
कृषि कानून वापसी को संसद को मंजूरी, मगर नए श्रम कोड तथा मजदूर कानूनों में मजदूर विरोधी प्रावधान वापस लो : स्वामीनाथ जायसवाल
कृषि कानून वापसी को संसद को मंजूरी, मगर नए श्रम कोड तथा मजदूर कानूनों में मजदूर विरोधी प्रावधान वापस लो स्वामीनाथ जायसवाल
नई दिल्ली: भारतीय राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस इंटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी नाथ जायसवाल ने बताया कि तीन काले कानून जिस तरह से सरकार की खोट नियत बिना बहस जिस तरह से आनन-फानन में वापस लेने का कार्य किया गया संसद के मर्यादा का हनन करते हुए पहले भी यह कानून लाया गया और उस पर विचार विमर्श किए बिना देश के लोगो वास्तविक इनका फायदा क्या है किसानों की हित का क्या ध्यान रखा गया पहले भी थोपा गया न उसकी जानकारी दी गई और न वापस लेने समय चर्चा किया गया क्योंकि सरकार का मनसा पहले भी ठीक नहीं थी अभी भी ठीक नहीं है इससे आप का देश के किसान मजदूर आम आदमी के लिए नियत ठीक नहीं है पूरा देश 135 करोड़ जनता समझ गया हैं नीति और नियत किस तरह से है जब आपको यही करना था तो 700 किसानों की शहादत लेने की क्या जरूरत थी यह जीवन के सबसे मजबूर कर कर जिस तरह से कृषि कानून वापस लेना पड़ा पांच राज्यों के चुनाव के भय से माननीय प्रधानमंत्री जी ने लिया एक तरफ तो स्वागत योग्य है लेकिन दूसरी तरफ उनके जान माल की जो यह घटना घटी है उसका जिम्मेदार कौन है क्योंकि 700 लोगों का शहादत जिस तरह से प्रधानमंत्री के मंत्रिमंडल के सदस्यों से 12 बार विज्ञान भवन में उनके मंत्रिमंडल से वार्ता होने के बाद भी किसानों के मुद्दे थे पहला 700 किसानों के शहादत पर उनके परिवार को मुआवजा एक करोड़ प्रति किसान परिवार को दिया जाए, दुसरा एमएसपी लागू किया जाए, और काले 3कानून वापस किया जाए ,और जितने किसानों पर जिस तरह से गलत तरीके से केश किया गया है उसे वापस लिया जाए , और शहीदों के लिए एक स्थान तय कर कर शहीद स्मारक बनाया जाए इस मुद्दे पर चर्चा होनी थी और देश की बढ़ती हुई महंगाई कुपोषण और कई राज्यों में जिस तरह से सरकार की मंशा जिस तरह से 5 राज्यों का चुनाव के भय से पेट्रोल, डीजल का ₹5 ₹10 कम तो किया लेकिन एक तरफ इस समय जो गरीब मजदूर श्रमिक चाहे आम आदमी के बच्चों का शादी है का सीजन चल रहा है 12%प्रतिशत जीएसटी कपड़ों में जूतों में लगा देना क्या जायज है कई महान कार्य देश को ठोकने का काम प्रधानमंत्री जी द्वारा किया गया है नायक कॉर्पोरेट पक्षी है किसान विरोधी कृषि बिल वापस लो सार्वजनिक क्षेत्र कर्मों में PS2 को बेचने का कदम वापस लौट ठेका प्रथा पर रोक लगाओ महामारी में मजदूरों के लिए संकट पर तमाम मुश्किलें पैदा करना बंद करो नए श्रम कोर्ट तथा मजदूर कानून में मजदूर विरोधी प्रधान वापस लो यह हमारे प्रधानमंत्री के दिल जिस तरह से श्रम मजदूरों को बदले श्रम कोर्ट कोर्ट पक्षी कृषि बिल निजी करण छटनी बेरोजगारी प्रवासी व असंगठित मजदूरों के जीवन आजीविका का संकट बिगड़ती स्वास्थ्य व्यवस्था और सामाजिक सुरक्षा बढ़ती महंगाई जातिगत हिंसा व धार्मिक नफरत जनवादी अधिकारों के हनन कई ऐसे महत्वपूर्ण देश में भारतीय जनता पार्टी के द्वारा किया गया कृत्य जो देश के हित में नहीं है देश बदलाव के लिए भाजपा को चुना था लेकिन बदलाव तो नहीं हुआ परिवर्तन करना इनकार नित्य कार्बन गया जो देश के कानून का उल्लंघन करते हुए देश को धोखा भ्रम और जुमला बेचकर देश के आम आदमी को परेशान पूंजीपति मित्रों को जिस तरह से फायदा पहुंचाया गया अब देश के सभी व्यक्ति समझ चुका है कि भारतीय जनता पार्टी का मनसा देश के हित के लिए नहीं है यह पकड़ा और जुमला का होलसेलर है झूठ इनका दुकान है या बंद होना चाहिए देश को धोखा और भ्रम में नहीं रखना चाहिए क्योंकि उसका 80प्रतिशत आबादी किसान मजदूर गरीब है उन्हीं के बदौलत सत्ता का जो मिटास चखते हैं उनके कंधे पर रखकर पूंजी पतियों को जिस तरह से आप बढ़ाने का काम किए कोरोना काल में जितनी भी मौतें हुई आप तो आंकड़ा नहीं दे रहे हैं प्रधानमंत्री जी सुप्रीम कोर्ट ने जो आदेश दिया है और राज्य सरकार भी इसमें योगदान अपना 10% देने को तैयार है 90% आपको चार लाख प्रति कोरोना के काल में जो भी मृत्यु हुए हैं उनके परिवार को 4लाखआपको देना होगा और देश को सुरक्षा रखने के लिए आपको सहयोग और देश से झूठ नहीं बोलना क्योंकि आप अपने अधिकार का व्यक्तिगत रूप से देश को तोड़ने का काम करते हैं देश जागरुक हो गया समझदार हो गया है अब महत्वपूर्ण मुद्दों की और महंगाई का मार झेलते हुए देश का हर आदमी परेशान है आप अपने प्रचार तंत्र को बंद करिए और लोकतंत्र की रक्षा करें स्वामी नाथ जायसवाल भारतीय मजदूर कांग्रेस इंटक राष्ट्रीय अध्यक्ष ने देश की हित की रक्षा के लिए संकल्प लिया है और देश में आने वाले मुसीबतों का जो परेशानियों का जो दौर चलता रहा है मोदी सरकार अपने नियत को साफ रखें मजदूर किसान आम आदमी को सताना कम करें नहीं तो आने वाले समय में सत्ता परिवर्तन निश्चित है।