
पहाड़ी ऊपर बसे ग्रामो में नही है स्कूल भवन, खुले आसमान और झोपडी के नीचे आदिवासी कमार बच्चे सुनहरे भविष्य गढ़ने मजबूर
गरियाबंद/मैनपुर – पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के गोदग्राम कुल्हाड़ीघाट ग्राम पंचायत के आश्रित ग्राम जो पहाड़ी के ऊपर बसा है विशेष पिछड़ी कमार जनजाति ग्राम ताराझर, कुर्वापानी, मटाल, भालूडिग्गी यहा शासन द्वारा लगभग 15 से 20 वर्ष पहले प्राथमिक शिक्षा के लिए स्कूल तो खोला गया है लेकिन इन ग्रामो मे पढ़ाई करने वाले छात्र -छात्राओ के लिए भवन का निर्माण आज तक नही किया गया है जिसके कारण खुले आसमान के नीचे विशेष पिछड़ी आदिवासी कमार बच्चे अपने सुनहरे भविष्य गढ़ रहे है। ताराझर प्राथमिक शाला मे 20 छात्र- छात्राएं है भवन निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ था लेकिन आज तक 15 वर्षो मे पूरा नही हुआ, कुर्वापानी मे स्कूल भवन ही नही है, भालूडिग्गी मे एक भवन टीनशेड का बनाया गया था जिसे दो साल पहले जंगली हाथियो के दलो ने तोड़फोड़ कर तहस -नहस कर दिया। यही स्थिति ग्राम मटाल की है इन चारो स्कूलो मे बच्चो को पढ़ाने के लिए शिक्षक की तैनाती की गई है लेकिन भवन नही होने के कारण खुले आसमान के नीचे या फिर किसी ग्रामीण के झोपड़ी मे कक्षाएं संचालित हो रहा है ऐसा नही कि इसकी जानकारी शिक्षा विभाग के अधिकारियो को न हो हर बार बैठक मे यहां स्कूल भवन निर्माण के लिए कार्ययोजना तो बनाया जाता है लेकिन अभी तक इसे अमलीजामा नही पहनाया गया है।
गरियाबंद जिले के आदिवासी विकासखण्ड मैनपुर अंतर्गत ग्राम कुल्हाड़ीघाट को प्रदेश सहित पूरे देश मे जाना जाता है क्योकि मैनपुर तहसील मुख्यालय से 18 किमी दुर बिहड़ जंगल के भीतर बसे इस विशेष पिछड़ी आदिवासी कमार जन जाति ग्राम कुल्हाड़ीघाट मे देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी सन् 1985 मे अपने धर्मपत्नि वर्तमान कंाग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी के साथ पहुंचे थे।
क्या कहते है विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी
विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी चंद्रशेखर मिश्रा ने बताया कुल्हाड़ीघाट के आश्रित ग्रामो मे नया स्कूल भवन स्वीकृति के लिए फाईल भेजा जा रहा है।