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जनजातीय गौरव समाज ने प्रमाण पत्र, श्रीफल व स्मृति चिन्ह भेंट कर किया शिक्षकों को सम्मानित

जनजातीय गौरव समाज ने प्रमाण पत्र, श्रीफल व स्मृति चिन्ह भेंट कर किया शिक्षकों को सम्मानित

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ब्यूरो चीफ/सरगुजा//  भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती 5 सितंबर शिक्षक दिवस के अवसर पर जनजाति गौरव समाज सरगुजा इकाई द्वारा शिक्षकों का सम्मान व कवि सम्मेलन कार्यक्रम वनवासी कल्याण आश्रम अंबिकापुर में आयोजित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बंशीधर उरांव, विशिष्ट अतिथि अनामिका पैकरा व कार्यक्रम अध्यक्ष बिहारीलाल तिर्की ने सर्वप्रथम मां सरस्वती व पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के छायाचित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस अवसर पर जिले भर से आए शिक्षकों व कविगणों का सम्मान किया गया तथा उनके उज्जवल भविष्य की कामना कर उन्हें शुभकामनाएं दी गई। इस अवसर पर मुख्य अतिथि बंशीधर उरांव ने कहा कि शिक्षकों के हाथों में हमारे देश का भविष्य है वे विद्यार्थी रूपी कच्ची मिट्टी को अपनी शिक्षा व सद्गुणों से गढ़कर तथा उन्हें देश व समाज के प्रति जिम्मेदार नागरिक बना कर हमें सौंपते हैं।

आज शिक्षकों का सम्मान कर हम अपने आप को गौरवान्वित हैं महसूस कर रहे हैं। इस अवसर पर हिंदी साहित्य परिषद के जिलाध्यक्ष विनोद हर्ष ने शिक्षकों के महत्व को प्रतिपादित करते हुए कहा कि शिक्षक उस माली के समान है जो एक उपवन को अलग-अलग रुप रंग के फूलों से सजाता है। विशिष्ट अतिथि अनामिका पैकरा ने कहा कि हमारे ग्रंथों में गुरु और गोविंद की तुलना करते हुए मनीषियों व कवियों ने गुरु को गोविंद से श्रेष्ट बताया है, क्योंकि गुरु ही हमें गोविंद तक पहुंचने का सही मार्ग दिखलाता है। इस अवसर पर कार्यक्रम के अध्यक्ष व जनजाति गौरव समाज सरगुजा के जिला अध्यक्ष बिहारीलाल तिर्की ने कहा कि जनजाति गौरव समाज ने हमेशा से गुरुजनों को पूजनीय माना है इसीलिए संगठन समय-समय पर कार्यक्रम आयोजित कर शिक्षकों का सम्मान करती आई है, आज गुरुजन व कविगण दोनों उपस्थित हैं यह सुखद संयोग है।

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इस अवसर पर हिंदी साहित्य परिषद के कवियों ने अपनी रचनाओं का भी पाठ किया। हिंदी साहित्य परिषद के अध्यक्ष कवि विनोद हर्ष ने अपनी रचना में गुरुजनों के चांटों और बेतों की मार में ही निरक्षरता के अभिशाप से मुक्ति का मार्ग बताया। तो कवि मुकुंद साहू ने शिक्षकों को ज्ञान का सूर्य बताया। साहित्यकार अंचल सिन्हा ने गुरू के सम्मान करने की बात कही तो कवयित्री गीता दुबे ने गुरु की पदवी को ऊंचा बताया। साहित्यकार एसपी जायसवाल ने गुरु की तुलना मां से की तो कसमकार श्याम बिहारी पांडे ने गुरु को ज्ञान के अनन्य भंडार का केंद्र बताया। इस अवसर पर कवि संतोष सरल ने अपनी सुंदर देश भक्ति रचना प्रस्तुत की तो कवयित्री पूर्णिमा पटेल ने सुंदर गीत सुना कर शमां बांध दिया। वरिष्ठ कवयित्री मीना वर्मा ने शिक्षकों की व्यथा व्यंग्य के रूप में प्रस्तुत की तो कवयित्री आशा पांडे ने गुरू को सबसे ऊंचे दर्जे वाला बताया, कवि कृष्णकांत पाठक ने जहां सुंदर गीतों की प्रस्तुति दी वहीं कवयित्री पूनम दुबे ने सुमधुर गीत सुनाकर सबका मन मोह लिया।

कवि चंद्र भूषण मिश्र व प्रताप पांडे ने जहां अपनी शानदार रचना प्रस्तुत की वही कवयित्री गीता द्विवेदी ने सुंदर गीतों की प्रस्तुति दी। कवयित्री माधुरी जायसवाल व ज्योति अंबस्ट ने अपनी गंभीर रचनाओं का पाठ किया वहीं गीतकार विजय सिंह दमाली में सरगुजिया करमा गीत प्रस्तुत कर माहौल ही बदल दिया। कवि डॉ ओंकार साहू, वीरेंद्र साहू व एस के दुबे ने अपनी बेहतरीन रचनाओं का पाठ किया वहीं कवि अम्बरीश कश्यप व अजय श्रीवास्तव ने सुंदर रचनाओं की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का गरिमामय संचालन संयुक्त रुप से हिंदी साहित्य परिषद के महासचिव कवि संतोष सरल व कोषाध्यक्ष अंचल सिन्हा ने किया। इस अवसर पर गुरूजन कपिल देव भगत, जगना राम, महेशराम भगत, देवशरण भगत, परशुराम भगत, बृज किशोर राम, मंगर साय भगत, भंवर लाल नगेशिया, रमेश कुमार पैकरा, उमेश भगत, संजीव भगत, तारकेश्वर तिर्की, वीरेन्द्र साहू, रविशंकर साहू, तथा डॉ ओंकार साहू का सम्मान किया गया। इस अवसर पर नीलू पैंकरा, राज नारायण द्विवेदी, उमेश पांडे, इंदर भगत राम बिहारी सिंह, अंकित तिर्की बलराम भगत सचिन भगत पूर्णाहुति भगत विकास भगत सहित अन्य पदाधिकारी कार्यकर्ता तथा गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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