छत्तीसगढ़ताजा ख़बरेंब्रेकिंग न्यूज़राज्यसरगुजा पैलेस इतिहास

सरगुजा राज पैलेस में सजा दरबार : दशहरा पर राजसी परंपरा का निर्वहन कर की पूजा-अर्चना, सबके लिए मांगी खुशहाली

सरगुजा राज पैलेस में सजा दरबार : दशहरा पर राजसी परंपरा का निर्वहन कर की पूजा-अर्चना, सबके लिए मांगी खुशहाली

0543a389-67ce-4605-90c1-b891d445e015

दशहरा पर सरगुजा राज पैलेस में राजसी परंपरा जिसका निर्वहन किया जाता है। आज ही के दिन मर्यादापुरुषोत्तम राम ने रावण का वध किया था, यह अच्छाई का बुराई पर जीत का प्रतीक है। हमेशा इस दिन को असत्य पर सत्य के विजय के रूप में मनाते हैं। इस दौरान परिवारजन व आमजन उपस्थित थे। सरगुजा राज पैलेस में नवरात्र के अंतिम दिनों से दशहरा पूजन की शुरुआत हो जाती है। पहले से चली आ रही परंपरा के मुताबिक राजा ने लोगों की खुशहाली, उनकी रक्षा और समृद्धि की कामना की। पैलेस में तरह-तरह के अनुष्ठान हुए। पारिवारिक परंपराओं का निर्वहन करते हुए पैलेस में स्वास्थ्य मंत्री महाराजा टीएस सिंहदेव,आदित्येश्वर शरण सिंह देव ने द्वार पूजा, नगाड़ा पूजा, शस्त्र पूजा, नवग्रह पूजा सहित अन्य पूजा कर जिले व प्रदेश की खुशहाली की कामना की।

कल तक जो परंपराएं कुलदेवी पूजा में हुआ करती थी उनका अक्षरश: पालन आज भी होता है। दशमी के दिन इस पूजा का विधान है। पैलेस के भीतर बने खास कक्ष में पूजा की गई। इस बार इसमें महाराजा टीएस सिंहदेव सहित युवराज आदित्येश्वर शरण सिंहदेव भी शामिल हुए।

दरबार लगाने के पीछे की परंपरा के बारे में राजपरिवार के सदस्यों ने कहा रियासत के राजा को ईश्वर के रूप में मानते थे। राजा अपनी सुरक्षा व और समृद्धि की जगह जनता के सुख-दुख का ख्याल रखता था। इस मौके पर राजा को नजराना या भेंट देने की परंपरा भी है। नजराना देना राजा के प्रति विश्वास व संबद्धता जताना व अपनी सुरक्षा के प्रति आश्वस्त रहने से जोड़कर देखा जाता है।

पैलेस में राजा का दरबार सजा। परंपरा के अनुसार महाराजा टीएस सिंहदेव,आदित्येश्वर शरण सिंहदेव यहां की गद्दी में बैठे। वे यहां आने वाले लोगों से मिलते रहे। संभाग भर से लोग यहां पैलेस की परंपरा और वैभव देखने पहुंचे।

GaU7381WcAAWLfV
tsbaba4

सरगुजा राज का मुख्यालय अम्बिकापुर हजारों वर्षों पूर्व से लेकर अद्यतन तक लोग सतत् निवास कर रहे हैं । ग्राम की रक्षा करने एवं शक्ति का पुंज ग्राम देवता आदि होते हैं तो राजा की रक्षा करने के लिए कुल देवता और कुल देवी। प्रत्येक राजवंश के कुल देवता और कुल देवी रक्षार्थ उपस्थित रहते हैं। जहाँ से राजा शासन करने की शक्ति प्राप्त करता है। विश्रामपुर का नाम महाराज अम्बिका शरण सिंह देव के शासन काल में कुल देवी अम्बिका (महामाया) के नाम पर अम्बिकापुर परिवर्तित किया गया। यह शहर इतिहास का गवाह है। पोखर की पार पर खड़े महावटवृक्ष गवाह है कभी इनकी छाया में योद्धाओं ने विश्राम किया था तो कोई राहगीर घोड़े की पीठ पर चढे-चढे ही रोटियाँ खाकर क्षूधा शांत कर आगे बढ गया होगा। किसी की डोली तनिक विश्राम करने बरगद की ठंडी छांह में ठहरी होगी।

सरगुजा राजवंश के इतिहास पर फ़ोन पर चर्चा करते हुए रकसेल राजवंश के 117 वीं पीढी के अद्यतन शासक (स्वास्थ्य मंत्री महाराजा टीएस सिंहदेव) महाराज त्रिभुनेश्वर शरण सिंह देव कहते हैं कि रक्सेल राजवंश का प्रारंभ सन् 197 ईं में राजा विष्णुप्रताप सिंह से प्रारंभ होता है। इसका जिक्र डी ब्रेट द्वारा लिखित गजेटियर में है। साथ ही राजिम नगर स्थित राजीव लोचन मंदिर में कलचुरी शासक पृथ्वी देव द्वितीय के 1145 के शिलालेख के अनुसार किसी जगपालदेव द्वारा पृथ्वी देव (ईं 1065-1090) प्रथम के लिए दंदोर पर विजय प्राप्त करने का उल्लेख है। सरगुजा को पहले 22 दंदोर कहा जाता था क्योंकि इसमें 22 जमींदारियाँ थी। इससे ज्ञात होता है की सरगुजा का रकसेल राजवंश लगभग दो शहस्त्राब्दियों से चला आ रहा है।

सरगुजा अंचल कलचुरियों के आधिपत्य में भी रहा वर्तमान सरगुजा के महेशपुर से प्राप्त प्रस्तर लेख के आधार पर प्रोफ़ेसर केडी बाजपेयी के अनुसार लेख की रचना 9 वीं शताब्दी ईं के मध्य की प्रतीत होती है। अभिलेख में तीन राजाओं यथा युवराज, आदित्यराज एवं लक्ष्मण का उल्लेख हैं जिसके मध्य पिता-पुत्र के संबंध की जानकारी होती है। सरगुजा में कलचुरी राजवंश से संबंधित कई ग्राम आज भी हैं। जैसे लखनपुर (लक्ष्मण राज से संबंधित) शंकर गढ़ (शंकरगण से संबंधित) आदि यह प्रमाणित करते हैं कि सरगुजा में त्रिपुरी कलचुरियों का आधिपत्य था। डॉ एस के पाण्डेय के अनुसार कलचुरि नरेश युवराज प्रथम के महेशपुर अभिलेख से ज्ञात होता है कि इस क्षेत्र पर डाहल के कलचुरियों का 9 वीं सदी में आधिपत्य हो चुका था।

c35577d3-89cd-43b1-b319-41bd024d15a3
tsbaba4
d7178555-8606-4dd7-9e3b-d635be9c8fdf
00e40d66-3720-4402-81c1-dc58eea1fbcb

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!