
कोवैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल को WHO ने दी हरी झंडी
कोवैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल को WHO ने दी हरी झंडी
भारत में बनी कोरोना वायरस की वैक्सीन ‘कोवैक्सीन’ को विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO ने इमरजेंसी या आपातकालीन इस्तेमाल की अनुमति दे दी है.
पिछले कई महीनों में, कोवैक्सीन को बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक और WHO के बीच इस विषय पर बातचीत चल रही थी.
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संयुक्त राष्ट्र के इस संगठन ने समय-समय पर भारत में बनी इस वैक्सीन के बारे में निर्माताओं से विस्तृत जानकारियां मांगी ताकि इसे अंतरराष्ट्रीय मानकों पर परखा जा सके.
WHO की ओर से किए गए ट्वीट में लिखा है, “WHO ने भारत बॉयोटेक द्वारा निर्मित कोवैक्सीन को ‘इमरजेंसी यूज़ लिस्टिंग’ में शामिल किया है. अब कोविड की रोकथाम करने वाली वैक्सीन में एक और नाम जुड़ गया है.”
? WHO has granted emergency use listing (EUL) to #COVAXIN® (developed by Bharat Biotech), adding to a growing portfolio of vaccines validated by WHO for the prevention of #COVID19. pic.twitter.com/dp2A1knGtT
— World Health Organization (WHO) (@WHO) November 3, 2021
WHO की दक्षिण-पूर्व एशिया की निदेशक ने कोवैक्सीन को इमरजेंसी यूज़ की अनुमति मिलने पर बधाई दी है.
डॉक्टर पूनम खेतरपाल सिंह ने कहा है, “भारत में बनी कोवैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की अनुमति मिलने पर भारत को बधाई.”
Congratulations India for Emergency Use Listing of its indigenously produced #COVID19 vaccine COVAXIN
@MoHFW_INDIA @PIB_India @ANI pic.twitter.com/hyZrLcCRMs
— WHO South-East Asia (@WHOSEARO) November 3, 2021
कोवैक्सीन की शेल्फ़ लाइफ़ को भी भारत ने बढ़ाया
इससे पहले बुधवार को भारत सरकार के एक विभाग ने कोवैक्सीन की शेल्फ़ लाइफ़ छह माह से बढ़ाकर एक वर्ष कर दी थी.
सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइज़ेशन ने ये अवधि बढ़ाई है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कोवैक्सीन के इमरजेंसी यूज़ लिस्टिंग के लिए WHO का धन्यवाद किया है.
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उन्होंने ट्वीट किया, “यह समर्थ नेतृत्व की निशानी है, यह मोदी जी के संकल्प की कहानी है, यह देशवासियों के विश्वास की ज़ुबानी है, यह आत्मनिर्भर भारत की दिवाली है. हम WHO का मेड-इन-इंडिया वैक्सीन को इमरजेंसी यूज़ लिस्टिंग में शामिल करने पर धन्यवाद करते हैं.”
यह समर्थ नेतृत्व की निशानी है,
यह मोदी जी के संकल्प की कहानी है,
यह देशवासियों के विश्वास की ज़ुबानी है,
यह आत्मनिर्भर भारत की दिवाली है।Thanking @WHO for granting emergency use listing ( EUL) to Made-in-India #Covaxin
— Dr Mansukh Mandaviya (@mansukhmandviya) November 3, 2021
इससे पहले भारत में इस्तेमाल हो रही सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया द्वारा निर्मित ‘कोविशील्ड’ को WHO पहले ही अनुमति दे चुका था. कोविशील्ड ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी और दवा कंपनी एस्ट्राज़ेनेका ने मिलकर बनाई है उसी को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया भारत में बना रहा है.
इसके अलावा भारत में रूस में निर्मित स्पूतनिक-V का भी टीकाकरण हो रहा है जिसको भी WHO अनुमति दे चुका है.
कोवैक्सीन कितनी प्रभावी है?
कोवैक्सीन एक निष्क्रिय टीका है. इसका मतलब हुआ कि इसे मरे हुए कोरोना वायरस से बनाया गया है जो टीके को सुरक्षित बनाता है. इसे बनाने वाली भारत बायोटेक ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ वायरोलॉजी द्वारा चुने गए कोरोना वायरस के सैंपल का उपयोग किया है.
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देश की 24 साल पुरानी कंपनी भारत बायोटेक कुल मिलाकर 16 बीमारियों से बचाव के टीके बनाती है. इन टीकों को दुनिया के 123 देशों में भेजा जाता है.
शरीर की इम्यून कोशिकाएं टीका लगाने के बाद मरे हुए वायरस को भी पहचान लेता है. इसके बाद वह इम्यून सिस्टम को इस वायरस के ख़िलाफ़ एंटीबॉडी बनाने को प्रेरित करती हैं.
इस वैक्सीन की दोनों ख़ुराकों के बीच चार हफ़्तों का अंतर रखा जाता है. इसे दो से आठ डिग्री के तापमान पर स्टोर किया जा सकता है. इस वैक्सीन के ट्रायल के तीसरे चरण के नतीजे बताते हैं कि यह टीका 81 फ़ीसद तक प्रभावी है.