
समूह ने स्कूलों में कई माह से वितरण नही किया दर्जनों किवंटल चावल।
सुरजपुर/विश्राम पुर = जिला मुख्यालय के महज 15 किलोमीटर के दायरे में शासन से मिलने योजनाओ के लाभ से ग्रामीण वंचित है। स्कूली बच्चों को मिलने वाले मध्यान्ह भोजन में विकाशखण्ड शिक्षा अधिकारी, फूड विभाग के अफसरों की लापरवाही के कारण माध्यमिक व प्राथमिक शाला, प्राथमिक शाला के स्कूली बच्चों को मिलने वाले सुखा राशन को समूह द्वारा वितरण करना ऊचित नही समझा गया। बल्कि महीनों से चावल का टोकन लेकर कागजो में चावल वितरण करके बाजार में बेच दिया गया है। और मिलने वाले राशि को फूड, शिक्षा विभाग सहित समूह के सदस्य आपस मे बंदर बांट कर लिए है।
जानकारी के मुताबिक सुरजपुर विकाशखण्ड के ग्राम कुंजनगर में सुखा राशन वितरण कार्यक्रम के तहत शासन से जारी खाद्यान्न कूपन का राशन ग्राम पंचायत कुंजनगर अंतर्गत संचालित सभी प्राथमिक प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों को वितरण करने वाली लक्ष्मी स्व सहायता समूह कुंजनगर द्वारा खाद्यान्न स्कूलों में वितरण नही किया है। बल्कि राशन को बेच कर खाद्य विभाग के मिली भगत करके बंदर बांट की गई है।
ग्राम पंचायत कुंजन नगर में संचालित स्कूलों की जानकारी इस प्रकार है-
माध्यमिक शाला नगर कुल खाद्यान्न की मात्रा 13 क्विंटल 10 किलो में से 11 किवटल 10 किलो अक्टूबर माह 2020 से जनवरी माह 2021 तक नहीं भेजा गया है।
– मा. शा. स्टेशन पारा में कुल खाद्यान 4.10 किवंटल नही मिला है।
प्रा. शा. कुंजनगर में कुल खाद्यान 8.20 किवंटल में से 7.20 किवंटल आर्याप्त है।
प्रा.शा. झारपारा में कुल 4.10 किवंटल नही मिला है।
– प्रा. शा. स्टेशन पारा में 4. 10 किलो नही मिला है।
– शासकीय पूर्व मध्यमिक शाला कुंजनगर में खाद्यान उठाव 20 सितम्बर 2020 से नही हो पाया है। जिसकी जानकारी इस प्रकार है। अगस्त माह में 1. 60 किवंटल। सितम्बर माह से जनवरी माह तक कुल खाद्यान 13.10 किवंटल का गमन किया गया हैं। वहीँ शा. प्रा. शा. कुंजनगर में खाद्यान 20 सितम्बर 2020 से 6 माह का राशन नही दिया गया है। जिसका कुल खाद्यान 8. 20 किवंटल है। प्राथमिक शाला झार पारा में 4 माह राशन कम दिया गया जो 4 किवंटल 10 किलो होगा। पूर्व स्टेशन पारा में पिछले कुछ माह स्व नही दिया गया है जो 4.10 किवंटल है। बतादें कि इससे पूर्व द्वारा इसी समूह द्वारा शासकीय ऊचित मूल्य के दुकान का संचालन किया जा रहा था। इस दौरान बड़ी गरीबो को देने वाले राशन में अनिमियता बरती गई थी । जिसके बाद भी प्रशासन ने समूह संचालक के ऊपर एफआईआर करवाना ऊचीत नही समझा था बल्कि बड़ी देरी के बाद निलंबन की कार्यवाही की गई थी। जिसके बाद भी उसी समूह के सदस्यों द्वारा पुनः राशन का वितरण किया जा रहा है। जबकि फूड ऑफिस की भूमिका
संदिग्ध देखी जा सकती है। फूड विभाग के अफसर दफ्तरों में बैठ कर मॉनिटरिंग का कार्य करते है। और कागजो में जांच दौरा बता कर खाना पूर्ति का कार्य कर रहे है।
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