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रागी की खेती की ओर बढ़ा सरगुजा के किसानों का रुझान

इस वर्ष 35 हेक्टेयर में की गई है रागी की खेती

रागी की खेती की ओर बढ़ा सरगुजा के किसानों का रुझान

ब्यूरो चीफ/सरगुजा//   कम लागत में अधिक फायदे वाली फसल रागी की खेती की ओर सरगुजा के किसानों ने रुझान बढ़ा है। अब जिले के किसान रागी की खेती को तेजी से अपना रहे है। इस खरीफ सीजन में करीब 35 हेक्टेयर में रागी की खेती की गई है। कलेक्टर संजीव कुमार झा के मार्गदर्शन में कृषि विभाग द्वारा जिले के किसानों को कोदो-कुटकी व रागी की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

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कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि जिले के बतौली, सीतापुर और मैनपाट विकासखण्ड में रागी की खेती अधिक क्षेत्र में की जा रही है। अधिकारियों ने बताया कि रागी की खेती में खाद, कीटनाशक आदि की जरूरत नहीं होती। कम पानी और देखभाल की कम जरूरत के बाद भी अच्छी उपज होती है। एक एकड़ में करीब 6 क्विंटल पैदावार हो जाती है।

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उन्होंने बताया कि इस खरीफ वर्ष में कोदो-कुटकी व रागी की खेती 3 हजार 110 हेक्टेयर  में की जा रही है। राज्य शासन द्वारा कोदो- कुटकी व रागी की खेती को बढ़ावा देने के लिए राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत 9 हजार रुपये प्रति एकड़ प्रतिवर्ष आदान सहायता राशि दी जाएगी। इस योजना के तहत यदि किसान धान के बदले अन्य फसल लेते है तो उन्हें 10 हजार रुपये प्रति एकड प्रतिवर्ष आदान सहायता राशि दी जाएगी।

उल्लेखनीय है कि प्रदेश में रागी की खेती की बढ़ावा देने के लिए विगत दिनों मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उपस्थिति में आईएमआर के साथ 14 जिलों का ओएमयू  हुआ है। रागी या मंडुआ को फिंगर मिलेट भी कहा जाता है। रागी कैल्शियम, आयरन ,प्रोटीन तथा अन्य खनिजों का अच्छा स्रोत है। फसल उत्पादन की दृष्टि से रागी को बहुत कम पानी की आवश्यकता होती है तथा यह सूखे को आसानी सहन कर लेता है। वैज्ञानिक विधि से इसकी खेती की जाय तो 25 से 26 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज होती है।

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