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शिक्षकों का समाज , राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका

 शिक्षकों का समाज , राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका

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ब्यूरो चीफ/सरगुजा//  जनजाती गौरव समाज बलरामपुर जिला के द्वारा शिक्षकों का 05 सितम्बर को शिक्षक गौरव सम्मान के रूप में कार्यक्रम आयोजित कर शिक्षकों का सम्मान किया गया । इस अवसर पर कायक्रम में अतिथि के रूप में संतवबरूवाहन महराज , अध्यक्ष सनातन संत समाज एवं डॉ . पो . आशुतोष मण्डावी , कूसाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय रायपर एवं डॉ . प्रो . मुकेश सिंह गुरू घासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर एवं सविता पण्डो , गांझा राम पहाड़ी कोरवा के आतिथ्य में एवं जनजाति गौरव समाज के संभागीय अध्यक्ष  परमेश्वर सिंह के अध्यक्षता में सरस्वती शिशु मंदिर डिपाडीहकला सभा हाल में कायक्रम सम्पन्न हुआ । जिसमें सर्वप्रथम अतिथियों के द्वारा भारतमाता , सरस्वतीमाता , महामाया , छत्तीसगढ़ महतारी , बाबा सावत सरना , डॉ . सर्वपल्लि राधाकृष्णन जी के छायाचित्र पर धूप – दीप प्रज्ज्जवलित कर कार्यक्रम प्रारम्भ हुआ । अतिथियों का आयोजन समिति के पदाधिकारी द्वारा तिलक लगाकर साल श्रीफल भेंट कर स्वागत किया गया ।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि के द्वारा उपस्थित शिक्षकों को अपन उधबोधन मे शिक्षकों को राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका विषय पर प्रकाश डालते हुये परम पूज्य गहिरा गुरू का उदाहरण सनातन संत समाज का स्थापना का उद्देश्य एवं सनातन परंपरा का संस्कार जनजाति बाहुल्य क्षेत्र में सभी प्रकार का शिक्षा के दृष्टि से गुरू महाराज ने सनातन संत समाज का स्थापना किया एवं डॉ . सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के जीवन पर भी प्रकाश डालते हुये एक आदर्श शिक्षक का भूमिका स्वस्थ समाज निर्माण में किस प्रकार का होना चाहिए इस विषय पर भी प्रकाश डाला । डॉ . प्रो . मुकेश सिंह के द्वारा अपने उधबोधन में शिक्षा का महत्त्व पर पकाश डालते हुये कितने संघर्ष के बाद शिक्षा मिलता है इस विषय पर शिक्षा पाने के लिए गुरू और शिष्य में अपनापन का भाव समाज के सभी वर्गों से कुछ न कुछ सीखा जाता है , शिक्षा प्राप्ति के बाद अपनो को छोड़ना नहीं चाहिए , यह समाज , यह देश मेरा है इस प्रकार के भाव में शिक्षक को रहना चाहिए ।

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डॉ . आशुतोष मण्डावी  ने प्राचीन गुरू परंपरा का उदाहरण देते हुये ऋषि – मुनियों का गुरू और शिष्य परंपरा आदर्ष उदाहरण एवं वन्य औषधि विषय पर भी प्रकाश डाला गया । इस अवसर पर सविता पण्डो के द्वारा अपने बारे में बताते हुये शिक्षा में संघर्ष का बृतांत बताया l अध्यक्षीय उदबोधन में जनजाति गौरव समाज के संभागीय अध्यक्ष परमेश्वर सिंह के द्वारा प्राचीन काल से गुरू शिष्य की परंपरा ” गुरू ही ब्रम्हा गुरू , गुरू ही विष्णु , गुरू ही महेश्वर ‘ इस विषय पर प्रकाश डालते हुए जनजाति गौरव समाज के स्थापना का मूल उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए जनजाति महापुरूषों के द्वारा बताये बनाये माग पर सनातन जनजाति धर्म संस्कृति रितिरिवाज परंपरा को बचाये एवं बनाये रखने के दृष्टि से विदेशी सभ्यता , संस्कृति , से सावधान रहने को कहा । स्वागत उदबोधन एवं सभी अतिथियों गणमन लोंगों का परिचय जनजाति गोरव समाज के प्रांत सचिव रामलखन सिंह पैकरा के द्वारा कराया गया । अतिथियों के द्वारा विशेष उल्लेखनीय कार्य करने वाले शिक्षकों एवं सेवानिवृत शिक्षकों का साल , श्रीफल , अंगोछा , औषधिय पौधा प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया । जिसमें कुवंर साय ,  सिद्धनाथ पैंकरा , यदुनाथ सिंह , डोमनसाय भगत , टयाँ राम नागे , महेन्द्र यादव , गणेश राम माँझी , लल्लू राम ,  गायत्री भगत ,  प्रेमा भगत , गाँझा राम आदि ।

कार्यक्रम का संचालन जनजाति गौरव समाज के बलरामपुर जिला के संरक्षक  उमाशंकर भगत के द्वारा किया गया ।  इस अवसर पर जनजाति गोरव समाज के बलरामपुर जिला अध्यक्ष रघुवीर भगत के द्वारा कार्यक्रम में आभार प्रर्दशन किया गया । इस अवसर पर  सरपंच हीरासाय , पूर्व सरपंच रमेश पैंकरा , उर्मिला पैंकरा ,  शशीकला भगत , प्रकाश भगत , मनाज गुप्ता , जगेश्वर राम , दुखना राम , प्रभूराम भगत , कमला प्रसाद सिंह , धरम सिंह , उपेन्द्र सिंह पावले , बुधना राम , गौरीशंकर अग्रवाल , सुखराम पैंकरा , अरविन्द , सत्यानन्द , इन्द्रसाय ,  उधेश्वरी पैंकरा ,  विजेता तिर्की , हरिनाथ सिंह , सीता राम , विमल पैंकरा , संतोष पैंकरा , प्रदीप जायसवाल , बुधेश्वरी पैंकरा , रामजीत नाग , अभय पैकरा , महेश पैकरा , हमेन्द्र सिंह , दिनेश सिंह , यदुनाथ सिंह , गणेश सिंह , प्रकाश भगत , रीमल पैंकरा आदि कार्यकर्ता पूरे जिले भर से जनजाति समाज के गणमान्य लोग भारी संख्या में उपस्थित हुये ।

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