छत्तीसगढ़राज्यरायपुर

गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ का सपना हो रहा है साकार, स्वरोजगार से आत्मनिर्भरता की तरफ बढ़ रहे हैं कदम

रायपुर : गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ का सपना हो रहा है साकार, स्वरोजगार से आत्मनिर्भरता की तरफ बढ़ रहे
हैं कदम

a41ad136-ab8e-4a7d-bf81-1a6289a5f83f
ea5259c3-fb22-4da0-b043-71ce01a6842e

बस्तर के दूरस्थ अंचलों से लेकर मैदानी क्षेत्रों में आर्थिक स्वावलंबन की बही बयार

mantr
96f7b88c-5c3d-4301-83e9-aa4e159339e2 (1)

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कहना है कि आधुनिकता और परंपरा के साम्य से छत्तीसगढ़ का विकास संभव है। इसी तर्ज पर गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ के ध्येय वाक्य को ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ में तेजी से विकास कार्य हो रहे हैं तथा युवाओं और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले के गौठान में ग्रामीण युवाओं द्वारा मधुमक्खी पालन व कच्चे शहद के प्रसंस्करण सहित पैकेजिंग और विपणन का कार्य किया जा रहा है। इसी तरह बेमेतरा में ग्रामीण युवाओं द्वारा शहद के डिब्बों के विक्रय से बढ़िया आमदनी प्राप्त की जा रही है जिससे वो आत्मनिर्भरता की तरफ बढ़ रहे हैं। छत्तीसगढ़ के मैदानी इलाके तेजी से स्वरोजगार की तरफ बढ़ रहे हैं। बलौदा बाजार – भाटापारा जिले के कसडोल विकासखंड के गुडेलिया गौठान में हल्दी, धनिया, गरम मसाला और मिर्च पाउडर बनाकर इनकी पैकिंग की जा रही है और इससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिल रहा है।
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री का दौरा कार्यक्रम
छत्तीसगढ़ में महिलाओं के लिए राज्य सरकार द्वारा कई योजनाओं का संचालन किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ शासन की ये योजनाएं बस्तर जिले के दूरस्थ बकावंड ब्लॉक की स्व-सहायता समूह की महिलाओं को भी लाभांवित कर रही हैं। यहां की महिलाएं काजू संग्रहण और प्रसंस्करण का कार्य कर रही हैं। बकावंड की स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने अब तक काजू संग्रहण और प्रसंस्करण से 75.84 लाख रुपए की आमदनी प्राप्त की है। इस कार्य में 50 से अधिक महिलाएं जुड़ी हुई हैं।
​​​​​​​सहायक आयुक्त आदिवासी विकास बीजापुर निलंबित
बस्तर संभाग के नारायणपुर जिले की दंतेश्वरी स्व-सहायता समूह की महिलाएं भी कीर्तिमान रच रही हैं। यहां की महिलाएं पिछले 2 वर्षों से कोदो, कुटकी और रागी का उत्पादन कर 15 से 20 हजार रुपए की मासिक आय प्राप्त कर रही हैं। दंतेश्वरी स्व-सहायता समूह की महिलाएं प्रसंस्करण कार्य से अब तक लगभग 4 लाख रुपए की आय हासिल कर चुकी हैं। सुदूर ग्रामीण अंचल दुर्गकोंदल के घोटूलमुँड़ा गाँव में महिला स्व-सहायता समूह के द्वारा भी कोदो एवं रागी का प्रसंस्करण कर आर्थिक स्वावलंबन की रोशनी बिखेरी जा रही है। बस्तर की महिलाएं सिर्फ सामान्य कार्यों में ही नहीं बल्कि कृषि क्षेत्र में आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं। तीरथगढ़ की स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने पपीते की हाईटेक खेती कर मात्र 7 महीनों में ही 30 लाख रुपए से अधिक की आमदनी प्राप्त की है।
राज्य में 22 हजार हेक्टेयर में दलहन फसलों के प्रदर्शन के लिए बीज पर व्यय होंगे मात्र 3.96 करोड़ रूपए।
विकास की बयार से सरगुजा जिले में बिहान अंतर्गत गठिति FPO द्वारा महिलाओं के सहयोग से क्षेत्र में उत्पादित मसाले को प्रसंस्करण करके बेचा जा रहा है। फूड प्रोसेसिंग एवं वेल्यू एडिशन के बाद वित्तीय वर्ष 2021-22 के जनवरी माह तक लगभग 11 लाख से अधिक के उत्पाद महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा बेचे जा चुके हैं। छत्तीसगढ़ के गौठानों में गोबर से बने जैविक खाद से कृषि को नया जीवन मिला है वहीं लघु वनोपजों की रोशनी से वनांचल की महिलाओं की आंखों में नयी चमक देखने को मिल रही है। छत्तीसगढ़ शासन की योजनाएं अब हर वर्ग के लिए आय का बेहतर स्रोत उत्पन्न कर रही है और इससे आर्थिक स्वावलंबन की तरफ लोगों के कदम बढ़ते हुए दिखायी दे रहे हैं।
राज्यपाल ने यूक्रेन में फंसे विद्यार्थियों के सकुशल घर वापसी की कामना की ।

Ashish Sinha

8d301e24-97a9-47aa-8f58-7fd7a1dfb1c6 (2)
e0c3a8bf-750d-4709-abcd-75615677327f

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!