
अर्दोआन दुनिया के सबसे बड़े कार्यक्रम में क्यों नहीं पहुंचे?
अर्दोआन दुनिया के सबसे बड़े कार्यक्रम में क्यों नहीं पहुंचे?
संयुक्त राष्ट्र के जलवायु सम्मेलन COP26 में एक ओर जहां पूरी दुनिया के देशों के नेता जमा हैं और वो जलवायु परिवर्तन से निपटने में अपने देश का खाका पेश कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने इसमें शामिल होने से इनकार कर दिया है.

तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने इसकी वजह ‘सुरक्षा कारणों’ को बताया है.
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समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने तुर्की के मीडिया के हवाले से जानकारी दी है कि सोमवार को ग्लासगो में जारी सम्मेलन में भाग लेने से इनकार करते हुए तुर्की ने कहा है कि ब्रिटेन उनकी सुरक्षा मांगों को पूरा करने में असफल रहा है.
इससे भी दिलचस्प बात ये है कि बीते सप्ताह शनिवार और रविवार को तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन G20 सम्मेलन में रोम में ही थे.
इस दौरान उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से मुलाक़ात की और फिर उनका वहां से स्कॉटलैंड के ग्लासगो में जारी COP26 सम्मेलन में पहुंचने का कार्यक्रम था.
हालांकि, वो ग्लासगो पहुंचने की जगह सोमवार की मध्य रात्रि को तुर्की वापस लौट गए.
तुर्की ने क्या बताया कारण
अमेरिकी अख़बार बैरंस ने लिखा है कि तुर्की लौटते समय अर्दोआन ने पत्रकारों से कहा कि ग्लासगो कार्यक्रम के आयोजक उनके प्रतिनिधिमंडल की सुरक्षा चिंताओं को दूर करने में नाकाम रहे.
तुर्की की सरकारी समाचार एजेंसी अनादोलू ने अर्दोआन के हवाले से लिखा है, “जब हमारी मांगें नहीं पूरी हुईं, हमने ग्लासगो जाने का इरादा छोड़ दिया.”
“यह केवल हमारी ख़ुद की सुरक्षा के कारण नहीं है बल्कि हमारे देश के सम्मान के बारे में भी है.”
उनका कहना था कि तुर्की के यह मानक प्रोटोकॉल हैं जो हर अंतरराष्ट्रीय यात्रा के दौरान लागू किए जाते हैं.
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने शुरुआत में कहा था कि समस्या को सुलझा लिया गया है लेकिन अर्दोआन ने कहा, “आख़िरी वक़्त पर वो हमारे पास आए और कहा कि स्कॉटलैंड की ओर से इसमें कई कठिनाइयों का हवाला दिया गया है.”
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मिडिल ईस्ट आई वेबसाइट ने तुर्की के एक सूत्र के हवाले से लिखा है कि आयोजकों ने अर्दोआन के साथ यात्रा कर रहे प्रतिनिधिमंडल में शामिल लोगों की एक सीमा तय कर दी थी.
This is what Turkey’s President Erdogan said to press upon his return from Rome on the reason why he did not attend the COP26 Leaders’ Summit in Glasgow pic.twitter.com/DNfmv0DAqW
— TRT World (@trtworld) November 1, 2021
इस मामले के बढ़ने के बाद तुर्की के राष्ट्रपति अर्दोआन ने सोमवार को बयान भी जारी किया.
उन्होंने बयान में कहा, “हमने वहां पर कुछ सुरक्षा प्रोटोकॉल की मांग की थी. हमसे आख़िरी समय पर कहा गया कि इन्हें पूरा नहीं किया जा सकता है. इसके बाद हमें पता चला कि पहले कई देशों को अपवाद स्वरूप यह छूट दी गई है, जो कि राजनयिक प्रचलन के ख़िलाफ़ है.”
“हम यह स्वीकार नहीं कर सकते हैं. इसके बाद हमने ग्लासगो न जाने का फ़ैसला किया. यह (फ़ैसला) हमारे देश के सम्मान के लिए है. हम अपनी देश की जनता के हितों की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. हम दिखा चुके हैं कि हम एक बेहतर दुनिया केवल निष्पक्ष दृष्टिकोण से ही बना सकते हैं.”
समाचार एजेंसी रॉयटर्स लिखती है कि ब्रितानी प्रधानमंत्री जॉनसन के प्रवक्ता ने सुरक्षा प्रबंधों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है और न ही स्कॉटलैंड पुलिस ने इस पर कोई टिप्पणी की है.
हालांकि, बाद में तुर्की के एक अधिकारी ने रॉयटर्स से कहा कि ब्रिटेन की अथॉरिटीज़ तुर्की की सुरक्षा मांगों को पूरा करने में नाकाम रहीं.
उस अधिकारी ने कहा, “राष्ट्रपति ने यह फ़ैसला इसलिए लिया क्योंकि सुरक्षा के लिए गाड़ियों की संख्या और दूसरी सुरक्षा संबंधित मांगें पूरी नहीं की गईं.”
समाचार एजेंसी रॉयटर्स लिखती है कि ब्रितानी प्रधानमंत्री जॉनसन के प्रवक्ता ने सुरक्षा प्रबंधों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है और न ही स्कॉटलैंड पुलिस ने इस पर कोई टिप्पणी की है.
जलवायु परिवर्तन को लेकर क्या कर रहा है तुर्की
बीते महीने तुर्की की संसद ने 2015 के पेरिस जलवायु समझौते को स्वीकार किया था और ऐसा करने वाला वो G20 संगठन का अंतिम देश था.
तुर्की ने कई सालों से इस समझौते को लटका रखा था. उसका कहना था कि तुर्की को एक विकसित देश की श्रेणी में नहीं रखा जाना चाहिए क्योंकि इसके साथ ही कार्बन उत्सर्जन को कम करने को लेकर उसके फंड में भी कटौती होगी. उसका यह भी कहना था कि तुर्की का ऐतिहासिक रूप से कार्बन उत्सर्जन में बहुत कम योगदान रहा है.
बीते सप्ताह अर्दोआन ने कहा था कि तुर्की ने 3.2 अरब डॉलर के एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं जो पेरिस समझौते के तहत तय स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों को हासिल करने में मदद करेगा.
वहीं अर्दोआन अगले दो साल बाद होने वाले आम चुनाव को देखते हुए पर्यावरण मुद्दों पर भी ज़ोर दे रहे हैं. लेकिन दूसरी ओर वो अपने मुख्य पश्चिमी सहयोगियों से भी टक्कर ले रहे हैं.
रोम में हुई अर्दोआन और बाइडन की बैठक लगभग रद्द होने की कगार पर थी क्योंकि बीते महीने अर्दोआन ने धमकी दी थी कि वो 10 पश्चिमी देशों के राजदूतों को देश से निकाल बाहर करेगा.
दरअसल इन देशों के राजदूतों ने एक साझा बयान जारी करते हुए जेल में बंद सिविल सोसाइटी के नेताओं का समर्थन किया था.
हालांकि बाद में अर्दोआन तब नरम पड़ गए जब इन दूतावासों ने एक सार्वजनिक बयान जारी करते हुए यह पुष्टि की कि वो तुर्की के घरेलू मामलों में दख़ल नहीं देंगे.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा था कि बाइडन ‘ने अपनी इच्छा (अर्दोआन से) साफ़ कर दी है कि तुर्की के साथ रचनात्मक संबंध चाहते हैं और यह अपने मतभेदों को दूर करते करने का रास्ता तलाशते हुए किया जाएगा.’
तुर्की और अमेरिका के बीच संबंध हमेशा से उतार चढ़ाव भरे रहे हैं. तुर्की का रूस से एयर डिफ़ेंस सिस्टम ख़रीदने का समझौता करने और सीरिया में कुर्द लड़ाकों के अमेरिका का समर्थन करने के कारण भी दोनों देशों के बीच रिश्ते ख़राब रहे हैं.








