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खुले आसमान के नीचे पढ़ाई कर भविष्य का सपना बुन रहे नौनिहाल

टनकपुर: गर्मी की तपिश के बीच कई नौनिहाल शारदा नदी किनारे खनन क्षेत्र से लगे रोखड़ में खुले आसमान के नीचे पढ़ रहे हैं। भविष्य का सपना संजोने की आस पाले उत्तर प्रदेश के अलग-अलग शहरों के इन बच्चों के माता-पिता शारदा नदी में डाउन स्ट्रीम में खनन मजदूर हैं। इस अस्थाई पाठशाला में मौजूदा शिक्षा सत्र में 30 मई तक पढ़ाई होगी। स्कूल में कई अव्यवस्थाएं हैं। स्कूल में न बैठने के लिए कमरे हैं और न ही फर्नीचर। बस ब्लैकबोर्ड और नदी किनारे रोखड़ में टाट-पट्टी में बैठकर ये बच्चे अपने भविष्य को संवारने की कोशिश कर रहे हैं।यूपी के कई जिलों से आए मजदूरों के बच्चे ले रहे शिक्षा: उत्तर प्रदेश के पीलीभीत, बरेली, बदायूं, शाहजहांपुर, सीतापुर, हरदोई, लखीमपुर खीरी जिलों से आए सैकड़ों खनन मजदूरों के साथ ये बच्चे भी यहां आए। टनकपुर शारदा नदी के डाउनस्ट्रीम में नवंबर से मई-जून तक खनन से जुड़ा रोजगार रहता है। माता-पिता खनन कारोबार से परिवार की गाड़ी को चला रहे हैं, तो इन बच्चों को टनकपुर में शारदा नदी के किनारे ही अस्थाई रूप से बनाए गए स्कूल में शिक्षा दी जा रही है। समन्वयक देवीदत्त जोशी बताते हैं कि गैर आवासीय विशिष्ट प्रशिक्षण (एनआरएसटी) कार्यक्रम के तहत इन बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। यहां खनन क्षेत्र में दो अस्थाई शिक्षा केंद्रों में बच्चों को शिक्षा दे रहे अनुदेशक मोहम्मद सलमान, प्रेम प्रकाश, रेखा रानी और शंकर महर बताते हैं कि मजदूरों के ये बच्चे पढ़ाई में किसी से कम नहीं हैं। पढ़ने-लिखने में दिलचस्पी भी खूब लेते हैं। इन बच्चों को सुबह 9 बजे से अपराह्न 1 बजे तक शिक्षा दी जा रही है।सामूहिक रूप से करवाई जाती है पढ़ाई: छह से 14 आयु वर्ग के इन बच्चों को कक्षावार नहीं, सामूहिक रूप से पढ़ाई करवाई जाती है, यहां पढ़ाई करने वाल छात्रों को विभाग प्रमाणपत्र देता है, ताकि उन्हें अगली कक्षा में दूसरे स्कूलों में प्रवेश मिल सके। सर्व शिक्षा अभियान के तहत यहां शिक्षा पा रहे बच्चों को पहले बैग, ड्रेस आदि सामग्री दी जाती थी लेकिन वर्ष 2016 से अब इन बच्चों को सिर्फ कॉपी और बक्सा ही मिल पा रहा है। एनआरएसटी कार्यक्रम के तहत टनकपुर के शारदा खनन क्षेत्र में चार अनुदेशक इन छात्र-छात्राओं को पढ़ा रहे हैं। शारदा नदी रोखड़ और काला झाला खनन क्षेत्र में दो अस्थाई केंद्र खोले गए हैं। शिक्षा विभाग की ओर से इन बच्चों के भविष्य को संवारने के लिए विशेष पहल की जा रही है- मोहन चंद्र सेलिया, जिला समन्वयक, समग्र शिक्षा अभियान, चम्पावत।

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