
कृषि कानून देश के अन्नदाताओं की समस्या को गंभीरता से लें मोदी सरकार : स्वामीनाथ जायसवाल
कृषि कानून देश के अन्नदाताओं की समस्या को गंभीरता से लें मोदी सरकार : स्वामीनाथ जायसवाल
नई दिल्ली भारतीय राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस इंटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामीनाथ जयसवाल ने किसानों व श्रमिकों के प्रति कहा कि देश के करोड़ों गरीब किसानों व मजदूरों के प्रति मोदी सरकार की बेरुखी पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि वर्तमान सरकार महामारी के दौर में भी करोड़ों गरीब किसानों व मजदूरों के अधिकारों का दमन कर उनके भविष्य से खिलवाड़ कर आग से खेलने का काम कर रही हैं।
स्वामीनाथ जयसवाल ने यह भी कहा कि सरकार को शायद यह मालूम नहीं कि देश की सीमाओं की सुरक्षा के लिए जवान व देश की 135 करोड़ से अधिक आबादी को अन्न मुहैया वाले किसान और अपने खून पसीने से देश का नवनिर्माण करने वाले मजदूर ही भारतीय लोकतंत्र को जीवंत रखने वाले असली योद्धा है।
ज्ञात रहे किसान व श्रमिक (मजदूर ) इस देश का वो वर्ग है जिसने देश को आजाद कराने में अपना खून पसीना बहाया और आजाद भारत की आजादी को सुरक्षित रखने के लिए आज भी अपना खून पसीना बहा रहा है।
श्रमिक नेता ने मोदी सरकार लागू किये गये संशोधित नये कृषि व श्रम कानूनों की बखिया उधेड़ते हुए कहा कि ये दोनों कानून देश के लिए नासूर साबित होंगे । क्योंकि दोनों कानूनों में गरीब किसान व मजदूर का दमन करने की पटकथा लिखी गई है ।
नये कृषि व श्रम कानून यदि किसान व मजदूर विरोधी ना होते तो पिछले 6 महीने से सर्दी गर्मी और बरसात की प्रवाह किये बिना देश के गरीब किसान व मजदूर आन्दोलन की राह पर ना होते और ना ही मजदूर बेरोजगारी की विभीषिका से जूझने को मजबूर होते।
स्वामीनाथ जयसवाल ने बताया कि इस देश के लिए बड़े ही दुर्भाग्य की बात है कि वर्तमान मोदी सरकार नये कृषि व श्रम कानून थोप कर ब्रिटानिया सरकार की तरह किसानों व मजदूरों को तरह तरह के सब्जबाग दिखाकर एक बार फिर से नये अंग्रेजों ( कारपोरेट घरानों ) का गुलाम बनाने पर उतारू है ।
विडम्बना है कि देश में इस प्रकार के हालात मजदूरों की चिंताओं को दूर किया पैदा करके सरकार देश को एक बार जाये । फिर से क्रांति की आग में झोंकने का स्मरण रहे देश का गरीब काम कर रही है ।
किसान व श्रमिक ही वो वर्ग है जो राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस मांग इस लोकतान्त्रिक भारत में आजादी करती है कि यदि मोदी सरकार सबका से लेकर आज हर सरकार का भविष्य साथ सबका विकास के नारे को तय करता आया है ।
चाहे वो कृषि आत्मसात करना चाहती है तो किसानों क्षेत्र के किसान से लेकर मजदूर तक व मजदूरों के लिए शोषणकारी साबित हो या कल कारखानों से लेकर हो रहे नये कृषि और श्रम कानूनों कम्पनियों व असंगठित क्षेत्र में काम को अविलम्ब रद्द कर किसानों व करने वाले श्रमिक हों।