
CG News: नकली कफ सिरप मामला—30 दिन बाद छापेमारी, नवकार मेडिकल से डिजिटल साक्ष्य जब्त; विभाग की देरी पर सवाल
राजिम के कुलेश्वर मेडिकल में मिले नकली कफ सिरप मामले में 30 दिन बाद कार्रवाई। नवकार मेडिकल में छापेमारी कर डिजिटल साक्ष्य जब्त। विभाग की देरी और व्यापारिक प्रतिस्पर्धा के एंगल पर उठे सवाल।
CG News : नकली कफ सिरप मामला—30 दिन बाद कार्रवाई, नवकार मेडिकल पर छापेमारी; विभाग की सक्रियता पर सवाल

गरियाबंद। राजिम स्थित कुलेश्वर मेडिकल में पाए गए नकली कफ सिरप मामले में कार्रवाई में देरी को लेकर खाद्य एवं औषधीय प्रशासन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। विभाग ने इस मामले को लाइफ थ्रेटनिंग (जीवन के लिए खतरा) बताते हुए एक महीने पहले ही कुलेश्वर मेडिकल संचालक सीताराम साहू के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत कार्रवाई की थी। चालान में भी इस कारोबार को जोखिमपूर्ण (Risky Business) बताया गया था, लेकिन विभाग की सक्रियता अपेक्षित स्तर पर नहीं दिखी।
30 दिन की देरी के बाद मेडिकल सील और गिरफ्तारी
सूत्रों के अनुसार, कई दौर की उच्चस्तरीय “मैत्रीपूर्ण वार्ताओं” के बावजूद सकारात्मक परिणाम नहीं मिले। इसके बाद आखिरकार नवंबर माह में कुलेश्वर मेडिकल को सील करने और संचालक सीताराम साहू को गिरफ्तार करने की कार्रवाई की गई।
देरी क्यों हुई?—इस सवाल पर विभागीय अधिकारी साफ जवाब नहीं दे रहे हैं।
नवकार मेडिकल पर दबिश—डिजिटल साक्ष्य जब्त
आज गरियाबंद खाद्य एवं औषधीय प्रशासन के निरीक्षक धरमवीर सिंह ध्रुव के नेतृत्व में रायपुर की टीम ने नवापारा सदर रोड स्थित नवकार मेडिकल स्टोर में छापेमारी की।
निरीक्षक ध्रुव ने बताया—
- पिछले निरीक्षण में कुलेश्वर मेडिकल, राजिम से मिले नकली कफ सिरप की सप्लाई का लिंक नवकार मेडिकल से जुड़ा पाया गया।
- इसी कड़ी में यहां दबिश दी गई।
- डिजिटल डेटा, बिल, दस्तावेज समेत कई साक्ष्य जब्त किए गए हैं।
- आगे पूछताछ कर कार्रवाई बढ़ाई जाएगी।
व्यापारिक प्रतिस्पर्धा का भी एंगल—स्थानीय चर्चाएँ तेज
स्थानीय व्यापारियों और मेडिकल संचालकों के बीच चर्चा है कि—
- यह पूरा मामला सिर्फ नकली कफ सिरप का नहीं है
- इसमें व्यापारिक प्रतिस्पर्धा का भी बड़ा रोल बताया जा रहा है
- कार्रवाई में देरी और फिर अचानक सक्रियता ने कई सवाल खड़े किए हैं
विभाग पर आरोप है कि—
- यदि मामला लाइफ थ्रेटनिंग था, तो तुरंत कार्रवाई क्यों नहीं की गई?
- 30 दिन तक किस बात का इंतजार हुआ?
- क्या “मैत्रीपूर्ण वार्ता” ही देरी की वजह थी?
विभागीय अधिकारियों ने इस पर चुप्पी साध रखी है।











