंकि बृजभूषण पूरे क्षेत्र में एक प्रभावशाली नेता माने जाते हैं।
जनता के समर्थन का दावा
बृजभूषण शरण सिंह ने कहा कि पिछले कुछ महीनों से क्षेत्र के लोग उन्हें लगातार चुनाव लड़ने के लिए आग्रह कर रहे थे।
“मैंने हमेशा जनता की सेवा की है। अब जनता ने मुझे फिर बुलाया है, इसलिए मैं चुनाव मैदान में उतरूंगा।”
उनके समर्थकों ने भी सोशल मीडिया पर अभियान शुरू कर दिया है, जिसमें उन्हें “जनता का नेता” और “क्षेत्र का सच्चा प्रतिनिधि” बताया जा रहा है।







