ताजा ख़बरेंदेशब्रेकिंग न्यूज़स्वास्थ्य

कोवैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल को WHO ने दी हरी झंडी

WhatsApp Image 2025-09-25 at 3.01.05 AM

कोवैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल को WHO ने दी हरी झंडी

भारत में बनी कोरोना वायरस की वैक्सीन ‘कोवैक्सीन’ को विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO ने इमरजेंसी या आपातकालीन इस्तेमाल की अनुमति दे दी है.

पिछले कई महीनों में, कोवैक्सीन को बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक और WHO के बीच इस विषय पर बातचीत चल रही थी.

‘मेरे कोविड वैक्सीन सर्टिफ़िकेट पर पीएम मोदी की तस्वीर क्यों है?’बच्चों की कोरोना वैक्सीन भारत में कब लगेगी?

संयुक्त राष्ट्र के इस संगठन ने समय-समय पर भारत में बनी इस वैक्सीन के बारे में निर्माताओं से विस्तृत जानकारियां मांगी ताकि इसे अंतरराष्ट्रीय मानकों पर परखा जा सके.

WHO की ओर से किए गए ट्वीट में लिखा है, “WHO ने भारत बॉयोटेक द्वारा निर्मित कोवैक्सीन को ‘इमरजेंसी यूज़ लिस्टिंग’ में शामिल किया है. अब कोविड की रोकथाम करने वाली वैक्सीन में एक और नाम जुड़ गया है.”

WHO की दक्षिण-पूर्व एशिया की निदेशक ने कोवैक्सीन को इमरजेंसी यूज़ की अनुमति मिलने पर बधाई दी है.

डॉक्टर पूनम खेतरपाल सिंह ने कहा है, “भारत में बनी कोवैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की अनुमति मिलने पर भारत को बधाई.”

कोवैक्सीन की शेल्फ़ लाइफ़ को भी भारत ने बढ़ाया

इससे पहले बुधवार को भारत सरकार के एक विभाग ने कोवैक्सीन की शेल्फ़ लाइफ़ छह माह से बढ़ाकर एक वर्ष कर दी थी.

सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइज़ेशन ने ये अवधि बढ़ाई है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कोवैक्सीन के इमरजेंसी यूज़ लिस्टिंग के लिए WHO का धन्यवाद किया है.

mantr
96f7b88c-5c3d-4301-83e9-aa4e159339e2 (1)

कोरोनाः बच्चों की वैक्सीन क्या बड़ों से अलग होगी, और आएगी कब?ज़ायोकोव-डी वैक्सीन: बिना सुई का टीका कितना असरदार?

उन्होंने ट्वीट किया, “यह समर्थ नेतृत्व की निशानी है, यह मोदी जी के संकल्प की कहानी है, यह देशवासियों के विश्वास की ज़ुबानी है, यह आत्मनिर्भर भारत की दिवाली है. हम WHO का मेड-इन-इंडिया वैक्सीन को इमरजेंसी यूज़ लिस्टिंग में शामिल करने पर धन्यवाद करते हैं.”

इससे पहले भारत में इस्तेमाल हो रही सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया द्वारा निर्मित ‘कोविशील्ड’ को WHO पहले ही अनुमति दे चुका था. कोविशील्ड ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी और दवा कंपनी एस्ट्राज़ेनेका ने मिलकर बनाई है उसी को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया भारत में बना रहा है.

इसके अलावा भारत में रूस में निर्मित स्पूतनिक-V का भी टीकाकरण हो रहा है जिसको भी WHO अनुमति दे चुका है.

कोवैक्सीन कितनी प्रभावी है?

कोवैक्सीन एक निष्क्रिय टीका है. इसका मतलब हुआ कि इसे मरे हुए कोरोना वायरस से बनाया गया है जो टीके को सुरक्षित बनाता है. इसे बनाने वाली भारत बायोटेक ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ वायरोलॉजी द्वारा चुने गए कोरोना वायरस के सैंपल का उपयोग किया है.

कोवोवैक्स और बायोलॉजिकल ई: भारत में आएंगी दो नई वैक्सीन24 करोड़ डोज़ क्या हो जाएंगे बर्बाद, ग़रीबों को नहीं मिलेगी कोरोना वैक्सीन?

देश की 24 साल पुरानी कंपनी भारत बायोटेक कुल मिलाकर 16 बीमारियों से बचाव के टीके बनाती है. इन टीकों को दुनिया के 123 देशों में भेजा जाता है.

शरीर की इम्यून कोशिकाएं टीका लगाने के बाद मरे हुए वायरस को भी पहचान लेता है. इसके बाद वह इम्यून सिस्टम को इस वायरस के ख़िलाफ़ एंटीबॉडी बनाने को प्रेरित करती हैं.

इस वैक्सीन की दोनों ख़ुराकों के बीच चार हफ़्तों का अंतर रखा जाता है. इसे दो से आठ डिग्री के तापमान पर स्टोर किया जा सकता है. इस वैक्सीन के ट्रायल के तीसरे चरण के नतीजे बताते हैं कि यह टीका 81 फ़ीसद तक प्रभावी है.

Ashish Sinha

e6e82d19-dc48-4c76-bed1-b869be56b2ea (2)

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!