
रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य में कोरोना के भयावह स्थिति में संधर्षरत् अनेक कोरोना योद्वाओं व शासकीय सेवकों का दुखद् निधन हो गया। छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन एवं छत्तीसगढ़ प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संध ने लगातार अनियमित, संविदा, दैनिक वेतनभोगी कोरोना योद्वाओं को भी नियमित शासकीय सेवकों की भाॅति सुविधा प्रदान किये जाने की मांग मुण्ख्यमंत्री से किया जा रहा है। जो विचाराधीन है। किंतु विकास आयुक्त कार्यालय छत्तीसगढ़ ने दैनिक वेतनभोगी व संविदा कर्मचारियों को अनुकंपा नियुक्ति न देकर ‘‘अनुकंपा अनुदान‘‘ एक लाख देने का आदेश कर छत्तीसगढ़ सरकार व मुख्यमंत्री को बदनाम करने का मार्ग प्रशस्त किया है। इसे तत्काल निरस्त कर नियमित कर्मचारियों की भाॅति योद्वा के शहीद् होने पर सभी लाभ दिये जाने की मांग संध ने की है।
छत्तीसगढ़ प्रदेश तृतीय वर्ग कर्मचारी संध के प्रदेशाध्यक्ष विजय कुमार झा जिला शाखा अध्यक्ष इदरीश खाॅन ने बताया है कि प्रदेश में प्रतिदिन 10-12 की संख्या में शासकीय सेवक कोरोना से दिवंगत् होने की खबर आ रही है। जिसमें मेकाहारा के दैनिक वेतन भोगी लैब टैक्शियन सहित अनेक संविदा अनियमित कर्मचारियों के दुखद् निधन हो रहे है। छत्तीसगढ़ में गुरू धांसीदस के विचार ‘‘मनखे मनखे एक समान‘‘ को आत्मसात् करने वाली छत्तीसगढ़ सरकार को कुछ अधिकारी मानव-मानव में भेद कर बदनाम कर रहे है। पूर्व में राज्य सरकार से 03 सूत्रीय मांग प्रस्तुत कर कोरोना योद्वाओं की सुरक्षा की मांग की गई थीं। जिसमें प्रमुख रूप से कोरोना योद्वाओं के दुखद् निधन होने पर बिहार, राजस्थान सरकार की भाॅति 50 लाख का बीमा, एक माह का अतिरिक्त वेतन, विशेष पेंशन योजना लागू कर भुगतान करने की मांग की गई थीं। संध की मांग शासन स्तर पर विचाराधीन है। इसी बीच विकास आयुक्त कार्यालय नवा रायपुर ने समस्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायतों को निर्देशित किया है कि अनुकंपा नियुक्ति एकजाई नियम 2013 की कंडिका-03 में नियमित कर्मचारियों को अनुकंपा नियुक्ति का प्रावधान होना तथा कंडिका-17 में संविदा, दैनिक वेतनभोगी को अनुकंपा की पात्रता न होना उल्लेखित करते हुए जो दिवंगत् निरंतर 02 वर्ष की सेवा पूर्ण किया हो उसे 1,00,000/-रू. अनुकंपा अनुदान देने का आदेश प्रसारित कर मृतकों का मूल्यांकन मात्र एक लाख कर उनको अपमानित किया जा रहा है। इस संबंध में संध शीध्र मुख्यमंत्री से भेंट कर वस्तुस्थिति से अवगत् करायेगा कि इन्हीं कर्मचारियों को चुनावी धोषणा पत्र में नियमित करने का वादा किया गया था, अब मृत होने पर 01 लाख देकर उनके परिजनों को सड़क पर लाया जा रहा है। विकास आयुक्त कार्यालय को यह भी ज्ञात नहीं है कि ग्रामीण स्तर पर व पंचायतों में कोरोना संक्रमण काल में 06 माह 09 माह के लिए भी संविदा नियुक्तियां स्वास्थ विभाग ने दी है। उनके आदेश से क्या यह कल्पना की जावे कि इनके निधन होने कोई अनुग्रह राशि केवल इसलिए नहीं मिलेगी क्योंकि वे निरंतर 02 वर्ष सेवा नहीं किए है। ऐसे विवादित व मृत दैनिक वेतन भोगी व संविदा कर्मचारियों एवं उनके परिवार को अपमानित करने वाला आदेश तत्काल वापस लिया जाकर सामान्य प्रशासन विभाग मंत्रालय द्वारा कोनोरा योद्वाओं के एक समान आदेश जारी कियाा जावे जो पूरे प्रदेश व समस्त विभागों में प्रभावी हो सके। विकास आयुक्त ने यह भी लेख किया है कि पात्रतानुसार स्वत्वों का भुगतान तत्काल किया जाकर मृतकों की जानकारी प्रेषित् की जावे। संविदा नियुक्त व दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को नियमित कर्मचारी के अनुरूप कोई पात्रता ही नहीं है तो भुगतान क्या किया जावेगा, अस्पष्ट आदेश से प्रदेश के संविदा, दैनिक वेतनभोगी व अनियमित कर्मचारियों में आक्रोष है। संध के प्रांतीय कार्यकारी अध्यक्ष अजय तिवारी, महामंत्री उमेश मुदलियार, संभागीय अध्यक्ष संजय शर्मा, प्रांतीय सचिव विश्वनाथ ध्रुव, दिनेश मिश्रा, रविराज पिल्ले, आलोक जाधव, नरेश वाढ़ेर, जवाहर यादव, ए.जे.नायक, डाॅ. अरूंधती परिहार, बजरंग मिश्रा, आनंद सिंह यादव, अनिल देवाॅगन, गोपाल प्रसाद साहू, मिलाप यादव, टार्जन गुप्ता, रविशंकर विश्व विद्यालय कर्मचारी संध के अध्यक्ष श्रवण सिंह ठाकुर, महासचिव प्रदीप मिश्रा आदि नेताओं ने तत्काल इस आदेश का निरस्त करने की मांग मुख्यमंत्री श्री भूपेश बधेल, स्वास्थ एवं पंचायत मंत्री श्री टी.एस.सिंेह से की है।
प्रभा आनंद सिंह यादव ब्यूरो चीफ सरगुजा
[contact-form][contact-field label=”Name” type=”name” required=”true” /][contact-field label=”Email” type=”email” required=”true” /][contact-field label=”Website” type=”url” /][contact-field label=”Message” type=”textarea” /][/contact-form]